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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

बीन से लेकिन भैंस बजाना महंगा पड़ता है



दिल की बात ज़ुबाँ पर लाना महँगा पड़ता है


लाख के घर में जोत जगाना महंगा पड़ता है



सर से जब लोहू निकला तो बात समझ में आई


दीवारों से सर टकराना महंगा पड़ता है



कविताओं की चोरी हो या हो दैहिक गठबन्धन


चलने दो,  आवाज़ उठाना महंगा पड़ता है



ग़ज़लें गर लिखवाई हैं, तारीखें भी लिखवाओ


शंखधरों को शंख बजाना महंगा पड़ता है



आम आम की माला जप कर वो जो ख़ास हुआ है


उसको फिर से आम बनाना महंगा पड़ता है



भैंस के आगे बीन बजाना चल जाता 'अलबेला'


बीन से लेकिन  भैंस बजाना महंगा पड़ता है



जय हिन्द !
अलबेला खत्री 


केंद्रीय मन्त्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने मुझे सलाह दी है कि मैं अपना नाम 'अलबेला खत्री' के बजाय 'फक्कड़ अलबेला' रख लूँ




 एक  शानदार और जानदार कवि सम्मेलन गत 2 4 नवम्बर की शाम कानपुर के जुहारीदेवी गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज परिसर में संपन्न हुआ जिसमें देश के ख्यातनाम कवि / कवयित्री लगभग चार घंटे तक दर्शकों को काव्यरसपान कराने में सफल रहे

मुख्यातिथि केन्द्रीय कोयला मन्त्री श्रीप्रकाश जायसवाल को तो बहुत जल्दी थी इसलिए वे केवल मंगल दीप प्रकटा कर,  कविगण को माल्यार्पण कर और अपनी व्यस्तता का संक्षिप्त भाषण दे कर चल दिए परन्तु  जुहारीदेवी  गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज की स्वर्ण जयन्ती के अवसर पर आयोजित व सुरेश अवस्थी द्वारा संयोजित इस भव्य काव्य-समागम में   हरी ओम पंवार, अशोक चक्रधर, सुरेश अवस्थी, रमेश शर्मा, सुनील जोगी, रास बिहारी गौड़, अनु सपन, कमल मुसद्दी व अलबेला खत्री ने खूब जम कर कवितायें सुनाईं और बिना किसी अश्लील अथवा द्विअर्थी टिप्पणी के, दर्शकों का भरपूर मनोरंजन भी किया

विशेषकर अशोक चक्रधर अपनी पूरी रंगत में थे और उन्होंने  मोबाइल में देखे बिना भी अनेक कवितायेँ सुनाईं :-), हरी ओम पंवार को मैंने जितना ऊर्जस्वित कोटा दशहरा में देखा था उतना ही पराक्रम उन्होंने कानपुर में भी कायम  रखा परन्तु पूरे कार्यक्रम के हीरो रहे रमेश शर्मा जिन्होंने अपने भावभरे गीतों से  सबको भावविह्ल कर दिया - तभी तो मंच के सभी कवियों ने भी उनका मालाएं पहना पहना कर  अभिनन्दन किया

बेटियां वाली ग़ज़ल सुना कर अनु सपन और माँ पर कविता सुना कर कमल मुसद्दी ने सबको भावविभोर कर दिया।  सुरेश अवस्थी, सुनील जोगी और रासबिहारी गौड़ और अलबेला खत्री ने हास्यव्यंग्य प्रधान रचनाएं प्रस्तुत करके  वातावरण को खिलखिलाहट प्रदान की - कुल मिला कर यह एक उम्दा कार्यक्रम था जिसमे सम्मिलित हो कर मुझे आत्मिक आनंद आया

कॉलेज के संरक्षक  सी के अरोड़ा ने आभार व्यक्त किया व प्राचार्या डॉ बी आर अग्रवाल ने सभी मेहमान कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये।  प्रमुख औद्योगिक घराने जेके द्वारा संस्थापित इस महाविद्यालय के उत्तरोत्तर उत्थान के लिए शुभकामनायें और इस उत्तम  आयोजन में शामिल करने के लिए सुरेश अवस्थी को सादर धन्यवाद

चलते चलते ये बता दूँ कि  केंद्रीय मन्त्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने मुझे सलाह दी है कि मैं अपना नाम 'अलबेला खत्री' के बजाय 'फक्कड़ अलबेला' रख लूँ ....... मुझे तो यह बात कुछ जमी नहीं, आपको जमेगी  क्या ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



अपनी झाड़ू को अब कहाँ लगाओगे ? वहीं लगा लो ,,,,,,


लो जी झाड़ू लगाने वालों के ही घर में झाड़ू लग गई
सफाई करने का पाखण्ड करने वालों का ही सफाया होता दिख रहा है 


इसका मतलब यह है कि
अभी भी इस देश पर भगवान की  कृपा बनी हुई है

अरे भाई किस किस किस्से के रौ टेप मांगोगे ?
अभी तो बहुत से परदे हटने बाकी हैं 


अपनी झाड़ू को अब कहाँ लगाओगे ?
वहीं लगा लो ,,,,,,

all the best

जय हिन्द !

रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ? पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा


ऐसा लगता है मानो नरेंद्र मोदी के लगातार बढ़ते लोकप्रियता के सूचकांक ने 

माँ-बेटा एंड पार्टी की दलाल स्ट्रीट हिला कर रख दी हैं, हिला ही नहीं दी हैं बल्कि 

हिला हिला कर हलवे जैसी हॉट भी कर दी हैं . तभी तो माँ-बेटा एंड पार्टी लगातार 

कोई न कोई शगूफ़ा रोज़ाना छोड़ रही है मोदी को घेरने के लिए 


रब जाने अब ये कोबरा पोस्ट क्या गुल खिलायेगा ?


पर एक बात तय है कि नरेंद्र मोदी दिल्ली आएगा

जय हिन्द !


मोस्ट वान्टेड दाऊद इब्राहिम जैसा अपराधी पकड़ा क्यों नहीं जा रहा ?


पहले मुझे बड़ा अजीब लगता था यह देख कर कि भारत सरकार के पास इतनी बड़ी पुलिस फ़ोर्स, इतना बड़ा ख़ुफ़िया तन्त्र और इतने तेज़तर्रार प्रबन्धन के बावजूद दुश्मन देश के लोग कैसे यहाँ आ कर चुपके चुपके साज़िशें रचते रहते  हैं और मोस्ट वान्टेड दाऊद इब्राहिम जैसा  अपराधी पकड़ा क्यों नहीं जा रहा ? लेकिन अब मुझे इसमें अजीब लगना बन्द हो गया है

अजीब क्या है भाई ?  जब नारायण साईं जैसा मशहूर और जाना पहचाना आदमी जिसे देश का  लगभग हर आदमी पहचान सकता है, मीडिया ने जिसे बार बार दिखा कर  उसकी फोटो लोगों के दिमाग में अंकित करदी है वह बहरूपिया जब पूरे पुलिस विभाग को ठेंगा दिखा सकता है तो अपराधी तो अपराधी होते हैं - उन के पास तो छुपने के कई तरीके होते होंगे

जय हिन्द !





