कवि सम्मेलन आरम्भ होने से पहले ऊँचे,विराट और जगमगाते भव्य मंच पर सुशोभित थीं तीन ज़बरदस्त महिला मंच संचालिकाएं जिन्होंने आवागमन के दौर में भी समां बांधे रखा और कविता के लिए माहौल बनाया . सरस्वती माँ के समक्ष मंगल दीप प्रकटाने के बाद आमंत्रित कवियों का सम्मान हुआ व युगराज जैन को मंच सञ्चालन सौंप दिया गया जिन्होंने अपना दायित्व बख़ूबी निभाते हुए रसपूर्ण सञ्चालन किया . कविवर हरिओम पवार, प्रताप फ़ौज़दार, अलबेला खत्री, सुरेन्द्र यादवेन्द्र, युगराज जैन, मंजीत सिंह, अनामिका अम्बर, काव्या मिश्रा, सुश्री नेहा व नवोदित हर्षवर्धन इत्यादि सभी ने उम्दा से उम्दा काव्यपाठ किया और कार्यक्रम को ऊंचाई पर पहुँचाया .
यद्यपि मुझे ख़ूब डराया गया था कि कोटा के दशहरा मेला कवि सम्मेलन में लोग कविता सुनने नहीं बल्कि कवियों को हूट करने आते हैं इसलिए वहाँ कोई भी नहीं जमता ...परन्तु सच का दृश्य तो मैंने कुछ और ही पाया .........मुझे खूब सुना, खूब दाद दी ..यहाँ तक कि दामिनी वाले छंद पर और मोदी वाली पैरोडी पर तो लोगों ने आ कर मालाओं और गुलदस्ते से अभिनन्दन भी किया ....कुल मिला कर यह एक वास्तविक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन था जहाँ कवितायें सुनीं और सराही गयीं
धन्यवाद कोटा की रसज्ञ जनता
आभार नगर निगम कोटा
जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (29-10-2013) "(इन मुखोटों की सच्चाई तुम क्या जानो ..." (मंगलवारीय चर्चा--1413) में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बढ़िया सेतु चयन बढ़िया समायोजन और सन्देश। आभार हमें खपाने को इस चर्चा में बैठाने को।
बहुत सुन्दर दोस्त -
मोदी वाला छंद लिखो
खुलो खूब निर्बंध लिखो।
.यहाँ तक कि दामिनी वाले छंद पर और मोदी वाली पैरोडी पर तो लोगों ने आ कर मालाओं और गुलदस्ते से अभिनन्दन भी किया ....कुल मिला कर यह एक वास्तविक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन था जहाँ कवितायें सुनीं और सराही गयीं
बहुत सटीक चित्र
नई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
सुन्दर समारोह..
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