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रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ? पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा


ऐसा लगता है मानो नरेंद्र मोदी के लगातार बढ़ते लोकप्रियता के सूचकांक ने 

माँ-बेटा एंड पार्टी की दलाल स्ट्रीट हिला कर रख दी हैं, हिला ही नहीं दी हैं बल्कि 

हिला हिला कर हलवे जैसी हॉट भी कर दी हैं . तभी तो माँ-बेटा एंड पार्टी लगातार 

कोई न कोई शगूफ़ा रोज़ाना छोड़ रही है मोदी को घेरने के लिए 


रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?


पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा

जय हिन्द !


2 comments:

virendra sharma November 20, 2013 at 10:38 AM  

ऐसा लगता है मानो नरेंद्र मोदी के लगातार बढ़ते लोकप्रियता के सूचकांक ने

माँ-बेटा एंड पार्टी की दलाल स्ट्रीट हिला कर रख दी हैं, हिला ही नहीं दी हैं बल्कि

हिला हिला कर हलवे जैसी हॉट भी कर दी हैं . तभी तो माँ-बेटा एंड पार्टी लगातार

कोई न कोई शगूफ़ा रोज़ाना छोड़ रही है मोदी को घेरने के लिए


रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?

पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा

जय हिन्द !

क्या बात है दोस्त सरे आम सच लिख दिया -बकरी मेमने का सच ,एक अनाम कवि से ज्यादा बदतर है चर्च की एजेंटो की ये पार्टी जिन्हें आज कोई सुनना नहीं चाहता। बकरी भाषण क्या देती है कलमा सा पढ़ती है दूसरा आस्तीन चढ़ाके विषय च्युत हो जाता है। अपनी वल्दियत ,वंशवेल बताने लगता है। दुर्मुख भोपाली को गुरु बनाया है ,जिसने लुटिया और डुबो दी है।बेहतर हो चेला गुरु और गुरु चेला बदल ले।

virendra sharma November 20, 2013 at 8:20 PM  

दुर्गा से बकरी मेमना तक

अक्सर एक श्रेष्ठ परम्परा श्रेश्ठता को ही जन्म देती है लेकिन राजनीति इसे झुठला देती है इसका अतिक्रमण कर जाती है। सिंह -वाहिनी दुर्गा का दर्ज़ा मिला था कभी कांग्रेस इंदिरा की पार्टी को। और वह भी तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष श्री अटल बिहारी बाजपेयी से। आज लोग इसे बकरी -मेमना या फिर माँ -बेटा पार्टी भी कहने लगे हैं। कवियों की कृति का प्रतीक और बिम्ब विधान बन रही है आज बकरी मेमना पार्टी। एक रूपक बन गया है माँ -बेटा पार्टी का। शुक्रिया अदा किया जाए मेडम का ,जो काम आनुवंशिकी हज़ारों साल में भी नहीं कर सकती थी ,वह मेडम ने चंद सालों में कर दिखाया। वंशकुल विज्ञानी जितना मर्जी माथा -पच्ची कर लें उन्हें ये गुत्थी समझ में नहीं आयेगी। राजनीति में कुछ भी हो सकता है।हद तो यह है एक सिंह परम्परा के परम पुरुष से बकरी मिमियाके निवाला छीनना चाहती है। कोई नादानी सी नादानी हैं।

और वह मेमना बाजू चढ़ाते चढ़ाते मिमियाना ही भूल जाता है। मेडम भाषण पढ़ती हैं तो लगता है कलमा पढ़ रही हैं। मर्सिया और कलमे में फिर भी लया ताल होती है यहाँ तो हिज्जे करके भी ठीक से बात स्पस्ट नहीं होती।

चर्च भी शर्मिंदा होगा इन्हें अपना एजेंट बनाके।

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