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Albela Khatri

माँ बहने सुरक्षित नहीं तो हम मर्दों को मर्द कहलाने का कोई अधिकार नहीं - नरेन्द्र मोदी


सच कहा है नरेन्द्र मोदी जी ने कि  हमारे  होते हुए भी अगर देश में  

माँ बहने सुरक्षित नहीं और  महिलाओं को भय लगता है  तो हम मर्दों 

को मर्द कहलाने का कोई अधिकार नहीं ....जय हो !

जय हिन्द !







आने वाले समय में हमारे बच्चे इतिहास की किताबों में ये भी पढेंगे


आज़ादी के बाद वह भारतवर्ष के लिए  सबसे कठिन और  काला समय था जब वैश्विक बाज़ार में भारतीय रुपया लगातार  गश खा कर गिर रहा था  और अमेरिकी डॉलर उसकी छाती पर चढ़ कर nude dance कर रहा था. सब्जी से ले कर सोना तक हर वस्तु इत्ती महंगी हो गई थी कि आम तो आम, ख़ास लोग भी त्राहि त्राहि  कर उठे थे . यहाँ तक कि भारत सरकार ( अगर कहीं थी )  ने अपना  जेबखर्च चलाने के लिए एक बार फिर देश का सोना गिरवी रखने  का मन बना लिया था .

सब बावली बूच की तरह एक दूसरे को देख रहे थे . किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि जब सरकार के पिछवाड़े में इतना दम ही  नहीं था कि अपना नाश्ता पानी का खर्च भी उठा  सके तो उसने करोड़ों लोगों को सस्ता अनाज देने का हवाई फ़ायर किया ही क्यों ?  और फ़ायर भी ऐसा फुस्सू कि  जिसमे बुलेट तो चला ही नहीं  और  तमन्ची की पतलून गीली के साथ साथ  पीली भी हो गयी .  आम जनता अपने को ठगी हुई महसूस कर रही थी  क्योंकि  उसके पास इतना सोना भी नहीं था की गिरवी रख कर प्याज़ और अनाज ले सके . सब रो रहे थे, परन्तु सरकार में शामिल कुछ हरामखोर कांग्रेसी लोग ऐसे भी थे जो उस विपत्ति में भी ठहाके लगा रहे थे, जलसा कर रहे थे और मस्ती में  भांगड़ा कर रहे थे क्योंकि  उनकी साज़िश  कामयाब हो चुकी  थी.

दरअसल जनता जिसे  मन्दी समझ रही थी वह मन्दी नहीं, बल्कि  एक गन्दी चाल थी  जिसके ज़रिये नेताओं ने खुद को मालामाल और राष्ट्रकोष को कंगाल बना डाला क्योंकि कांग्रेस पार्टी जान चुकी थी कि नरेन्द्र मोदी  की लोकलहर में उसका राज अब डूबने वाला है और दोबारा कभी आने वाला भी नहीं तो क्यों न  ऐसे कुकर्म करें कि  डॉलर व सोने का भाव चढ़ जाए ताकि स्विस बैंकों में रखा अपना कालाधन अपने आप बढ़ जाये . ज़ाहिर है  भ्रष्ट नेताओं का जो धन स्विस बैंकों में था  वह डॉलर और सोने के रूप में ही था  और रूपये की हत्या होने का सीधा लाभ उन्हीं को  और उनके चन्द चहेते उद्योगपतियों  व पूँजी बाज़ार के खिलाड़ियों को ही मिलने वाला था . अतः सोच समझ कर धीरे धीरे देश को गर्त में धकेला  गया ताकि  कांग्रेस के  बाद जो भी सरकार  आये, उसके पास बजाने के लिए घण्टा भी न बचे . परन्तु होनी को कुछ और ही मन्ज़ूर था .

जैसे ही पब्लिक को इसकी भनक लगी, उन्होंने उन कुचमादियों को घेर लिया और मार मार कर भुरता  बना  डाला इससे घबराकर कुछ षड्यन्त्रकारी  इटली भाग गए, कुछ  अन्य  देशों में जा छुपे और जनता ने भारी बहुमत से भाजपा को जिता कर वज्रपुरूष नरेन्द्र मोदी  को प्रधानमंत्री बना दिया  जिनके सत्ता सम्हालते ही  सी बी आई और आयकर विभाग ने तमाम भगौड़ों को जा दबोचा  और  उन्हें  जूते मार मार कर सारा छुपा धन वसूल कर लिया .  मोदीजी के एक ही फोन पर  स्विस बैंकों ने  भारतीयों का सारा कालाधन खुद अपने ही विमानों में भर कर दिल्ली  पहुंचा दिया तथा  भारत की इस परमविजय के सम्मान में मुद्राबाज़ार में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत सिर्फ़ एक रूपया रह गई .