वरिष्ठ, बड़े और उम्रदराज़ तो आसाराम बापू भी हैं तथा विश्व में हिन्दी का प्रचार प्रसार उनहोंने भी खूब किया है जिसे नकारा नहीं जा सकता




मेरे टेलिफ़ोनिक मित्र आदरणीय डॉ राम अकेला जी,

आपने अपनी अधोलिखित टिप्पणी मेरी बहुत सी पोस्ट्स पर चिपका दी थी जिसे मुझे डिलिट करना पड़ा क्योंकि एक टिप्पणी एक ही जगह टिकानी चाहिए।  खैर - आपने मुझे लिखा कि

"आप द्वारा कवियों के मानधन सूची और उनके बारे की गयी टिप्पणी शायद कही न कही एक प्रशन खड़ा करती है ... आप ने कुछ कवियों के बारे कुछ ऐसा लिखा है जो कि हिंदुस्तानी कवि सम्मेलनों की परंपरा के खिलाफ लग रहा है | टिप्पणी वरिष्ट कवियों के सम्मान को ठेस पंहुचा रही है ! आदरणीय अशोक चक्रधर जी के बारे में जो लिखा... कुछ ग़लत है ... अगर १९६२ से अब तक का उनका सफ़र और हिंदी भाषा को पूरी दुनिया में प्रचारित और प्रसारित कर हिंदी को लोकप्रिय बनाने में उनका जो योगदान रहा वह अमुल्य है | आप उसको वर्तमान के कवि सम्मेलनों के स्तर से तुलना नहीं कर सकते | अपना अपना समय होता है ... हमें फेसबुक जैसे सार्वजनिक मंच पर अपने कुनबे / परिवार के बड़ो के बारे में थोड़ा मर्यादित रहना चाहिए | जहा तक आपने कहा आजकल दर्शकों से आँख नहीं मिला पाते क्योंकि मोबाइल में देख देख कर कविता बांचते हैं... मै कहना चाहता हूँ की उनकी उम्र में आप और हम केसे पढेंगे ये ईश्वर ही जानता है ... पर हा जहा तक अगर वास्तविक कवितओं/लेखन की बात करे तो शायद आप और हम उनसे आज भी नज़र नहीं मिला सकते | किसी के साहित्य में ५० वर्षो के सफ़र और योगदान पर इतनी हल्की (ओछी) टिप्पणी का यक़ीनन किसी को कोई अधिकार नहीं है | मेले ठेले वाले कवियों की तुलना उनसे करना बेमानी होगी, आप चाहे तो कुछ सम्मान जनक लोगो के नाम इस सूचि से हटा ही ले तो बेहतर होगा ... बुरा नहीं माने ... बस गहरायी से सोचे क्यू की ऐसी छिछली टिप्पणी आप के पेज पर भी शोभा नहीं देती |"


डॉ  राम अकेला जी,
वरिष्ठ, बड़े और उम्रदराज़ तो आसाराम बापू  भी हैं तथा  विश्व में हिन्दी का प्रचार प्रसार उनहोंने भी खूब किया है जिसे नकारा नहीं जा सकता, 50 वर्ष तो डॉ मनमोहन सिंह को भी हो गए देश की सेवा करते हुए परन्तु आज लोग उन्हें  कहने में गुरेज़ नहीं करते -  सवाल उम्र का नहीं, सवाल करनी का है - यह सच है कि ओछी टिप्पणी का अधिकार किसी को नहीं लेकिन यह बात भी आप मुझे नहीं उनको ही बताइये और वे न सुनें आपकी बात तो  7 अक्टूबर को अम्बाला के बराड़ा महोत्सव वाले कवि-सम्मेलन का उनका वीडिओ देख लो, बात आपकी  समझ में आ जायेगी  #####  और ये मेले ठेले वाले कवि आप किनको बता रहे हो ? स्वर्गीय निर्भय हाथरसी को ?  स्वर्गीय काका हाथरसी को ?  स्वर्गीय शैल चतुर्वेदी को ? हुल्लड़ मुरादाबादी को ? सन्तोषानन्द को ? बाबा सत्यनारायण मौर्य को ?  हरी ओम पवार को ? माणिक वर्मा को ?  स्वर्गीय ओमप्रकाश आदित्य को ?  बालकवि बैरागी को ?  सत्यनारायण सत्तन को ?  या पंडित विश्वेश्वर शर्मा जैसे 2 4 कैरेट कवि को ?  प्यारे भाई,  ये मेले ठेले वाले कवि  ही हैं जो मंच पर कविता को ज़िन्दा रखे हुए हैं और वास्तविक रूप में कविता की सेवा कर रहे हैं जहाँ आपके ये वाले जाने से पहले दस बार सोचते हैं वहाँ वोह वाले जा जा कर कविता की अलख जगाते है =  आपको उनका मखौल नहीं उड़ाना चाहिए -- आपने मात्र कुछ  कवियों को ही सम्मानजनक कहा है, क्यों प्रभु !  बाकी सब कविगण  क्या अपमानजनक ही हैं :-)

___________अब आप मेरी टिप्पणी को ध्यान से पढ़ो और विचार करो कि इसमें गलत क्या लिखा है ?


अशोक चक्रधर - दिल्ली       40,000+     वांछित पेय पदार्थ व शेविंग रेज़र

* आदिकाल से  मंचों और मंचों से अधिक सरकारी महोत्सवों, सरकारी चैनलों व इन्टरनेट पर सक्रिय, ये पढ़ते  बहुत हैं इसलिए पंचतन्त्र की कहानियों से ले कर विदेशी कवियों की अनेक कवितायें इन्हें याद हैं - चुटकुले और हलकी फुल्की तुकबन्दी के अलावा हास्य में नवगीत भी सुनाते हैं जो हँसा तो नहीं पाते लेकिन 10 मिनट तक दर्शकों को बाँधे ज़रूर रखते हैं - कभी कभी जम भी जाते हैं, पर अधिकतर फ्लॉप ही होते हैं  क्योंकि  इनकी तुकबन्दी समझने के लिए अनिवार्य है कि या तो श्रोता घोर साहित्यकार हो या फिर इनका ही विद्यार्थी अथवा चेला-चेली हो हैं - आजकल दर्शकों से आँख नहीं मिला पाते क्योंकि मोबाइल में देख देख कर कविता बांचते हैं - जब कोई अन्य कवि खूब जम रहा हो तो मंच से उठ कर सिगरेट फूंकने ज़रूर जाते हैं - बाकी व्यक्ति बहुत बढ़िया है


#   क्या वो 40 हज़ार नहीं लेते, या पेय पदार्थ नहीं पीते या उन्हें रेज़र नहीं चाहिए - भइया, 5 बार तो मैं रेज़र दे चुका हूँ भरोसा न हो तो उन्हीं से पूछ लेना 

#   वे मंचों और महोत्सवों में सक्रिय नहीं या उन्हें पंचतंत्र की कथायें याद  नहीं ?

#   कभी कभी जमते नहीं हैं या फलॉप नहीं होते ? मोबाइल में देख कर कविता नहीं सुनाते या सिगरेट नहीं फूंकते ? या आदमी बढ़िया नहीं है ?

गलत क्या लिखा है, ये तो कहो----और हाँ, आपको मैंने कभी मंच पर नहीं सुना और न ही मिला इसलिए आपके कहने से मैं मेरी टिप्पणी नहीं हटा सकता परन्तु  अगर कोई ऐसा मंचीय कवि जो मेरा भी दोस्त न हो और उनका भी पट्ठा न हो अगर कहदे कि हटा दो तो मैं हटा भी दूंगा - उनको पब्लिसिटी देकर मुझे क्या मिल रहा है बाबाजी का लट्ठ ?

नोट : मैं कवि-सम्मेलन के आँगन में झाड़ू -पोता करके साफ़ करने की कोशिश कर रहा हूँ  इसमें विघ्न डालने के बजाय मेरे साथ आ कर काम करो तो कुछ सकारात्मक काम होगा

जय हिन्द
सदैव विनम्र
अलबेला खत्री

coming soon albela khatr'is new book हिन्दी हास्य कवि-सम्मेलन



हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन के मंच पर 

काव्य-कला के कुमकुम का काला कारोबार

कविता को देवता, कवि  को पुजारी व कवि सम्मेलन के मंच को

मन्दिर तुल्य समझने वाले हमारे देश में आज काव्य-मंच की वास्तविक स्थिति क्या है

इसका प्रामाणिक दस्तावेज़ है गत 32 मंच पर सक्रिय हास्यकवि अलबेला खत्री की

आगामी पुस्तक "हिन्दी हास्य कवि-सम्मेलन"

जय हिन्द ! 



coming soon albela khatr's new book  हिन्दी हास्य कवि-सम्मेलन
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रोटी क्या तुम तो रोटी के साथ प्याज़ भी पूरा खा चुके हो, अब और क्या खाओगे बाबाजी का लट्ठ ?


