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Albela Khatri

फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा.........


आवाज़ की दुनिया के शहंशाह मरहूम मोहम्मद रफ़ी को सलाम-ए-अक़ीदत

आज 31 जुलाई ....पुण्य तिथि पर एक विशेष रचना रफ़ी की याद को  …



नहीं हमेशा रहेगा सूरज
नहीं हमेशा चाँद रहेगा

लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा


जब भी मोहब्बत करवट लेगी, जब भी जवानी आएगी
जब भी समन्दर के साहिल पर शाम सुहानी आएगी
उफ़क़ पे ढ़लते आफ़ताब की जब-जब सुर्ख़ी फैलेगी
इश्क़ के दरिया की मौजों पर और रवानी आएगी
जब भी दो दिल मचल उठेंगे, बेख़ुद-मस्त बहारों में
दहर की त्वारीख़ों में लिखी इक और कहानी जाएगी

उस बेख़ुद-मदहोश घड़ी में
कौन किसी को याद रहेगा

लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा


हुस्न की क़ातिल फ़ितरत जब-जब सरे-राह उरियां होगी
इश्क़ के मुंह से एक नहीं, लाखों फ़रियादें बयां होंगी
जब कोई दिल टूटेगा, बेवफ़ा हुस्न की चाहत में
जब भी किसी आशिक के दिल की धड़कन सोज़े-निहां होंगी
उथल-पुथल जब मचेगी दिल में हिज्र का आलम छाएगा
बाहर हवा चलेगी लेकिन दिल में आग जवां होगी

बेशक टूट पड़ेंगे तारे
जब वह दिल नाशाद रहेगा

लेकिन रहते जहां तलक़
फ़नकार ! तू सबको याद रहेगा‌



_________विनम्र श्रद्धान्जलि स्वर व सुरों के सच्चे सम्राट को........................
__________________अलबेला खत्री


star kahan bistar ke yug me bhaai ji - ghazal by hindi hasyakavi albela khatri


jab ek bhains bhi ilection 2014 ke liye khadi ho gayi


ye bhains bhi election 2014 ke liye abhi se khadi ho gayi hai . 

ek pressvaarta me isne bataya ki jab log gobar ganeshon ko 

vote de sakte hain to gobar ke ATM ko kyon nahin

jai hind !

agrawal samaj ke prernasrot shri chandrabhan khordia nahin rahe


AAJ KI KHUSHI ME DUKH BHI SHAMIL HAI DOSTO ! 


kudrat bhi kya kya rang dikhati hai ......maine sapne me bhi kalpna 


nahin ki thi ki jinke charan chhokar aaj aashirwaad lena tha .......

unkee ki shoksabha me jana padega .....


na keval surat balki asam se le kar rajasthan tak sammanit aur  suvikhyat 


samajsevi  baboo shri CHANDRABHAN KHORDIA jo ki  mere param 

mitra MUKESH KHORDIA  ke poojya dadaji  aur samast khordia parivar 

ke sath sath  agrawal samaj ke prernasrot  the ka asaamyik nidhan  ho 

jane se mujhe bahut dukh pahuncha hai kyonki mera bhi unse bada prem 

aur lagaav tha . surat me HAMARA GUJARAT ke prastutikaran  me unka 

bada yogdaan raha ......parmatma  divangat aatma ko apne shri charnon 

me sthan pradan kare  aur khordia parivar ko yah vajrapat  sahne ki kshmata 

pradaan kare . isee vinamra vinamra bhaavanjali ke sath maine aaj ka mera 

sara program radd kar diya hai  aur bairth day party   nahin manaunga .


om shanti  shanti shanti 



- albela khatri 


shri chandrabhan khordia & shri mukesh khordia

23 july ko apne 50ven janmdin par main aap sabhi mitron ko hardik naman

23 july ko apne 50ven janmdin par main aap sabhi mitron ko 

hardik naman karta hun aur jane-anjane jo bhi bhool mujhse 

aapke prati ab tak hui ho, uske liye vinamra kshmaprarthi hoon. 