जय हिन्द !

आने वाले समय में हमारे बच्चे इतिहास की किताबों में  ये भी पढेंगे






video shooting of modi aao, desh bachaao in surat by albela khatri

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पकौड़े प्यार के स्वादिष्ट लगते, मिठाई हुस्न की खाता रहा हूँ


मुहब्बत का सदा रसिया रहा हूँ


हसीनों की तरह सजता रहा हूँ 




पकौड़े प्यार के स्वादिष्ट लगते


मिठाई हुस्न की खाता रहा हूँ 




न आई  तू मगर परवाह किस को 


तेरी यादों से दिल बहला रहा हूँ 




बरस उनचास का बुड्ढा न कहना   


जवां खुद को समझता आ रहा हूँ 




उफ़क पर बादलों की भीड़ लेकिन 


मुसलसल आँख से झरता रहा हूँ 




सियाही बाल पर आँखों पे चश्मा


गली का रोमियो बनता रहा हूँ  




दिलादी है मुझे बाइक, पिता ने


उसे अब  ख़ूब मैं दौड़ा रहा हूँ 




कभी बीड़ी कभी सिगरेट पीकर


बदन अपना जलाता जा रहा हूँ 




कहो कुछ भी मगर अंकल न कहना   


जवां ख़ुद को समझता आ रहा हूँ 




दिखे हर ओर 'अलबेला' उजाला


ग़ज़ल में मैं दुआ करता रहा हूँ 


-अलबेला खत्री 

hasyakavi albela khatri love  & support narendra modi

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लाइन लगा कर बैठे हैं सब लेने चुम्मी, किन्तु किसी को पास न आने देगी मम्मी


मम्मी की मैं लाड़ली, बाबुल की मैं जान

मैं देहरी की महक हूँ, आँगन की मुस्कान


आँगन की मुस्कान, छमाछम करती डोलूं


आनन्दित हों लोग,  मैं जब तुतलाकर बोलूं


लाइन लगा कर बैठे हैं सब लेने चुम्मी


किन्तु किसी को पास न आने देगी मम्मी 





हो सकता है आसाराम बापू ने जापानी तेल के जवाब में भारत की ओर से कोई नया यौनशक्तिवर्धक रसायन बनाया हो


हरी ॐ .........हरी ॐ

लाखों लोगों के परमपूज्य संत आसाराम बापू ने किसी  कन्या के साथ दुराचार किया या नहीं किया यह जांच का विषय हो सकता है . लेकिन अचरज का तो कतई नहीं है . क्योंकि आसाराम बापू एक सिद्धहस्त धार्मिक कलाकार होने के साथ साथ एक  सफल दूकानदार और  स्वयंभू वैद्य भी हैं .  अपने प्रवचनों में वे अनेक बार विभिन्न प्रकार के आयुर्वेदिक नुस्खे बताते रहते हैं .

हो सकता है जापानी तेल  को टक्कर देने के लिए  भारत की ओर से उन्होंने कोई  ऐसा नया यौनशक्तिवर्धक  रसायन  बनाया हो जिससे कि वृद्धावस्था  में भी ऊर्जा का नवसंचार होता  हो और जिसे अपनी दूकान में उतारने के पहले उन्होंने उसका शक्तिपरीक्षण उस तथाकथित पीड़ित कन्या पर कर लिया हो . क्योंकि  फार्मेसी वाले इस तरह के प्रयोग करते ही हैं .

अचरज इसलिए भी नहीं  होना चाहिए  क्योंकि  बापूजी अपने प्रवचनों  में आमतौर पर  यौन सम्बन्ध कब बनाने चाहिए  और क्या क्या , कैसे कैसे करना चाहिए  इसका भी गुप्तज्ञान  ओपनली  ही देते हैं  और उनके भक्तों को मालूम भी है कि  देते हैं . इसके  बावजूद  श्रद्धालु महिलाओं को  अगर  उनके प्रवचन सुनने में कोई गुरेज़ नहीं है तो  बापू  का उत्साहवर्धन तो होगा ही,  अब उत्साह में आ कर कोई चूक हो जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए .

