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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

ये देख कर आज मन लज्जित है

एक ईमानदार प्रशासक

यशवंत सोनावणे

को ज़िन्दा जलाने वालों को

रोकने वाला कोई नहीं............


लेकिन

अपने ही मुल्क़ में

तिरंगा यात्रा रोकने वालों के लिए

पूरा तन्त्र सज्जित है


ये देख कर

आज मन लज्जित है



राष्ट्र नज़रबन्द

और

राष्ट्रघाती स्वतन्त्र है

इससे

ये प्रमाणित होता है कि

आज भारत में

गणतंत्र नहीं,

गनतन्त्र है



गनतंत्र मुबारक !

जय हिन्द !


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एक छन्द नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम



एक-एक चेहरा मायूस सा हताश सा है

एक-एक चेहरा उदास मेरे देश में


भाई आज भाई का शिकार खेले जा रहा है

बहू को जला रही है सास मेरे देश में


इतना सितम सह के भी घबराओ नहीं,

तोड़ो नहीं बन्धु यह आस मेरे देश में


टेढ़े-मेढ़े लोगों को जो सीधी राह ले आएगा,

पैदा होगा फिर से सुभाष मेरे देश में




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विश्व की सर्वाधिक लम्बी ब्लोगर्स मीट में योगेन्द्र मौदगिल की उदारता और अलबेला खत्री का शाक परांठा

प्यारे मित्रो !

सर्दी के आलम में आप सबको मेरा गरमा-गरम नमस्कार !


चूँकि अभी अभी थोड़ी फ़ुर्सत मिली है, इसलिए सर्वप्रथम मैं आपको

बताता हूँ दास्ताँ उस चिट्ठाकार संगोष्ठी की जिसे हिन्दी ब्लोगिंग के

इतिहास में सर्वाधिक लम्बी "हिन्दी ब्लोगर्स मीट" के रूप में दर्ज़

किया जाएगा लीजिये, आप भी शामिल हो कर आनन्द लीजिये :



पहला सत्र :
सूरत में 26 दिसम्बर 2010, शाम 7 बजे

मेज़बान अलबेला खत्री ने मुख्य अतिथि कविवर योगिन्द्र मौदगिल का

सस्नेह-आलिंगन कर के स्वागत किया और उनके पसन्दीदा सोमरस

"
सिग्नेचर" से अभिनन्दन किया श्री मौदगिल ने भी बड़ी उदारता

बरतते हुए, तब तक अविरल सोमपान किया जब तक कि वो पूर्णतः

टुलत्व को प्राप्त नहीं हो गये। सोडा और कोकाकोला का उपयोग

ज़्यादा नहीं किया, क्योंकि उनका मानना था कि अच्छी और स्वस्थ

ब्लोगिंग के लिए सोडा के बजाय पानी मिश्रित सोमपान ही श्रेयस्कर

है क्योंकि सोडा मिश्रित होने से कालान्तर में हाथों के कम्प-कम्पाने

का रोग लग सकता है जो कि एक सक्रिय ब्लोगर के लिए अफोर्डेबल

नहीं
है



चूँकि श्री मौदगिल भुसावल के कवि सम्मेलन में काव्य-पाठ करके लौटे

थे और वहाँ ख़ूब जम-जमा कर आये थे, इसलिए जीते हुए जुआरी की

तरह कुछ ज़्यादा ही चौड़े हो रहे थे लिहाज़ा जब उनसे "हिन्दी ब्लोगिंग

की दशा और दिशा" पर पत्र-वाचन के लिए कहा गया तो उन्होंने अत्यन्त

गम्भीर हो कर कहा, "हिन्दी ब्लोगिंग शब्द साधना की एक ऐसी

मधुशाला है जहाँ संत भी आते हैं, कंत भी आते हैं और चंट भी आते हैं

संत रोज़ कुछ कुछ उम्दा पोस्ट प्रस्तुत करते हैं, कंत उन पर अपनी

टिप्पणियों से सराहना की मुहर लगाते हैं और चंट किस्म के लोग

मीन-मेख निकाल कर उस पर बबाल खड़ा करते हैं "


वे इस विषय में बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन भूख भी कोई चीज़