पहले कांग्रेस का नारा था "आधी रोटी खायेंगे" यानी देश का आधा माल खुद खायेंगे और आधा जनता तक पहुंचाएंगे जबकि अब कांग्रेस का नारा है  "पूरी रोटी खायेंगे"

अरे भाई खा तो चुके हो, रोटी क्या तुम तो रोटी के साथ प्याज़ भी पूरा खा चुके हो अब और क्या खाओगे बाबाजी का लट्ठ ?

कमाल है, ये खाऊ नेता जब भी मुंह खोलते हैं तो खाने की ही बात करते हैं - क्या खाने पीने के अलावा भी कोई काम इन्हें आता है या नहीं ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


hasyakavi albela khatri ka paigham, RAHUL GANDHI KE NAAM


आदरणीय राहुल गांधी जी,
सादर नमो नमो


टी वी पर देखा, आप कह रहे थे कि आपने इस देश को भोजन का अधिकार दिया - आप बड़े आदमी हैं।  आप कह रहे हैं तो प्रामाणिक रूप से ही कह रहे होंगे परन्तु  हे सोनियानन्दन !  जहाँ तक मेरा विश्वास है, मैं तो उस समय से भोजन करता आ रहा हूँ  जब आपश्री का जन्म भी नहीं हुआ था बल्कि आपके स्वर्गीय पिताजी का विवाह भी नहीं हुआ था।  और मैं ही क्यों मेरे पिताजी भी रोज़ भोजन करते थे,  उनके पिताजी भी करते ही होंगे,  ऐसा मेरा विश्वास है

तो फिर आपने भोजन का अधिकार किसको दिया ?  और हे नेहरुकुलभूषण ! आप होते कौन हैं हमें भोजन का अधिकार देने वाले ? जिस परमात्मा ने जन्म दिया है उसने हमारे भोजन का भी प्रबंध कर दिया है - बस आप तो यह ध्यान रखो कि हमारा भोजन आपकी पार्टी वाले न खा जाएँ

हे परमप्रतापी राजीवांश ! आप में बहुत एनर्जी है इसे यों जगह जगह घूम कर और वोटों के लिए चिल्ला चिल्ला कर खर्च मत करो, बल्कि जल्दी से  शादी वादी करके किसी सुकन्या  को आपके दो-चार बच्चों की माँ बनने का अधिकार दे दो।  क्योंकि सत्ता तो आती जाती रहती है, परन्तु ये जवानी का  मौसम
एक बार गुज़र गया तो फिर  ढूंढते रह जाओगे ,,,मुझे इसका अच्छा खासा अनुभव हो चुका है इसलिए हे काँग्रेसकुलगौरव !   मेरा पॉलिटिक्स  से  कोई
लेना देना नहीं है ,  मैं तो स्नेहवश आपको सावधान कर रहा हूँ - क्योंकि  नेहरू के बाद इंदिरा,  इंदिरा के बाद राजीव  और राजीव के बाद आप  परन्तु
आपके बाद कौन ?  ज़रा अपनी परंपरा का भी ध्यान रखो - गांधी परिवार बच्चे पैदा नहीं करेगा  तो भारत में राज करने के लिए  प्रधानमंत्री बनने क्या
आसमान से कोई फरिश्ता आयेगा ?

थोड़े में बहुत कह दिया है और मुफ्त में कह दिया है।  अगर बात पसन्द आये तो इस बार इलेक्शन में कमल का बटन दबा देना और नहीं आये तो कोई बात नहीं

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री





अ. भा. हिन्दी कवि सम्मेलनों के हास्यकवियों की मानधन सूचि



## अ. भा. हिन्दी कवि सम्मेलनों के हास्यकवियों की मानधन सूचि ##
                    
सुरेन्द्र शर्मा - दिल्ली          1,00,000+    एयर टिकट व शाकाहारी भोजन

* काका हाथरसी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय, भारत के वैश्विक हास्यकवि जिन्हें लोग सुन कर तो एन्जॉय करते ही हैं  देख कर भी मज़े लेते हैं. चुटकियां और त्वरित टिप्पणियां सुनाते हुए  हँसाते हँसाते अचानक चाण्डालनी सुना कर डरा भी देते हैं - आयोजक के लिए पूर्णतः पैसा वसूल कलाकार, कभी कभी अपने किसी प्रिय कवि या कवयित्री का नाम भी रिकमण्ड करते हैं जिसे बुलाना अनिवार्य होता है - अन्यथा आप भी नहीं आते - आपकी कवितायें परिवार और समाज को जोड़ने का काम करती हैं
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माणिक वर्मा - भोपाल          40,000+      ट्रेन का टिकट

* देश के सबसे बड़े व्यंग्यकवि - इनकी प्रस्तुति कवि सम्मेलन में तालियों का तूफ़ान खड़ा कर देती है - अत्यन्त सरल और मौलिक व्यक्ति हैं - अगर केवल कविता को ही मापदण्ड मान कर मानधन दिया जाता तो ये देश के सबसे महंगे कवि होते
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अरुण जैमिनी - दिल्ली          40,000+     एयर टिकट

* सरल, सौम्य, सुदर्शन और आकर्षक व्यक्तित्व - मंच जमाऊ - हरियाणवी में चुटकुले और हिन्दी में कवितायेँ सुनाते हैं, तारीफ़ और मार्केटिंग सिर्फ़ दिल्ली के कवियों की करते हैं  परन्तु निन्दा सबकी सुनते हैं और पूरे मनोयोग से सुनते हैं - गज़ब का हास्यबोध और वाकपटुता इनकी अतिरिक्त योग्यता है
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प्रदीप चौबे - ग्वालियर           40,000+   वांछित पेय पदार्थ

* एक ज़माना ऐसा भी था जब इनका हर वाक्य ठहाकों की गूंज पैदा करता था - आज भले ही वोह बात न हो, लेकिन दम ख़म आज भी पूरा है - प्रतिभा इत्ती ज़बरदस्त है कि सड़े से सड़े लतीफे पर भी लोगों को तालियां बजाने पर बाध्य कर दे - इनसे कुछ नया सुनाने का आग्रह नहीं करना चाहिए - इन्हें अच्छा  नहीं लगता

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प्रताप फ़ौजदार - दिल्ली         80,000+   एयर टिकट

* लाफ्टर चैम्पियन, युवा लेकिन परिपक्व कलमकार,  मंच पर मज़मा जमाने और तालियां बजवाने  में कुशल, मौलिक रचनाकार जो पहले अपने ख़ास अंदाज़ में हँसाता है फिर कविता पर आता है और जब कविता पर आता है तो छा जाता है - पैसा कमाने के अलावा कोई व्यसन नहीं
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पं विश्वेवर शर्मा - मुम्बई          35,000+   ट्रेन टिकट व भांग का गोला

* एक ज़माने से  सर्वाधिक चर्चित पैरोडीकार, गीतकार,  मॊलिक और धुंआधार जमाऊ कवि - ख़ास बात यह है कि अब  मदिरापान भी नहीं करते - पैसा वसूल आयटम - अनेक फ़िल्मों के गीतकार - आजकल उम्र का तकाज़ा है इसलिए एक साथी को साथ ले कर आते हैं - हिंदी कवि सम्मेलन में इनसे अधिक कोई  हँसाने वाला नहीं
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शैलेश लोढ़ा - मुंबई                3,00,000+   बिजनेस क्लास एयर टिकट

*हल्की फुल्की कविताओं और इधर-उधर के ढेरों चुटकुले व शे'र सुना कर अपने विशिष्ट अन्दाज़ में लोगों को एन्टरटेन करने वाले टी वी कलाकार - हाज़िर जवाबी और वाकपटुता में लामिसाल - स्वभाव से पक्के मारवाड़ी बिजनेसमेन, परन्तु  मैं ही मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ  ऐसा सोचने के अलावा और कोई व्यसन नहीं

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सम्पत सरल -जयपुर               25,000+   टिकट ( मिल जाए तो ठीक )