बापू अगर  यौन क्रीडा करते हैं तो मुझे  कोई शिकायत नहीं . शरीर उनका,  आश्रम उनका,   निर्णय भी उनका  ही स्वीकार्य होगा .  आपत्ति करने वाला मैं कौन ?  मुझे तो सिर्फ़  एक ही बात पर आपत्ति है  कि  बलपूर्वक क्यों किया गया ? किसी मासूम को शिकार  क्यों बनाया गया ?  ऐसा परीक्षण करना था तो  उनके लिए प्रस्तुत होने वालों की क्या कमी थी ?

निर्ममतापूर्ण, अमानवीय तरीके से किसी की देह का शोषण करना  महापाप है . जब किसी मासूम की चीख गूंजती है  तो प्रभु  पुकार ज़रूर सुनते हैं . यह बात बापूजी को नहीं भूलनी चाहिए .

वैसे मैं मन, वचन और आत्मा  से प्रार्थना  करता हूँ कि  यह मामला  झूठा निकले, किसी षड्यंत्र  का भंडाफोड़ हो  और बापू निर्दोष साबित हों . क्योंकि  यदि  साधू-संतों के  यहाँ भी अगर हमारी बहन बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी  तो ऐसे  समाज में जीने से अच्छा है कहीं डूब कर मर जाएँ चुल्लू भर पानी में ..........

जय रामजी की बोलना पड़ेगा

जय हिन्द !
hasyakavi albela khatri presents SHRI HINGULAJ CHALISA

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता' वो बोले, 'यही तो लोकराज है'


उस रात रेल में

गुजरात मेल में

हमने मौका देख कर एक पैग लगाया


थोड़ा बहुत खाना खाया

अपनी आरक्षित शायिका पर बिस्तर बिछाया

और बत्तीसी पर ब्रश रगड़ कर बन्दा जैसे ही वापस आया

तो पाया

एक ठिगना सा,

मोटा सा गंजा सा,

भद्दा सा

नेतानुमा खादीधारी व्यक्ति

हमारी शायिका पर काबिज़ हो गया है

और हमारे ही बिछाए बिस्तर पर बेधड़क सो गया है

हमने उसे झिंझोड़ कर जगाया और बताया

कि भाया ये शायिका हमारी है

वो बोला, 'शायिका क्या पूरी गाड़ी तुम्हारी है'

हमने कहा, 'हमने इसका पैसा दिया है'

वो बोला, 'तो मुझ पे क्या ऐहसान किया है?'

फिर ख़ुद ही गैंडा छाप सिगरेट का

मुड़ा-तुड़ा पैकेट हमारी तरफ़ बढ़ाते हुए बोला,

'गुस्सा मत कीजिए, लीजिए गैंडा छाप सिगरेट पीजिए'

हमने कहा, 'हम बीड़ी के शौकीन हैं, सिगरेट नहीं पीते'

वो बोला, 'जनाब! एक कश लगा कर तो देखिए,

'ज़िन्दगी रंगीन हो जाएगी'

हमने कहा, 'आप हमें आस्तीन चढ़ाने को मजबूर मत कीजिए'

नेता बोला, 'श्रीमान जी, शान्त हो जाइए

लीजिए मुफ़्त की सिगरेट पीजिए'

यह कह कर नेता ने

हमारी तरफ़ सिगरेट का पैकेट बढ़ा दिया

फोकट में मिलती देख हमारे भी मुंह में

तलब का पानी आ गया

हमने एक सिगरेट निकाल कर अधरों से लगाया सुलगाया

और एक हाहाकारी सुट्टा लगाया तो

हमारा पूरा दिमाग़ बेयरिंग सा घूमने लगा

और शरीर बेवड़े की भांति झूमने लगा

खोपड़ी में प्रलयंकारी चक्कर आने लगे

तो नेता जी हमें देख कर मुस्कुराने लगे

हमने कहा, 'आपको बत्तीसी निकालते हुए शर्म नहीं आती?'