saath hi jin logon ne mere sath vishwasghat athva dhokhadhadi 

karke mera dil dukhaya hai, unhen unki sabhi galtiyon ke liye 

kshma karta hun JAI HIND !
50th birth day of albela khatri

ये सांप पूरे देश को डस जाएगा और तुम्हारी आचार संहिता खड़ी-खड़ी देखती रह जाएगी



'घर में नहीं दाने, पर अम्मा चली भुनाने' ये एक मुहावरा है और बड़ा प्यारा मुहावरा है। इसका रचयिता कौन था, इसका जन्म कहां और किन हालात में हुआ, इसकी मुझे न तो कोई जानकारी है तथा न ही मैं जानने को उत्सुक हूं। अपने को क्या लेना-देना यार, कोई भी हो, हमें क्या फ़र्क पड़ता है? हमें अपने ख़ुद  के दादाजी के दादाजी का नाम मालूम नहीं है तो दूसरों का इतिहास पढऩे का औचित्य ही क्या है। हां, इस मुहावरे का अर्थ अपन जानते हैं, इसलिए गाहे-ब-गाहे यूज .जरूर कर लेते हैं। आज भी करेंगे, क्योंकि चुनाव आयोग ने देश में एक आदर्श आचार संहिता लागू कर रखी है और ये संहिता उन लोगों के लिए लागू कर रखी है जिनका न तो कोई आदर्श है, न ही आचार। इसलिए ये आचार संहिता, लाचार संहिता बन चुकी है। रोज़-रोज़  इस संहिता का शीलभंग होता है, रोज़  मुकदमें दर्ज़  होते हैं, लेकिन साक्ष्य के अभाव में पीड़िता को न्याय नहीं मिल पा रहा। अब तो जैसे ''करत-करत अभ्यास  के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निसान'' वाली स्थिति हो गई है। अब तो आचार संहिता को बार-बार भंग होने की आदत सी पड़ गई है, इसलिए इसे उतनी तकलीफ़ नहीं होती जितनी कि शुरू-शुरू में होती थी। लेकिन विषय चिन्ता का है और चिन्ता करनी चाहिए इसलिए कर लेते हैं क्योंकि अपने देश की चिन्ता अपने को ही करनी है, बराक ओबामा तो इस काम के लिए आएगा नहीं।


देखा जाए तो आचार संहिता से हमें कोई ख़ास ऐतराज़ नहीं है। आप लगाओ, .जरूर लगाओ, एक्सट्रा पड़ी हो, तो दो-चार एक साथ लगाओ लेकिन पहले कहीं आचार तो दिखाओ। कहीं तो दिखाओ, किसी के पास तो दिखाओ। अरे जब आचार ही नहीं है तो संहिता को क्या शहद लगाकर चाटें? बहुत हो गया नाटक, अब ये चूहे बिल्ली का तमाशा बन्द करो । जब आप किसी अपराधी को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य बता देते हैं तो वो अपनी लुगाई को मैदान में उतार देता है। आप 10 बजे लाउडस्पीकर बन्द करा देते हैं, तो टी.वी. पर विज्ञापन और भाषण शुरू हो जाते हैं जो रात भर चलते हैं। आप जनसभाओं की वीडियो शूटिंग करते हैं तो लोग उस फुटेज को डब किया हुआ तथा फ़र्जी बता देते हैं। क्या तीर मार लिया आचार संहिता ने ? सिवाय इसके कि जनता के सारे काम रुक गए। न कोई नया काम शुरू हो सकता है, न ही कोई घोषणा हो सकती है। इसलिए मैं कहता हूं ये आचार संहिता आचार संहिता नहीं, लाचार संहिता है। इसके पास कोई चारा नहीं। सारा चारा भाई लोगों के पेट में पहुंच चुका है और देश का भाईचारा अलगाव की लपेट में पहुंच चुका है।

अगर आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं? देश को अब आचार संहिता की नहीं, विचार संहिता की .जरूरत है। क्योंकि आचार तो एक क्रिया है और क्रिया करने से होती है अपने आप नहीं होती जबकि करने में अपन कितने आलसी हैं ये तो बताने की बात ही नहीं है, दुनिया जानती है। विचार जो है वो कारण है और हर क्रिया की जननी है। इसे करना भी नहीं पड़ता क्योंकि ये स्वयंभू है। समय साक्षी है, हमारे राजनीतिकों के आचार से ज्य़ादा विचार दूषित हैं। दूषित विचार से शुद्ध आचार का सृजन हो ही नहीं सकता इसलिए आचार संहिता का अचार डालो और विचार संहिता लागू करो क्योंकि अब देश में विचार विषैले हो गए हैं और बहुत ज्य़ादा विषैले हो गए हैं।


'एक सांप ने एक नेता को डसा, नेता मज़े में पर सांप चल बसा' क्योंकि आज का स्वार्थी और सत्तालोलुप नेता सांप से भी ज्य़ादा .जहरीला हो गया है, इतना हुआ कठोर कि पथरीला हो गया है। इसका इलाज करो, जैसे भी होता हो जिस तकनीक से भी होता हो करो, वर्ना ये सांप पूरे देश को डस जाएगा और तुम्हारी आचार संहिता खड़ी-खड़ी देखती रह जाएगी।