* चुटकुले पर चुटकुले सुनाते हैं  परन्तु चुटकुले कह कर नहीं, निबन्ध कह कर - इस दौर के सर्वाधिक आत्ममुग्ध  व्यंग्यकार जिन्हें भरोसा है कि जो काम व्यंग्य में परसाई जी और शरद जोशी जी से छूट गया था उसे ये पूरा कर लेंगे - कभी कभी जम भी जाते हैं, न भी जमें तो इन्हें फर्क नहीं पड़ता - क्योंकि राजस्थानी भाषा के नाम पर इनका  काम चलता रहता है - कोई खास व्यसन नहीं
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सञ्जय झाला - जयपुर            40,000+   टिकट ( मिल जाए तो ठीक )

* अपनी तरह के अलबेले कवि + कलाकार -  वाणी और प्रस्तुतिकरण में ज़बरदस्त तालमेल - ज़्यादातर अपना ही माल सुनाते हैं - कोई व्यसन नहीं सिवाय अध्ययन के  - शानदार और युवा कलमकार
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अलबेला खत्री - सूरत               35,000+   हवाई टिकट ( कोई दे दे तो )

* हास्यकवि, चुट्कुलेबाज़, पैरोडीकार और ओजस्वी गीतकार - मंच जमाऊ कलाकार - वैसे इन्हें भ्रम है कि मैं देश का सर्वश्रेष्ठ पैरोडीकार हूँ - पूर्णतः मौलिक रचनाकार  - कोई नखरा नहीं - चाय और धूम्रपान का व्यसन है
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डॉ सुरेश अवस्थी - कानपुर     40,000+     ट्रेन टिकट

*  पूर्णतः पैसा वसूल वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार, शिष्ट और शालीन कविताओं के माध्यम से दर्शकों पर जादू कर देते हैं  -  आपकी कवितायें परिवार और समाज को जोड़ने का काम करती हैं , देश की विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं - व्यसन का पक्का पता नहीं  -
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सुनील जोगी - दिल्ली          40,000+      एयर  टिकट

* गत अनेक वर्षों से लगातार मंचों पर सक्रिय, चुटकुले और छन्दों के अलावा हास्यगीत भी सुनाते हैं - कभी खूब जम जाते हैं, कभी ठीक ठाक काम कर लेते हैं - कुछ  बातें या तो ये दूसरों की सुनाते हैं या दूसरे इनकी सुनाते हैं, यह अभी सुनिश्चित नहीं है लेकिन मंच पर अपना काम बखूबी कर लेते हैं
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सुरेन्द्र यादवेन्द्र - बाराँ         25,000+      रेल टिकट

* मंच जमाने में पूर्ण कुशल ज़बरदस्त हास्यकवि,  चुटकुलों को चार चार पंक्तियों में बाँध कर  उन्हें मौलिक कविताओं के भाव बेचने में माहिर -  मंच को इन्होंने अनेक कवयित्रियाँ तैयार करके दी हैं - स्वभाव से सरल और मनमौजी आदमी हैं - एक बार हाँ करदे तो पहुँचते ज़रूर हैं - वैसे तो ऑपनिंग पोएट के रूप में अधिक फिट हैं  लेकिन कवयित्री के बाद पढ़ने की लत लग गयी है - यही एक व्यसन है
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अशोक चक्रधर - दिल्ली       40,000+     वांछित पेय पदार्थ व शेविंग रेज़र

* आदिकाल से  मंचों और मंचों से अधिक सरकारी महोत्सवों, सरकारी चैनलों व इन्टरनेट पर सक्रिय, ये पढ़ते  बहुत हैं इसलिए पंचतन्त्र की कहानियों से ले कर विदेशी कवियों की अनेक कवितायें इन्हें याद हैं - चुटकुले और हलकी फुल्की तुकबन्दी के अलावा हास्य में नवगीत भी सुनाते हैं जो हँसा तो नहीं पाते लेकिन 10 मिनट तक दर्शकों को बाँधे ज़रूर रखते हैं - कभी कभी जम भी जाते हैं, पर अधिकतर फ्लॉप ही होते हैं  क्योंकि  इनकी तुकबन्दी समझने के लिए अनिवार्य है कि या तो श्रोता घोर साहित्यकार हो या फिर इनका ही विद्यार्थी अथवा चेला-चेली हो हैं - आजकल दर्शकों से आँख नहीं मिला पाते क्योंकि मोबाइल में देख देख कर कविता बांचते हैं - जब कोई अन्य कवि खूब जम रहा हो तो मंच से उठ कर सिगरेट फूंकने ज़रूर जाते हैं - बाकी व्यक्ति बहुत बढ़िया है
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महेंद्र अजनबी  - दिल्ली       30,000+      वांछित पेय पदार्थ व गुटखा

* कमाल के सरल और सरस व्यक्ति हैं , जल्दी ही घुल मिल जाते हैं, आमतौर पर पीली शर्ट पहनते हैं और ट्रकों के पीछे लिखे शे'र सुनाते हैं, कभी कभी शर्ट का रंग बदल भी जाए पर शे'र वही रहते हैं - ज़बरदस्त कॉन्फिडेन्ट हैं - चुटकुले भी कविता कह कर सुनाते हैं - जमना न जमना  कोई मायने नहीं रखता - क्योंकि  ये जानते हैं कि प्रोग्राम में श्रोता नहीं आयोजक बुलाते हैं व आयोजक उन्हीं को बुलाते हैं जिन्हें दिल्ली के बड़े कवि रिकमण्ड करते हैं - इनकी भूत वाली कविता अभूतपूर्व है कभी भूतपूर्व नहीं होगी
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सुरेन्द्र दुबे - दुर्ग                 35,000+     

* हँसाने के लिए इन्हें अधिक प्रयास नहीं करना पड़ता - जब ये अपने भयंकर श्यामवर्णी सौंदर्य का वर्णन करते हैं तो ठहाके बेतहाशा गूंज उठते हैं - मंच जमाने में पूर्ण कुशल ज़बरदस्त हास्यकवि,  चुटकुलों को कविताओं के भाव बेचने में माहिर -  इन्हें अन्य कवियों के सामने ही उनकी कविताओं के सारे पञ्च सुनाने का ज़बरदस्त शौक है जिसका कोई भी कवि विरोध नहीं करता - विरोध तो तब करे जब समझ में आये क्योंकि ये हिंदी के सारे टोटके छत्तीसगढ़ी में सुनाते हैं - शुक्र है पूरा देश छतीसगढी नहीं है वरना आज इनसे बड़ा कोई लोकप्रिय कवि नहीं होता - इनकी मित्रता आर्थिक रूप से बहुत लाभप्रद होती है, ऐसा वो कहते हैं जिन्हे इनके प्रोग्रामों का निमंत्रण मिलता रहता है
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सुरेन्द्र दुबे - जयपुर            35,000+       वांछित पेय पदार्थ

*पुराने गानों की तरह सदाबहार - मंच जमाने में प्रवीण  - ज़रूरत से भी अधिक तीव्रबुद्धि के स्वामी  और भयंकर किस्म के लिक्खाड़ - भाषा के विद्वान और मारवाड़ी संस्कारों को गौरवान्वित करने वाले मूलतः ब्यावर के इस कवि में धैर्य और संतोष के अलावा सबकुछ है,,,,,, इसको उखाडूं, उसको पछाडूं  का इनको इतना विराट चाव है कि साहित्य के बजाय यदि राजनीति में गए होते तो कम से कम उप प्रधानमन्त्री तो बन ही गए होते - सामने मीठा रहना और पीछे से मखौल उड़ाना इनके लिए पाचक चूर्ण की तरह है - कविता की हर विधा में माहिर यह कलमकार हिन्दी मंचों का गौरव है
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सुभाष काबरा - मुंबई          30,000+       वांछित पेय पदार्थ