वो बोले, 'हमें तो मज़ा आ रहा है,

हमारी सिगरेट में मिला गांजा रंग ला रहा है

अब आप रात भर परेशान होते रहेंगे

और हम तुम्हारी बर्थ पर गदहे बेच कर सोते रहेंगे'

हमने कहा, 'तुमने छल किया है'

वो बोला, 'इस देश का नेता और करता ही क्या है?

अब जो हो रहा है होने दो हमें चुपचाप सोने दो'

हमने कहा, 'हमारे भेजे में कुछ अटक रहा है'

वो बोले, 'गांजे का धुआं है,

जो अबु सलेम की तरह बाहर निकलने को भटक रहा है'

हमने कहा, 'तबीयत घबरा रही है'

वो बोले, 'डरो मत, सोनिया एंड पार्टी रूपया गिरा रही है'

हमने कहा, 'दम घुट रहा है'

वो बोले, 'देश लुट रहा है'

हमने कहा, 'चित्त परेशान है'

वो बोले, मनमोहन महान है'

हमने कहा, 'जान पे बन आई है'

वो बोले, 'ये कांग्रेस आई है'

हमने कहा, 'दर्द बढ़ता ही जा रहा है'

वो बोले, 'मतदान का दिन नज़दीक आ रहा है'

हमने कहा, 'यमदूत नज़र आ रहे हैं'

वो बोले, 'नीतिश कुमार के दिन ख़राब आ रहे हैं'

हमने कहा, 'मौत का खटका है'

वो बोले, 'ये नरेन्द्र मोदी का झटका है'

हमने कहा, 'हम मर जाएंगे'

वो बोले, 'मंदिर वहीं बनाएंगे'

हमने कहा, 'बाल-बच्चे क्या खाएंगे?'

वो बोले, 'ये लालू यादव बताएंगे'

हमने कहा, 'कुछ सुनाई नहीं देता'

वो बोले, 'ये जनता की आवाज़ है'

हमने कहा, 'कुछ दिखाई नहीं देता'

वो बोले, 'यही तो लोकराज है'

जय हिन्द !


अलबेला खत्री

pravin b. nanavati & hasyakavi albela khatri

रक्षाबन्धन पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

रक्षाबन्धन पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

रक्षाबन्धन पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

रक्षाबन्धन पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

रक्षाबन्धन पर हास्यकवि अलबेला खत्री के दोहे

narendra bhai modi ke naam, hasyakavi albela khatri ka khula paigaam

a apeel to shri narendra modi bay albela khatri surat

वाघा बॉर्डर के चित्र पर एक हिन्दुस्तानी कवि अलबेला खत्री की लेखनी

the poem of hindi hasyakavi albela khatri on wagha border

पहने गाँधी छाप, कड़कड़ी उजली खादी, करते जाओ पाप, तुम्हें पूरी आज़ादी - अलबेला खत्री


घूस सुन्दरी ने यहाँ यों फैलाए केश,

दो नंबर में रंग गया इक नंबर का देश 





हास्यकवि अलबेला खत्री की कविता सूर्य ग्रहण

poem chandragrahan by hasyakavi albela khatri

जिस गली में नफ़रतों का बोलबाला है प्रिये, उस गली में मैंने खोली प्यार की दूकान है



जब सावन आग लगाता है, जब सावन आग लगाता है


जब सावन आग लगाता है,

जब सावन आग लगाता है



वज्र टूटते हैं छाती पर, सांसों पर बन आती है


चुपके चुपके ख़ून के आँसू आँखें रोज़ बहाती हैं


अरमानों के फूल भी काँटे बन जाते उन लम्हों में


विरहन को जब परदेसी सजना की सुधि सताती है


दुनिया का सारा चन्दन भी 


जलन मिटा नहीं पाता है


जब सावन आग लगाता है,


जब सावन आग लगाता है



तड़प तड़प कर जागा करते, सुलग सुलग कर सोते हैं


सुबक सुबक कर, सिसक सिसक कर, फूट फूट कर रोते हैं


लिपट लिपट कर रह जाते हैं अपनी ही परछाई से


तन्हाई के शोक पर्व में दामन ख़ूब भिगोते हैं


अंग अंग अंगारा बन कर


तृषित देह दहकाता है


जब सावन आग लगाता है,


जब सावन आग लगाता है



घर तो घर, बाहर भी पग पग पर पीड़ा का अनुभव है


सूनापन ही सूनापन है, न झूला न कलरव है


अंतर्व्यथा कथा लम्बी है, कौन सुनेगा "अलबेला"