'सादा जीवन- उच्च विचार' इस देश की व देश के महान नेताओं की परंपरा रही है। इस परंपरा को बचाने के लिए विचार पर नियंत्रण करो। अन्यथा तुम कितनी भी पाबन्दियां लगाओ, कितनी भी शूटिंग कराओ और चाहे कितने ही मुकदमें दर्ज़  कराओ, नतीजा ठन-ठन गोपाल ही आने वाला है।

'तुम मुझे ख़ून दो- मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा'  एक विचार था, 'अहिंसा परमोधर्मः' भी विचार था, 'ग़ाजिय़ों में बू रहेगी जब तलक ईमान की, तख्ते-लन्दन तक चलेगी तेग़ हिन्दोस्तान की' भी विचार था और 'जय जवान'-'जय किसान' के अलावा 'गरीबी हटाओ- देश बचाओ', 'तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहें न रहें' इत्यादि विचारों ने हमारे राष्ट्र और जनमानस को देश प्रेम से सराबोर किया है जबकि आजकल 'तिलक-तराजू और तलवार-इनके मारो जूते चार' जैसे विषैले विचार देश में घृणा का वातावरण बनाये हुए हैं। कोई किसी को बुढिय़ा बता रहा है, कोई किसी के हाथ काटने की बात करता है, कोई उत्तर भारतीयों के पीछे लठ्ठ लेके पड़ा है और कोई मां जितनी उम्रदराज़  महिला (महिला भी ऐसी-वैसी नहीं सर्वांगशक्तिमान मुख्यमंत्री सुश्री मायावती) को सार्वजनिक रूप से पप्पी देने की बात करता है तो बड़ा खेद होता है विचारों के इस सामूहिक पतन पर।

रोको, विचारों को अश्लील, अभद्र और अमानवीय होने से रोको अगर रोक सकते हो। नहीं रोक सकते तो आचार संहिता के ढक़ोसले को ही रोक लो, भगवान तुम्हारा भला करेगा। क्योंकि इस आचार संहिता से नेता नहीं जनता परेशान है। बाकी तुम जानो और तुम्हारा सिस्टम जाने।

तुम्हारी ऐसी की तैसी

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
he hanuman bachalo - albela khatri

he hanuman bachalo - albela khatri

he hanuman bachalo - albela khatri

नरेन्द्र मोदी के मुंह से कुत्ता शब्द निकल गया तो शरीफ़ लोगों की तशरीफ़ में गूमड़ उग आये



धर्मेन्द्र जब कहते हैं,  "कुत्ते मैं तेरा ख़ून पी जाऊंगा" या "बसन्ती, इन कुत्तों के 


सामने मत नाचना"  तो किसी को  कोई तकलीफ़  नहीं होती, राजीव गाँधी जब 

राम जेठमलानी को कुत्ता कहते हैं तो किसी हरामखोर को  शर्म  नहीं आती  और 

तो और  पुरखों द्वारा बनाई गई कहावतों - कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती, 

धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का, कुत्ते की मौत मरना, तेरे नाम का कुत्ता पालूं, 

कुत्ते को हड्डी डालना और  हाथी चलते रहते हैं कुत्ते भोंकते रहते हैं इत्यादि से भी 

किसी के  पिछवाड़े में  कोई काँटा नहीं चुभता  परन्तु  नरेन्द्र मोदी के मुंह से कुत्ता 

शब्द निकल गया तो  कुछ शरीफ़ लोगों की तशरीफ़ में बड़े बड़े गूमड़ उग आये ......

....है न हैरानी की बात .........


वे लोग कहते हैं - कुत्ते का नाम क्यों लिया ?  बकरी का ले लेते, बिल्ली का ले लेते . 


अरे भाई,  नरेन्द्र मोदी ने कुछ गलत नहीं कहा . जो कहा ठीक कहा . ये और कोई 

जाने या न जाने, मैं भली भान्ति जानता हूँ . और अगली पोस्ट में बताऊंगा भी 

लेकिन पहले मैं आप सब मित्रों की राय जानना चाहता  हूँ  कि  मोदी जी ने  बिल्ली 

और बकरी का नाम न  लेकर कुत्ते का नाम ही क्यों लिया .  आइये, फटाफट बताइए .....