*स्वर्गीय रामरिख मनहर, शैल चतुर्वेदी और राममनोहर त्रिपाठी ने काव्य-मंचों का जो हरियाला खेत आने वाली कई पीढ़ियों तक के लिए तैयार किया था उसे चन्द  वर्षों में ही खा पी के पिछवाड़े पर हाथ पोंछ लेने का श्रेय इनको ही जाता है - आप रोज़ रोज़ अण्डा प्राप्त करने के बजाय एक बार में ही मुर्गी हलाल करने के आदी हैं - न खेलेंगे न खेलने देंगे, हम तो घुच्ची में मूतेंगे वाले अंदाज़ के धनी हैं और अत्यंत कुशाग्र बुद्धि हैं - कुल 50 हज़ार का बजट हो तो 5 हज़ार में 3 कवियों को निपटा कर 45 हज़ार कैसे बचाया जाये, यह इनसे सीखना चाहिए - श्रीमती सावित्री कोचर ने भी इन्हीं से सीखा है - तकदीर के बादशाह हैं, ताश में भी कभी हारते नहीं - रिपीट वैल्यू भले न हो, लेकिन एक बार तो बुलाया जा ही सकता है

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प्रवीण शुक्ल - दिल्ली         30,000+       टिकट भी मिले तो वेल एंड गुड

*हास्य-व्यंग्य के ज़बरदस्त प्रस्तोता - मंच सञ्चालन भी अच्छा कर लेते हैं, विभिन्न प्रकार की टिप्पणियों, चुटकियों और मंचीय टोटकों के ज़रिये काम निकल लेने में माहिर पैसा वसूल काव्य-कलाकार - व्यक्तित्व और लिबास में शानदार तालमेल इनकी अतिरिक्त विशेषता है

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वेणुगोपाल भट्टड़-हैदराबाद 20,000+      ताश खेलने वाले लोग

*केवल 15 - 20  क्षणिकाओं, मुट्ठी भर चुटकुलों और टोटल 20 मिनट की अधिकतम परफॉर्मेंस के दम पर अखिल भारतीय कवि  कहलाने वाले एक मात्र भाग्यशाली कवि जिन्हें बुलाना हो तो जैसे शेर का शिकार करने के लिए शिकारी बकरी रूपी चारे का इंतज़ाम करते हैं वैसे ही इन्हें बुलाने के लिए दो चार ऐसे कवि बुलाना  पड़ता है जो कि ताश के शौक़ीन हों  ,,,, बाकी काम ये खुद ही कर लेते हैं  - खानदानी माहेश्वरी हैं - संस्कारी व्यक्ति हैं और 7 5 वर्ष के चिरयुवा हैं - राजस्थानी लोगों में खूब लोकप्रिय हैं
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सुरेश उपाध्याय-होशंगाबाद  20,000+      टिकट मिल जाए तो अच्छा है

* एक ज़माने में इस व्यंग्यकार के नाम की तूती बोलती थी, अगर उस सफलता को जाम में डूबा डूबा कर क़त्ल न किया होता तो आज बहुत माल कूट रहे होते ,,,शानदार कलमकार, कुशल परफॉर्मर और सरल व्यक्तित्व के इस वरिष्ठ कवि को सुनना आज भी अच्छा लगता है क्योंकि अब उन्होंने तरल पदार्थ से तौबा कर ली है
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आशकरण अटल - मुम्बई     30,000+      वांछित पेय पदार्थ

* न कभी सुपरहिट, न कभी सुपर फ्लॉप  - अपनी रफ़्तार से सदैव आगे बढ़ने वाले इस परम मौलिक और विशिष्ट रचनाकार  को यों तो बहुत कुछ मिला है, फिर भी उतना नहीं मिला जितना  कि मिलना चाहिए था  ,,, सतत सजग और कविता के सृजन में समर्पित रहने वाले इस शख्स को 4 पैग पेय पदार्थ के अलावा केवल उस चीज का शौक है जिसके लिए उनकी अब उम्र तो नहीं रही पर आदत नहीं गयी ,,, कविता में बिम्बों के अद्भुत प्रयोग करते हैं - उत्तम दर्ज़े के  लेखक हैं
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घनश्याम अग्रवाल - अकोला  25,000+    ट्रेन टिकट

* शुद्ध हास्य और शुद्ध व्यंग्य के शुद्ध सात्विक और श्लील रचनाकार ,,,सरल राजस्थानी में बोलते हैं तो पब्लिक को हँसा हँसा कर लोटपोट कर देते हैं - बहुत महंगा सृजन करते हैं  परन्तु बहुत सस्ते में बेच देते हैं क्योंकि इन्हें सिर्फ कविताई का हुनर आता है व्यावसायिक गोटियां फिट करना नहीं सीखा  - ज़बरदस्त  कवि - धुंआधार परफॉर्मर - आजकल उम्र का तकाज़ा है, परन्तु प्रस्तुति अभी भी बरकरार है
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कुमार विश्वास - गाज़ियाबाद  80,000+   एयर टिकट

* भयंकर याददाश्त और मंचीय व्यावसायिकता में प्रकाण्ड पाण्डित्य धारक इस कवि का भी एक छोटा सा ज़माना था ,,, जब  श्रोताओं व दर्शकों पर इसकी आवाज़ का जादू चलता था ,,आजकल वोह बात नहीं रही, फिर भी कभी कभी जैसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूट जाता है वैसे यह भी कभी कभी यह भी जमता ही होगा, ऐसी उम्मीद कर सकते हैं,  लोगों के चुटकुले चुराने और अन्य कवियों के मुक्तक व पुराने शायरों के शे'र सुना सुना कर मज़मा जमाने व वरिष्ठ लोगों के साथ बदज़ुबानी करने में पूर्णतः कुशल इस युवा कलाकार के भाग्य को सराहना चाहिए ,,,,,सबसे बड़ी विशेषता और विनम्रता इस कलाकार की ये है मंच को जमाने और तालियां बजवाने का सारा जिम्मा यह अकेले ही अपने सर पे ले लेता है दूसरों को तो कभी जमने ही नहीं देता, अन्य कवियों के समय तो माइक भी हाथ खड़े कर देता है, हाँ, कभी कभी कोई हम जैसा बापजी मिल जाए तो बात अलग है  ;-)

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सुदीप भोला - जबलपुर           20,000+     रेल टिकट

* युवा कवियों में सर्वाधिक तीव्रता से मंच  पर अपना स्थान सुनिश्चित करते जा रहे  इस होनहार कलमकार की शब्दावली तो ज़बरदस्त है ही, आवाज़ और प्रस्तुतिकरण भी धाकड़ है , सरल, सहज स्वभाव और मंच पर पूरी मेहनत  करने का जज़बा - अभी तक तो व्यसन और आडम्बर से दूर है और उम्मीद है आगे भी रहेगा क्योंकि इन्हें अपनी ज़िंदगी में वो सब हासिल करना है जो इनके पूज्य पिता कविवर संदीप सपन से लोगों ने छीन लिया था - सचमुच छुपा रुस्तम है ये नौजवान
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दीपक गुप्ता - दिल्ली              20,000+     ट्रेन टिकट

* हास्य-व्यंग्य के अलावा शेरो-शायरी में भी ज़बरदस्त महारत - हज़ार अवरोधों के बावजूद सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी प्रतिभा के बल पर दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में हिंदी हास्य का झंडा बुलन्द  करने वाला दबंग कलमकार - इंटरनेट पर भी लगातार सक्रिय - शानदार परफॉर्मर - व्यसन की कोई पुष्ट जानकारी नहीं

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योगिन्दर मौद्गिल -पानीपत      20,000+     वांछित पेय पदार्थ अनिवार्य

* हरियाणवी और हिंदी में समान रूप से सतत लेखन करने वाले खाँटी कलमकार, प्यार से इन्हें पानी पूछो तो लस्सी पिला देंगे लेकिन गुस्से में कोई आँख दिखाए तो ये लट्ठ भी दिखा सकते हैं - ठेठ हरियाणवी बन्दा - ग़ज़ल, गीत,दोहा, भजन इत्यादि सभी विधाओं में कुशल - मंच पर धुँआधार तो कभी-कभार ही जमते हैं लेकिन अच्छे अंकों से उत्तीर्ण सदैव होते हैं - पीते वक्त कोई टोकेगा तो मार खायेगा - ताश में हार जाए तो जीतने वाले को देते कुछ नहीं सिवा बधाई के
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जानी बैरागी - राजोद              20,000+     2 पैकेट सिगरेट