तिनका तिनका बिखर रहा, सपनों का हर इक अवयव है


भंवरों का गुनगुन भी बैरी


दिन भर जान जलाता है



जब सावन आग लगाता है,


जब सावन आग लगाता है



- अलबेला खत्री



ईद मुबारक़ ईद मुबारक़ ईद मुबारक़ EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

ईद मुबारक़  EID MUBARAQ

मुझे तो लगता है कि लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं . आपका दिल क्या कहता है ?



प्यारे साथियों !
हम सब इन्टरनेट पर सतत सक्रिय रहने  के कारण देश और दुनिया के तमाम सरोकारों पर अपनी दृष्टि रखते हैं और हर घटना पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देते रहते हैं . हमारे पास फेसबुक, ट्विटर, ब्लोगस्पोट, वर्डप्रेस इत्यादि अनेक माध्यम हैं जिनका उपयोग हम  आम तौर हम मित्रता कायम करने, मनोरंजन करने और स्वयम की वाह वाह अथवा बल्ले बल्ले कराने में ही करते हैं .

प्यारे दोस्तों !
हमारे पास बहुत बड़ी सुविधा है . अगर हम अन्य  बातों को दरकिनार कर, सिर्फ़ और सिर्फ़  देश-समाज  की विसंगतियों  और समस्याओं को मिटाने  के लिए प्रयासरत हो जाएँ तो मैं समझता हूँ कि  यह एक बड़े आन्दोलन जैसा प्रभावशाली और परिणामदायक हो सकता है .

क्या हम अपने देश, अपने  घर-परिवार और अपनी कौम के लिए  अपनी कलम को हथियार बना कर  एक बड़ी लड़ाई नहीं लड़ सकते ?  मुझे तो लगता है कि  लड़ सकते हैं और जीत भी सकते हैं .

आपका  दिल क्या कहता है ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

सैकड़ों लाशें देखकर भी जिसका दिल नहीं पसीजा, उसे आप मजबूत नहीं मान रहे?




क्या हो रहा है भाई, ये क्या चल रहा है इस देश में? जिसे देखो वही हमारे प्रधानमन्त्री का मज़ाक उड़ा रहा है और उन्हें मैडम के हाथों की कठपुतली बता रहा है। न कोई आव देख रहा है न ताव, सब के सब लठ्ठ लेकर पीछे पड़े हैं और एक ही बात सिद्घ करने पर तुले हैं कि मनमोहनजी कमज़ोर हैं, मजबूत नहीं हैं। पहले इस प्रकार की बातें सिर्फ भाजपा वाले ही कर रहे थे, अब तो यूपीए के कुछ सदस्यों ने भी इसे बाहरी समर्थन देना शुरु कर दिया है। हालांकि सोनिया भाभी, राहुल बाबा और प्रियंका बेबी के साथ-साथ सिब्बल, संघवी और शर्मा जैसे महारथी बारम्बार देश को भरोसा दिला रहे हैं कि चिन्ता की कोई बात नहीं, सिंह साहब पर्याप्त मजबूत हैं, लेकिन लोग हैं कि टस से मस नहीं हो रहे, बस एक ही गाना गा रहे हैं कि देश को मजबूत प्रधानमन्त्री चाहिए इसलिए लौहपुरूष लालकृष्ण अडवाणी या नरेन्द्र मोदी ही चाहिए।

अब अडवाणीजी या मोदीजी लौहपुरूष हैं या नहीं ? और हैं तो कितने बड़े लौहपुरूष हैं अथवा  कितना लोहा उनसे यह देश निकाल पायेगा इस मसले पर माथाफोड़ी करने का यह सही समय नहीं है। अभी तो चर्चा के हीरो डॉ. मनमोहन सिंह हैं। जो कि बाइपास सर्जरी के बावजूद जगह-जगह घूमकर देश-विदेश में भाषण  दे रहे हैं तथा  रात-दिन देश की चिन्ता में दुबले हुये जा रहे हैं जबकि  विरोधी लोग हैं कि उन्हें मजबूत ही नहीं मान रहे हैं। भई कमाल है। ये तो सरासर ज़्यादती है, ज़्यादती ही नहीं ज़ुल्म है।

अरे जिस आदमी के राज में कभी बनारस, कभी जयपुर, कभी असम, कभी अहमदाबाद, कभी मालेगांव तो कभी मोडासा में बम फूटते रहे लेकिन सैकड़ों लाशें देखकर भी जिसका दिल नहीं पसीजा, उसे आप मजबूत नहीं मान रहे?