-अलबेला खत्री 



खुजली है भाई खुजली है


खुजली है भाई खुजली है 

खुजली है भाई खुजली है 

ये like से घटती है 

ये comment  से मिटती है 

खुजली है भाई खुजली है 

face book वाली खुजली है

जय हिन्द

पत्ते - पत्ते में भरा है रंग तेरे प्यार का, तेरे मुस्कुराने से है मौसम बहार का




प्रकृति में मानव की माता का आभास है

प्रकृति में प्रभु के सृजन की सुवास है  




प्रकृति के आँचल में अमृत के धारे हैं 

नदी-नहरों में इसी  दूध के फौव्वारे हैं
 

प्राकृतिक ममता की मीठी-मीठी छाँव में 

 झांझर सी बजती है पवन के पाँव में

छोटे बड़े ऊँचे नीचे सभी तुझे प्यारे माँ

 हम सारे मानव  तेरी आँखों के तारे माँ 

भेद-भाव नहीं करती किसी के साथ रे 

सभी के सरों पे तेरा एक जैसा हाथ रे 

गैन्दे में गुलाब में चमेली में चिनार में 

पीपल बबूल नीम आम देवदार में 

पत्ते - पत्ते में भरा है रंग तेरे प्यार का 

तेरे मुस्कुराने से है मौसम बहार का 

झरनों में माता तेरी ममता का जल है 

सागरों की लहरों में तेरी हलचल है

वादियों में माता तेरे रूप का नज़ारा है 

कलियों का खिलखिलाना तेरा ही इशारा है


तूने जो दिया है वो दिया है बेहिसाब माँ 

हुआ है न होगा कभी, तोहरा जवाब माँ


तेरी महिमा का मैया नहीं कोई पार रे 

तेरी गोद में खेले हैं सारे अवतार रे


सोना चाँदी ताम्बा लोहा कांसी की तू खान माँ 

हीरों- पन्नों का दिया है तूने वरदान माँ 

तेरे ही क़रम से हैं सारे पकवान माँ 

कैसे हम चुकाएंगे तेरे एहसान माँ 

तेरी धानी चूनर की शान है निराली रे 

दशों ही दिशाओं में फैली है हरियाली रे 

केसर और चन्दन की देह में जो बन्द है 

मैया तेरी काया की ही पावन सुगन्ध है 

यीशु पे मोहम्मद पे मीरा पे कबीर पे 

नानक पे बुद्ध पे दया पे महावीर पे 

सभी महापुरुषों पे तेरे उपकार माँ 

सभी ने पाया है तेरे आँचल का प्यार माँ 

पन्छियों के चहचहाने में है तेरी आरती 

भोर में हवाएं तेरा आँगन बुहारती 

सभी के लबों पे माता तेरा गुणगान है 

जगत जननी तू महान है महान है


वे जो तेरी काया पे कुल्हाडियाँ चलाते हैं 

हरे भरे जंगलों को सहरा बनाते हैं

ऐसे शैतानों पे भी न आया तुझे क्रोध माँ 

तूने नहीं किया किसी चोट का विरोध माँ 

मद्धम पड़े न कभी आभा तेरे तन की

लगे न नज़र तुझे किसी दुश्मन की

मालिक से मांगते हैं यही दिन रात माँ

यूँ ही हँसती गाती रहे सारी कायनात माँ

चम्बे की तराइयों में तू ही मुस्कुराती है

हिमालय की चोटियों में तू ही खिलखिलाती है

तुझ जैसा जग में न दानी कोई दूजा रे

मैया तेरे चरणों की करें हम पूजा रे

बच्चे-बच्ची बूढे-बूढी हों या छोरे-छोरियां

सभी को सुनाई देती माता तेरी लोरियां 

तेरे अधरों से कान्हा मुरली बजाता है

तुझे देखने से माता वो भी याद आता है 

तुझ से ही जन्मे हैं ,तुझी में समायेंगे

तुझ से बिछुड़ के मानव  कहाँ जायेंगे 

तेरी गोद सा सहारा कहाँ कोई और माँ

तेरे बिना मानव  को कहाँ कोई ठौर माँ 

ग़ालिब की ग़ज़लें ,खैयाम की रुबाइयाँ

पद्य सूरदास के व तुलसी की चौपाइयां 

तेरी प्रेरणा से ही तो रचे सारे ग्रन्थ हैं

तूने जगमगाया माता साहित्य का पन्थ है


मानव की मिट्टी में मिलाओ अब प्यार माँ


जल रहा है नफ़रतों में आज संसार माँ  



-अलबेला खत्री 




इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


क्या मुस्लिम,क्या सिक्ख, इसाई, क्या वैष्णव,क्या जैन

सब के सब हैरान यहाँ पर, सब के सब बेचैन


खादी वाले जनता का  धन लूट रहे  दिन-रैन


हाय !  लुटेरों के शासन में, भीगे सब के  नैन


क्या होगा कल हाल देश का, सोच सोच घबराया


इसीलिए हे पवनपुत्र ! मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !




धर्म के ठेकेदार  हमें टुकड़ों में बाँट रहे हैं


छंटे छंटाये लोग आज लोगों को छाँट रहे हैं


करुणा की काया को दीमक बन के चाट रहे हैं


मानवता के कल्पवृक्ष को जड़ से काट रहे हैं


खुदगर्ज़ी में इन्सां  ने इन्सां का ख़ून बहाया


इसीलिए हे पवनपुत्र !  मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !




लालच में असली डॉक्टर भी नकली दवा चलाते


हलवाई नकली  मावा  से नकली  माल   बनाते


व्यापारी भी नकली  मिर्च-मसाले हमें  खिलाते


दूध-दही, फल-फ्रूट, साग-सब्ज़ी भी नकली आते


गद्दारों ने बैंकों  तक में  नकली नोट चलाया


इसीलिए हे पवनपुत्र !  मैं तेरी शरण में आया


प्यारे अन्जनी के लाल !


हमें संकट से निकाल !



जय हिन्द


-अलबेला खत्री 







urgently wanted actor / actress for albelakhatri's TUMHARI YAAD AATI HAI

urgently wanted actor / actress  

for  albelakhatri's new creation 

tikammusic bank presents

TUMHARI  YAAD  AATI  HAI 







पूनम पाण्डेय और सनी लियोन में इन्हें भारतीय नारी ही नहीं दिखती,जबकि दोनों ही भारत की पैदावार हैं .


http://rosydaruwala.blogspot.in/


ये ब्लोगरी भी अजीब चुतियापा है .

यहाँ हर कोई  अपनी दिखा कर कहता है मेरी वाली ज्यादा लाल है हा हा हा .......

लेकिन  अपनी को लाल  बताते हुए वह भूल जाता  है  कि औरों की भी  उतनी 


काली नहीं,  जित्ती दिखाई दे रही है . अब  आपकी आँखों  पर काला चश्मा चढ़ा 

है द्वेष  का  इसलिए अगर काली दिखती है तो कोई क्या करे ? केदारनाथ चला 

जाये मरने के लिए ?  


rosy daruwala  नाम  की एक विधवा महिला ने आज एक ब्लॉग बनाया  जिसका 


नाम है  i am the great indian hot women  और  उसने टैग लाइन पर लिखा कि 

ये उसकी आध्यात्मिक कविताओं का ब्लॉग है .  नि:संदेह  उनकी कविता भी hot 

और गहरी हैं जो शायद  आम दुनियादार  पूरी तरह समझ भी न सकें . लेकिन 

उसको लेकर भी बखेड़ा हो गया . ब्लॉग के नाम को ले कर लफड़ा हो गया .


शिखा कौशिक नूतन ( इन्होंने कमेन्ट तो इंग्लिश में किया लेकिन इंग्लिश  इतनी 


भी नहीं  कि ब्लोगर का नाम ही सही लिख सके  - rosy  को  rosi  लिखा ) ने 

भारतीय नारी ब्लॉग पर लिखा -


  हिंदी   ब्लॉग जगत में ऐसे नाम के ब्लॉग को कभी कोई 


स्थान नहीं दिया  जा  सकता  है  . भारतीय नारी श्रद्धा  का 

पात्र है बाजार की वस्तु नहीं .वो आदरणीय है ...मौल में बिकता 

सामान नहीं ....वो लक्ष्मी स्वरूपा है सन्नी लियोन नहीं -रोज़ी  

जी  आप  ये  नाम बदल  दें  !


_______हा हा हा ..इनको हर भारतीय नारी लक्ष्मी ही दिखती है,  


रम्भा, उर्वशी,मेनका  इन्हें परायी लगती हैं व  पूनम पाण्डेय और 

सनी लियोन  में इन्हें भारतीयता ही नहीं दिखती,जबकि दोनों ही 

भारत की पैदावार हैं .


 हे भगवान अच्छा किया जो आपने मेरी रचना करते समय मुझे 


महिला नहीं बनाया वरना मुझे भी ख़ुद की ही रचना लाल दिखती 

....हा हा हा 

 JAI HIND  








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