* अनेक रसों में अनेक तरह की बातों, कहावतों, दंतकथाओं और चुटकुलों का मिक्स भेल बना कर परोसता है तो जनता झूम झूम उठती है - समझ में किसी के कुछ नहीं आता लेकिन मज़ा आ जाता है - पहले सहज उपलब्ध था परन्तु जबसे मंचों पर हिट और कथित रूप से शैलेश लोढ़ा की टीम में फिट हुआ है, इसमें भी हरी ओम पंवार के गुण आ गए हैं - स्वीकृति दे कर भी न पहुंचना इसका प्यारा शगल हो गया है - भगवान् का पक्का भक्त है और व्यसन के नाम पर केवल बड़ी बड़ी डींगें हांकना है
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सूर्यकुमार पाण्डेय -लखनऊ   25,000+  

* अपनी विशिष्ट शैली में हास्य और व्यंग्य की बारीक बुनावट के साथ अनेक वर्षों  से मंच पर सफल प्रस्तोता - अपना काम  मुस्तैदी और सजगता के साथ करते हुए हिंदी काव्यमंचों को समृद्ध करने वाले वरिष्ठ कलमकार - जोड़तोड़ से दूर, व्यसन का पता लगेगा तो बताएँगे

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किरण जोशी - अमरावती      20,000+      वांछित पेय पदार्थ

* सशक्त और बुलंद आवाज़ के  साथ साथ अनेक सार्थक कविताओं के द्वारा मंच पर खूब जमते हैं, एहसान कुरैशी की सफलता से आकंठ कुंठित न होते तो अच्छा था, क्योंकि वह इन्हीं का तैयार किया हुआ आयटम है, संचालन में कुशल हैं परन्तु  इनका कवित्व इनके सञ्चालन पर भारी है - अपने पराये का कोई भेद नहीं करते, जिसका भी याद आ जाए उसी का चुटकुला सुना देते हैं - मस्त आदमी है - दिन में  टनाटन रात में टनटनाटन टनटनाटन टन ;-)

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पॉप्युलर मेरठी - मेरठ          30,000+      

* उर्दू और हिंदी के मंचों पर सामान रूप से सक्रिय ,,,ज़बरदस्त शायर और परफॉर्मर - हज़लेँ कहने में लाजवाब - हँसमुख और मृदुल व्यक्तित्व - टी वी के परदे पर अक्सर दिखते रहते हैं - सभी संयोजकों के प्रिय रचनाकार - न काहु से दोस्ती न काहु से प्यार वाला अंदाज़ - ऐसे आदमी में व्यसन नहीं गुण ढूंढने चाहियें
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बाबू बंजारा - कोटा                 15,000+    

* हिंदी से अधिक हाड़ौती भाषा में कविता करते हैं - लोकगीतों की शैली में झूम झूम कर सुनाते हैं - बढ़िया जमते हैं
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शांतिलाल तूफ़ान- निम्बाहेडा     20,000+        वांछित  पेय पदार्थ

* हास्य के अलावा ग़ज़ल में भी महारत - जम जाये तो खूब जम जाये, नहीं जमे तो बिलकुल नहीं जमे, पेय पदार्थ की क्वॉन्टिटी व  क्वालिटी पर निर्भर है, अपनी तरह के अलमस्त परफॉर्मर, आयोजक का पैसा वसूल कराने वाला कलाकार
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अतुल ज्वाला  - इंदौर               15,000+       मंच सञ्चालन का मौका

* नया है लेकिन पूरी तरह जम चुका है मंचों पर, युवा है, ऊर्जावान है, हाज़िरजवाब है, एक घंटे तक मज़मा लगा सकता है  और क्या चाहिए आयोजक को ?
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संदीप शर्मा - धार                     20,000+      जो मिल जाये, स्वीकार है

* कविता में उछलकूद का जबरदत घालमेल - बोलता कम है कूदता अधिक है, क्या क्या सुनाता है कोई नहीं जानता, लेकिन मज़ा पूरा देता है - कविसम्मेलनीय मंच पर कविता को मिमिक्री की तरह प्रस्तुत करने वाला हास्यकार - बढ़िया व्यवहार और सरल सहज स्वभाव का धनी होने के साथ साथ विनम्र भी है - शुद्ध देसी बन्दा
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स. मंजीतसिंह - दिल्ली              20,000+     

* फ़िल्मी गीतों, चुटकुलों, टिप्पणियों इत्यादि सभी मसालों से भरपूर मंचीय कलाकार - कविता भी ठीकठाक कर लेते हैं - स्वभाव से सरस और मिलनसार, सफलता किए साथ अनेक वर्षों से मंच पर
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शम्भूसिंह मनहर - खरगोन         20,000+     टिकट मिल जाए तो वाह वाह

* पढ़े लिखे आदमी हैं, शिक्षक कवि  होने के कारण मंच पर भाषा मर्यादित रखने का प्रयास करते हैं पर कभी कभी फिसल भी जाते हैं - अपने आप को वीररस का कहलाना पसंद करते हैं लेकिन लोग इनको हास्य  का ही मानते हैं - भगवान ने गले में नारी जैसा स्वर दिया है जिसे मर्दाना बनाने का कोई प्रयास इनका सफल नहीं होता - अनेक तरह के सुनेसुनाए चुटकुले और चलताऊ टिप्पणियां  करने से भी बाज़ नहीं आते परन्तु जब कविता पाठ करते हैं तो पाकिस्तान  के बखिये उधेड़  देते हैं - अत्यंत मज़ेदार व्यक्तित्व के स्वामी हैं - बढ़िया टाइमपास करते हैं
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सुरेश अलबेला - कोटा                 70,000+     वांछित पेय पदार्थ

* लाफ्टर चैम्पियन बनने के बाद इनके सेंसेक्स में ज़बरदस्त उछाल आया था - खूब जमाऊ और टिकाऊ कलमकार व शानदार परफॉर्मर - इंटेलिजेंट किस्म  का कलाकार - पैमेंट से अधिक काम करने वाला  सजग और मंच के प्रति समर्पित कवि
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शेष अगले अंक में.......... जारी है 



समापन के समय जो बताया जाएगा वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विस्फोटक होगा



 सभी प्यारे मित्रों को छठ पर्व की हार्दिक  बधाई व शुभकामनाएं

जब से सूचि प्रकाशित की है, कवि मित्रों के फोन पर फोन आ रहे हैं, कुछ लोग पसंद कर रहे हैं  और कुछ नापसंद ,,,,कुछ लोग इस सूचि में  अपना नाम दर्ज़ कराने की उतावली में हैं, मेरा सबसे निवेदन है कि कृपया धीरज रखें ,,,सबका नाम आएगा, ये तो शुरुआत है - सिलसिला लंबा चलेगा

वीररस के बाद अभी हास्य की सूचि पर काम चल रहा है, ये अभी खूब बाकी है, तत्पश्चात गीतकार - ग़ज़लकार आयेंगे,  अभी तो बहुत कुछ ऐसी जानकारियां देनी शेष हैं, जिनके बिना हिंदी कवि-सम्मेलनीय गाथा पूरी नहीं हो सकती, लेकिन समापन के समय जो बताया जाएगा वह सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विस्फोटक होगा इसलिए  इस सूचनायज्ञ की पूर्णाहुति तक देखते रहिये और like करते रहिये