सूरत में तापी, बिहार में कोसी, असम में ब्रहमपुत्र और यूपी में गंगा नदियों के कहर ने जो कोहराम मचाया था उससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की आँखें नम हो गयी थी। हजारों लोग मरे, लाखों मवेशी और पक्षी मरे, लाखों करोड़ रूपये का नुकसान हुआ लेकिन सिंह साहब और उनकी मण्डली का ध्यान सेंसेक्स में ही रमा रहा। इस तबाही पर भी जिसकी आँखें नहीं भीगी, उसे आप कमज़ोर बता रहे हैं ?  केदारनाथ की जिस लोमहर्षक विभीषिका पर पहाड़ों के पथरीले सीने भी फट पड़े........रब की आँखें भी हज़ारों शव एक साथ  देख भीग गयी होंगी ... वहां मरने वालों के अन्तिम संस्कार तक की प्रक्रिया को भी जिस व्यक्ति के राज में क्रूरता और अमानवीयता के साथ किया गया, उसे आप कमज़ोर मान रहे हैं ?


कुछ दिन पहले  पाकिस्तानियों ने हमारे जवानों के सिर काट डाले थे, कल रात को फिर  पाकिस्तानियों ने हमारे 5  जवान मौत के घाट उतार दिए जिस पर किसी तरह की जवाबी कार्रवाही अभी तक नहीं की गई, चीन हमारे इलाके में घुसा चला जा रहा है लेकिन मौनी बाबा का मौन व्रत कायम है .  दामिनी के साथ जो दरिन्दगी हुई या छतीसगढ़ में जो रक्तपात हो रहा है उसे देख कर जो बन्दा तनिक भी विचलित नहीं है  और लगातार वैश्विक स्तर पर भारत व भारतीय रूपये की वाट लगाने में जुटा हुआ है, उसे  कमज़ोर कहना उचित नहीं .......अरे यह तो हीरा है हीरा ...बल्कि उससे भी कहीं ज़्यादा कठोर . 

मुंबई में इतना बड़ा आतंकवादी हमला हुआ। पूरा देश जाग गया और पाकिस्तान के विरूद्घ कार्यवाई की मांग करने लगा, लेकिन इनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, तब भी आप इनको कमज़ोर बता रहे हो। अरे पाकिस्तान के रास्ते तालिबानी हत्यारे लगातार हमारे लिए खतरा बने हुये हैं और सारी सुरक्षा एजेन्सियां व गुप्तचर संस्थाएं सतर्कता बरतने की हिदायत दे रही हैं इसके बावजूद वे चुनाव प्रचार में जुटे हुये हैं। जिस आदमी को डर और भय नाम की चीज नहीं है, उसे आप मजबूत नहीं समझते? और तो और, आम आदमी आमतौर पर एक ही महिला से परेशान हो जाता है जबकि ये भला मानस घर में तो जो सहता है वो सहता है, घर से बाहर भी दिनभर एक महिला के इशारों पर नाचता है फिर भी आप उसे मजबूत नहीं कहते। अटल बिहारी वाजपेयी कुंवारे थे इसके बावजूद उनके घुटने खराब हो गये थे, इस आदमी का सामर्थ्य तो देखो, शादीशुदा है और इस उम्र में भी जनपथ पर उठक-बैठक लगाता है, लेकिन अभी तक उसके घुटने सही सलामत हैं...बोलो...और कितना मजबूत प्रधानमन्त्री चाहिए ?