अगली सूचि बस आ ही रही है

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री

hindi kavi albela khatri awarded in u.s.a. by vishwa hindi samiti at new york

hasyakavi albela khatri awarded in lucknow with wagheshwari samman




हिन्दी कवि सम्मेलनों के प्रचलित ओजस्वी (वीररस) कवियों की सूचि



 हिन्दी कवि सम्मेलनों के प्रचलित ओजस्वी (वीररस) कवियों की सूचि


हरी ओम पवार - मेरठ 1,00,000+ सी डी बेचने के लिए एक काउंटर

* यों तो राष्ट्रीय समस्याओं और सामाजिक विसंगतियों पर गीत सुनाते हैं और बहुत ऊँचे स्वर में सुनाते हैं परन्तु गीत न चलें तो चुटकुले सुनाने से भी परहेज़ नहीं करते -
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सत्य नारायण सत्तन - इंदौर 70,000+ भांग का गोला ( उपलब्ध हो तो )

* मंच के वरिष्ठ दबंग हैं - ख़ूब विद्वान, ऊर्जावान व पहलवान वक्ता हैं - अश्लील से अश्लील बात भी इतने सलीके से कहते हैं कि लोग हक्के बक्के रह जाते हैं, इन्हें अपनी परफॉरमेंस के बजाय अपने पाँव छुआने व दूसरे कवियों की परफॉर्मेंस पर रायता ढोलने में अधिक आनंद आता है - ज़र्दा खाते हैं इसलिए मंच पर एक खाली गिलास का होना अनिवार्य है वरना मंच की सफ़ेद चादर खराब हो सकती है
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वेदव्रत वाजपेयी - लखनऊ 40,000+ चार लोग माला पहनाने के लिए

* हिन्दूत्व और भारतीयता के गौरव को प्रतिष्ठापित करने वाले शानदार और जानदार कवि - स्वभाव से गरम और अहंकारी परन्तु आयोजक के लिए सदैव विनम्र और मंच जमाऊ - कोई व्यसन नहीं - मॊलिक कवि हैं पर कभी कभी कुछ पंक्तियाँ अपने पिताजी की भी सुना देते हैं
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आशीष अनल - लखनऊ 30,000+ वांछित पेय पदार्थ

* युवा लेकिन परिपक्व कलमकार, मंच पर सहयोगी कवियों को प्रोत्साहन और तालियां देने में कुशल, मौलिक रचनाकार -
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सन्दीप सपन - जबलपुर 25,000+

* एक ज़माने के सर्वाधिक चर्चित कवि, मॊलिक और धुंआधार जमाऊ कवि - ख़ास बात यह है कि अब मदिरापान भी नहीं करते इसलिए उनके काव्यपाठ की दिव्यता देखते ही बनती है
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डॉ कर्नल वी पी सिंह - बड़ौदा 35,000+ एयर टिकट

* बुलन्द व्यक्तित्व और बुलन्द आवाज़ के धनी, धारदार कवितायें और प्रवाहमान मौलिक प्रस्तुति - कोई व्यसन नहीं - सैन्य अनुशासन में ढला जीवन - एक ही कमज़ोरी : मंच पर सिर्फ़ कविता कर सकते हैं लफ्फ़ाज़ी नहीं आती
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कमलेश राजहंस - बनारस 25,000+

* राष्ट्रीय और सामाजिक विसंगतियों पर गीत सुनाते हैं परन्तु चुटकुले सुनाने से भी परहेज़ नहीं करते - रामचरित मानस के विद्वान हैं और मौलिक कवि हैं
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लाजपतराय विकट - धनबाद 30,000+

* राष्ट्रीय धारा के मौलिक कवि जो धुंआधार भले न जमे परन्तु अपना काम ठीक से कर लेते हैं
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विनीत चौहान - अलवर 30,000+

* बेटों की तुक हेटों से मिला कर तालियां पिटवाने वाले युवा कवि, मंच के सारे टोटके याद हैं जिन्हें काम में लेने के लिए मंच सञ्चालन भी कर लेते हैं - अन्य जमाऊ कवियों की निन्दा के अलावा कोई व्यसन नहीं
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जगदीश सोलंकी - कोटा 40,000+ वांछित पेय पदार्थ


* ओज और करुणा के सिद्धहस्त कवि एवं ज़बरदस्त प्रस्तोता - मंचीय कविताओं में साहित्यिक भाषा का प्रयोग करने वाले मौलिक रचनाकार
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बालकवि बैरागी - मनासा 40,000+


* सर्वाधिक सम्मानित मंचीय कवि - कोई व्यसन नहीं - कोई डिमाण्ड नहीं, कोई नखरा नहीं - बस, आजकल कविता कम, भाषण अधिक करते हैं - इन्हें सुनना एक सुखद अनुभव होता है
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गजेन्द्र सोलंकी - दिल्ली 30,000+


* ये प्रणाम विशेषज्ञ कवि हैं , इनके पास लगभग सभी के लिए प्रणाम के छंद तैयार मिलते हैं। राष्ट्रीय और सामाजिक विसंगतियों पर गीत सुनाते हैं और परन्तु चुटकुले भी ठीकठाक सुना लेते हैं जमते हैं या नहीं ये तो आयोजक जानें लेकिन संयोजन प्राप्त करने में सफल रहते हैं - अच्छे कवि हैं, व्यसन नहीं करते
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अब्दुल गफ्फ़ार - जयपुर 20,000+ वांछित पेय पदार्थ


* मंच के दबंग हैं, ख़ूब ऊर्जावान वक्ता हैं - जमाऊ फ़नकार हैं, बस कभी-कभी बोलते बोलते लहर में आकर कुछ भी बोल देते हैं - मांसाहार न मिले तो ये खिन्न रहते हैं यह ध्यान रखना चाहिए
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श्रीमती प्रेरणा ठाकरे 20,000+

* हिन्दूत्व और भारतीयता के छन्द व गीत सुनाने वाली स्वभाव से सरल व आयोजक के लिए सदैव विनम्र - मंच पर मेहनत करने वाली कवयित्री - कोई व्यसन नहीं - मॊलिक हैं पर बहक जाए तो चुटकुले भी सुना सकती है
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नरेन्द्र बन्जारा - मुंबई 20,000+

* युवा लेकिन परिपक्व कलमकार, मंच पर सहयोगी कवियों को प्रोत्साहन और तालियां देने में कुशल, मौलिक रचनाकार - चुटकुलों के चक्कर में न पड़े तो बढ़िया जमता है
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अशोक चारण - जयपुर 15,000+

* राष्ट्रवादी कविताओं के बल पर खूब जमने वाला युवा लेकिन परिपक्व कलमकार, मंच पर सहयोगी कवियों को प्रोत्साहन और तालियां देने में कुशल - कोई व्यसन नहीं
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शशिकांत यादव - देवास 25,000+ वांछित पेय पदार्थ

* धारदार टिप्पणियों और छन्दबद्ध कविताओं से दर्शकों की तालियां बजवाने में माहिर आंशिक रूप से मौलिक व प्रखर कवि - यद्यपि स्वर इनका मर्दाना नहीं है परन्तु लोग मज़ा पूरा ले लेते हैं - सुना है दूसरे संयोजको के प्रोग्राम हथियाने में इन्हें महारत हासिल है
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कमलेश शर्मा - इटावा 20,000+

* रामसेतु, हिन्दूत्व तथा राष्ट्रीय और सामाजिक विसंगतियों पर गीत सुनाते हैं मौलिक कवि हैं - व्यसन करते देखा नहीं
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योगेन्द्र शर्मा - भीलवाड़ा 15,000+

* गौभक्ति और राष्ट्रीय धारा के मौलिक कवि जो कभी कभार धुंआधार भले न जमे परन्तु अपना काम ठीक से कर लेते हैं - व्यसन से दूर
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 ओमपालसिंह निडर-फ़िरोज़ाबाद 15,000+   ताज़ा एप्पल,अंगूर 