चारों तरफ मौत नाच रही है। गुजरात में हीरा कारीगरों के परिवार आत्महत्याएं कर रहे हैं, महाराष्ट्र में किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं, बिहार में नक्सलवादी हत्याएं कर रहे हैं, पूंजी बाज़ार की गिरावट न जाने कितनी जानें ले चुकी है, उड़ीसा में अकाल और भुखमरी का ताण्डव हो रहा है और ऐसे में भी जो प्रधानमन्त्री पब्लिक के आंसू पोंछने के बजाय मुद्रास्फीति में कमी पर खुश हो रहा है और जीडीपी में वृद्घि बता-बताकर स्वयं ही अपनी पीठ ठोंक रहा है,

इतना मजबूत प्रधानमन्त्री मैंने तो आजतक नहीं देखा। भारत की क्या, पूरी दुनिया में नहीं देखा। इसलिए मेरा मानना है कि देश का नेता मजबूत नहीं चाहिए, अब तो जनता मजबूत चाहिए। नेता तो कमज़ोर ही चाहिए कमज़ोर यानी कम-ज़ोर अर्थात जो पब्लिक पर ज़ोर कम करे, ज़ुल्म कम करे, प्रधानमन्त्री ऐसा लाओ। कहीं ऐसा न हो, सरकार तो मजबूत बन जाए और जनता निर्बल बनी रहे।


प्लीज... जनता मजबूत बनाओ और अगली बार नरेन्द्र मोदी जैसा कोई ढंग का आदमी दिल्ली पहुँचाओ ताकि  ये देश बचा रहे ...देश की अस्मिता बची रहे  और देश की एकता व अखंडता बची रहे .

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 








आज मित्रता दिवस के मौके पर कुछ खास दोहे लेकर हाज़िर हूँ happy friendship day

प्यारे दोस्तों

आज  मित्रता दिवस के मौके पर कुछ खास दोहे लेकर हाज़िर हूँ . 

आशा है यह वीडियो आपको पसंद आएगा 

जय हिन्द ! 

https://www.youtube.com/watch?v=sY1CSQOjgSI


जिस देश के समृद्ध किसान सिर्फ़ इसलिए आत्महत्याएं कर रहे हैं ताकि स्वर्ग में जा कर रम्भा का नृत्य देख सकें


"मेरी भावना का लोकतन्त्र वह है 

जिसमें छोटे से छोटे व्यक्ति की आवाज़ को भी 

उतना ही महत्व मिले 

जितना एक समूह की आवाज़ को" - महात्मा गांधी


हाय बापू !

औपचारिक प्रणाम ।

समाचार ये है कि आपको कोई टेन्शन लेने की ज़रूरत नहीं है ।

आप वहां आराम से अपनी बकरी का दूध पीजिये और स्वर्ग का

मज़ा लीजिये, यहाँ सब ठीक चल रहा है । लोकतन्त्र बिलकुल

आपकी भावनाओं को समझ रहा है इसलिए मन्त्री लोगों के

छोटे से छोटे रिश्तेदार को भी उतना ही महत्व दिया जा रहा है

जितना कि बड़े बड़े जन समूह को दिया जाना चाहिए । ख़ासकर

10 जनपथ से तो अगर कोई कुत्ता भी आ जाये सूंघते हुए तो

अच्छे अच्छे अधिकारियों और कर्मचारियों की पतलूनें गीली हो

जाती हैं



बापू ,

अब हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में कोई ऊंच नीच नहीं है, सब नीच

ही नीच है इसलिए चिन्ता की कोई बात नहीं है । देश बहुत तरक्की

कर चुका है । आप ख़ुद ही सोचो जिस देश में 20 रूपये लीटर पानी

बिक रहा है, जिस देश के समृद्ध किसान सिर्फ़ इसलिए आत्महत्याएं

कर रहे हैं ताकि स्वर्ग में जा कर रम्भा का नृत्य देख सकें क्योंकि

मुम्बई में आजकल डान्स बार बन्द हैं और किसान व मज़दूर इतने

रईस हो गये हैं कि बिना अय्याशी किये रह ही नहीं सकते उस देश

की ख़ुशहाली के क्या कहने ।



ख़बरें अभी और भी हैं लेकिन मुझे शाम के लिए बाटली का इन्तज़ाम

करना है इसलिए नमस्कार आज तक - इन्तज़ार कीजिये अगली

बार तक. . .

जय हिन्द



हिन्दी कविता ' वो तन में भी समाया है वो मन में भी समाया है ' - अलबेला खत्री

 वो तन में भी समाया है वो मन में भी समाया है


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