* मंच के 4 दशक पुराने दबंग हैं - श्रोता हों या न हों, कोई फ़र्क नहीं पड़ता, खाली कुर्सियों को भी जनसमूह और खाली पण्डाल को भी संसद का अशोक हॉल सनझ कर कविता  पढ़ना इन्हें आता है, ख़ूब विद्वान, ऊर्जावान  व पहलवानटाइप वक्ता हैं - शुरू हो जाए तो एक घंटा तो गला गर्म करने के लिए घनाक्षरियां सुनाते  हैं और अगर जोश में आ कर  दर्शकों ने 'जय श्रीराम' का हल्का सा भी नारा लगा दिया तो फिर माइक इनका बेटा और ये माइक के बाप ,,,,इनकी  परफॉरमेंस में खण्डिनी, मण्डिनी, पाखण्डिनी, दण्डिनी जैसे शब्द ज़रूर आते हैं - रामलहर की हवा में  सांसद भी बन गए थे - कई बार पिटे  हैं,  बहुत मार खाई है, घुटने तक तुड़वाये हैं, कविता में राम राम करते हैं  पर कवयित्रियों को देखते ही रावणत्व बाहर आ जाता है, फ्री रेलपास का दुरुपयोग करने में चैम्पियन - इन्टरनेट पर महिलाओं से जिस तरह की चैटिंग करते हैं उसे देख कर हरी ओम्म्म्म्म्म्म्म्म  हरी ओम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म करने का मन करता है - विवादों में बने रहने के अलावा कोई व्यसन नहीं
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गौरव चौहान - आगरा             15,000+   

* ऊर्जा और चेतना से भरपूर एक ऐसा नया स्वर जिसमे भविष्य के लिए बड़ी सम्भावनाएं नज़र आती हैं, सरल,सहज, विनम्र और  मंच को भरपूर जमाऊ परफॉर्मेंस देने वाला ओजस्वी रचनाकार - व्यसन अभी सीखे नहीं है , नया है न ;-)
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सारस्वत मोहन मनीषी-दिल्ली  40,000+    जो मिल जाए सो ठीक  

* आर्य समाज के प्रबल पक्षधर, हिन्दूत्व और भारतीयता के गौरव को प्रतिष्ठापित करने वाले शानदार और जानदार कवि - स्वभाव से सर्द-गरम और विनम्र अहंकारी परन्तु आयोजक के लिए सदैव मंच जमाऊ, मेहनती कलमकार - आत्ममुग्धता और धन लोलुपता के अलावा कोई ख़ास व्यसन नहीं -  मॊलिक कवि हैं और प्रखर - मुखर कवि हैं, सभी विधाओं में लिखते हैं और लिखते ही रहते हैं जैसे लालू यादव के घर बच्चे पैदा होते रहते हैं, इनके घर में पांडुलिपियां बनती रहती हैं - मैंने घनाक्षरी लिखने की प्रेरणा इन्हीं से ली है - वैसे तो मेरे काव्य-गुरु हैं पर व्यवहारिकता में गुरुघंटाल हैं - शानदार व्यक्तित्व - जानदार कृतित्व
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अगली पोस्ट में भी जारी है ...
जय हिन्द !

यह नितान्त फोकटिया सेवा है जिसका लाभ कवि-सम्मेलन के आयोजकों के साथ साथ कवियों को भी होगा


कवि-सम्मेलन के आयोजक अक्सर कवियों के मानधन को लेकर मोल भाव करते हैं . इसलिए इस झंझट से मुक्ति पाने हेतु आज मैं अपनी अगली पोस्ट में सभी प्रचलित  मंचीय कवियों की (fix rate) सूचि उनके मानधन के साथ प्रकाशित कर रहा हूँ  ताकि  लोग अपने बजट के हिसाब से  अपनी टीम बना सकें .

इस प्रकाश्य सूचि में बजट के अलावा कौन कवि/कवयित्री  कितनी देर सुनाते हैं व  क्या सुनाते हैं,  अपना सुनाते हैं या दूसरों का सुनाते हैं, दूसरों का सुनाते हैं तो किस किस  का माल कहाँ कहाँ से उड़ा कर सुनाते हैं, इत्यादि की भी जानकारी दी जायेगी

यह नितान्त फोकटिया सेवा है  जिसका लाभ कवि-सम्मेलन के आयोजकों के साथ साथ   कवियों को भी होगा . परन्तु अगर किसी कवि/ कवयित्री को उनके नाम अथवा मानधन प्रकाशन में आपत्ति हो तो कृपया मुझे  अवगत करा दें ........

-अलबेला खत्री

क्या कविता का स्वर पटाखों के कोलाहल के मुकाबले अधिक असह्य होता है ?



अस्थमा, हार्ट अटैक  और  मिरगी के रोगियों के लिए जानलेवा साबित होने वाले

धूल, धुंआ, रासायनिक गंध और कानफाड़ू  शोर करके  पर्यावरण को दूषित और

बच्चों व बुज़ुर्गों को  परेशान  करने वाले  पटाख़े रात भर बजाये जा सकते हैं इन

पर कोई पाबंदी नहीं ... परन्तु  सरस, साहित्यिक, सुसांस्कृतिक एवं समाज को सही

दिशा के साथ साथ स्वस्थ मनोरंजन देने वाले कवि सम्मेलन के लिए  रात 11 बजे

ही समय सीमा समाप्त ....


जय हो तुम्हारी सरकार वालो ! 

क्या कविता का स्वर  पटाखों के कोलाहल के मुकाबले अधिक असह्य होता है ?

जय हिन्द
-अलबेला खत्री

hasyakavi albela khatri presents hasya kavi sammelan in puruliya

hasyakavi albela khatri presents hasya kavi sammelan in puruliya

hasyakavi albela khatri presents hasya kavi sammelan in puruliya




AAJ KI RAAT DEEPAVALI SPECIAL ........WAAH WAAH KYA BAAT HAI






आपको, आपके पूरे परिवार को एवं आपके समस्त इष्ट मित्रों को दीपोत्सव की  हार्दिक बधाई और नूतन वर्ष अभिनन्दन ! माँ महालक्ष्मी, सरस्वती और गजानन गणपति की सामूहिक अनुकम्पा से आपके जीवन में पग पग पर  ऐश्वर्य, यश, ऊर्जा एवं आरोग्य का प्रवाहपूर्ण भंडार रहे, यही मंगल कामना  मैं और मेरा पूरा परिवार करते हैं
जय हिन्द
अलबेला खत्री

hindi hasyakavi albela khatri in waah waah kya baat hai deepavli special episode

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hindi hasyakavi albela khatri in waah waah kya baat hai deepavli special episode

rotery club presents the hassakavi sammelan in puruliya by albela khatri

दीप उत्सव की हार्दिक बधाई एवं आत्मिक शुभकामनाएं


आपको, आपके परिवार को एवं आपके समस्त इष्ट मित्रों को 

हमारे पूरे परिवार की ओर से दीप उत्सव की 

हार्दिक बधाई एवं आत्मिक शुभकामनाएं

HAPPY DEEPAVLI


happy deepavli from hasyakavi albela klhatri
happy deepavli from hasyakavi albela klhatri

सब टी वी के "वाह वाह क्या बात है" में दीपावली स्पैशल एपीसोड की शूटिंग



अभी अभी मुम्बई में  सब टी वी के "वाह वाह क्या बात है"  में दीपावली

स्पैशल एपीसोड  की शूटिंग करके लौटा हूँ  परन्तु इस बार उतना आनन्दित

नहीं हूँ जितना  अक्सर हुआ करता हूँ . कारण  नहीं बताऊंगा, क्योंकि कारण 

बताऊंगा तो मुझे बताते हुए और आपको बांचते हुए तकलीफ़ होगी ..........

इसलिए अपना दिल कहता है SHOW MUST GO ON !  


सूत्रों द्वारा बताया गया है कि  यह दीपावली  अर्थात 3 नवम्बर की रात 9  बजे

दिखाया जाएगा ...किन्तु  अभी पक्का  पता नहीं कि कब दिखाया जाएगा ...

वैसे दीपावली का था तो दीपावली पर दिखाएंगे ....क्योंकि ब्याह के गीत ब्याह

में ही गाए जाते हैं और तीज के घेवर तीज को ही खाये जाते हैं हा हा हा हा :-)


HAPPY  DEEPAVLI

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
hasyakavi albela khatri in waah waah kya baat hai

hasyakavi albela khatri in waah waah kya baat hai

hasyakavi albela khatri in waah waah kya baat hai

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