होती है भाई, जिसे शान्त करना पड़ता है अरे लाहनत है ऐसे मेज़बान

पर जो मेहमान को भूखा रख कर उससे प्रवचन सुने, ऐसी मेरी मौलिक

मान्यता है इसलिए मैंने उनसे उठ कर खाना खाने चलने को कहा चलने

को इसलिए कहा क्योंकि गुड्डू की माँ गुड्डू के साथ औरंगाबाद गई हुई

थी और अपनेराम घर में अकेले थे लेकिन मौदगिल जी ने हिसाब

लगाया कि आने जाने और वहां खाने में कम से कम दो घंटे लग जायेंगे

जबकि इससे कम समय में खाना घर में ही बना कर खाया जा सकता है

फिर क्या था, मैंने आटा गूंथा, मौदगिल जी ने आलू, हरी मिर्च, लहसुन,

टमाटर इत्यादि काटे और मैंने एक चूल्हे पर सब्ज़ी और दूजे पर परांठे

बना कर साबित कर दिया कि आज का हिन्दी ब्लोगर आत्म-निर्भर है


खाना खा पी कर घड़ी देखी तो तड़के के तीन बज चुके थे, लिहाज़ा

जल्दी-जल्दी एक दो ब्लोगरों की निंदा करके मैंने सो जाने का प्रस्ताव

रखा जिस पर सो जाने के लिए तो वे सहमत होगये लेकिन निंदा के लिए नहीं,

उनका तर्क था कि अपनी नींद खराब करके दूसरे की निंदा करने में कोई लाभ

नहीं, निंदा ऐसी हो जो सामने वाले की नींद उड़ा दे..........मैंने विनम्रता पूर्वक

उनका बिस्तर लगा दिया और वो एक शरीफ़ आदमी की तरह सो गये


अब जब वो सो गये तो मैं अकेला बैठा क्या झख मारता ? मैं भी सो गया

उठने के बाद क्या हुआ ? ये जानने के लिए एक बार फिर आईयेगा यहीं,

इसी जगह ............अगले अंक में


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सिंगापोर में प्रदीप चौबे, कुमार विश्वास, अलबेला खत्री और सुनील जोगी पहली बार एक साथ, एक मंच पर.....






हँसना मना है "हास्य कवि सम्मेलन' को ले कर सिंगापोर के हिन्दी

हास्य प्रेमियों में ज़बरदस्त उत्साह है


चाइनीज़ नव वर्ष ले अवसर पर आगामी 5 फरवरी 2010 को होने वाले

इस हास्य महोत्सव में प्रदीप चौबे, कुमार विश्वास, अलबेला खत्री और

सुनील जोगी पहली बार एक साथ प्रस्तुति देंगे


आशा है, यह कार्यक्रम अत्यन्त सफल रहेगा,

विस्तृत रिपोर्ट वहां से लौट कर बताऊंगा


- अलबेला खत्री





हर व्यक्ति के लिए मज़दूरी लाज़िमी क्यों होनी चाहिये

लोग कभी कभी पूछते हैं, "हर व्यक्ति के लिए मज़दूरी लाज़िमी क्यों होनी

चाहिये ?" मैं पूछता हूँ, "हर एक के लिए खाना क्यों ज़रूरी होना चाहिए ?"

पूछा जाता है कि ज्ञानी मज़दूरी क्यों करे ? व्याख्यान क्यों दे ?

मैं पूछता हूँ कि ज्ञानी भोजन क्यों करे ? केवल ज्ञानामृत से ही तृप्त क्यों

रहे ? उसे खाने,पीने और सोने की क्या ज़रूरत है ?


-विनोबा भावे


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हिन्दी चिट्ठाकारों की सबसे लम्बी और सार्थक संगोष्ठी





अब तक की सबसे लम्बी और सार्थक "हिन्दी ब्लोगर्स मीट" क्षमा करें,

हिन्दी चिट्ठाकार संगोष्ठी हाल ही सम्पन्न हुई जिसमे अनेक बड़े और

कड़े निर्णय लिए गये, समयाभाव के कारण ये समाचार आप तक देर

से पहुँच रहा है



गत 26 दिसम्बर 2010 की शाम सूरत में आरम्भ हुई इस अद्भुत

चिट्ठाकार संगोष्ठी का पहला दूसरा सत्र सूरत में, तीसरा सत्र दादरा

नगर हवेली की राजधानी सेलवास में, चौथा सत्र केमिकल सिटी वापी

में, पांचवां सत्र दिल्ली में, छठा सत्र पानीपत में, सातवाँ सत्र सोनीपत में

और आठवां अन्तिम सत्र 2 जनवरी 2011 को सांपला में सम्पन्न हुआ



विस्तृत और मज़ेदार, लज्ज़तदार रपट के लिए कृपया प्रतीक्षा करें क्योंकि

इस समय मैं अखिल भारतीय तेरा पन्थ महिला मण्डल द्वारा कन्या भ्रूण

हत्या के विरोध में चलाये जा रहे विराट अभियान के लिए नृत्य नाटिका

लिखने में व्यस्त हूँ


तो जल्द ही मिलते हैं एक हाहाकारी रिपोर्ट के साथ.............




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लोहड़ी, मकर संक्रान्ति एवं उत्तरायण की हार्दिक बधाई




सभी
मित्रों को

सपरिवार

लोहड़ी

मकर संक्रान्ति

एवं

उत्तरायण

की

हार्दिक बधाई

एवं

मंगल कामनाएं


-अलबेला खत्री, आरती खत्री एवं आलोक खत्री

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नारी न होगी जगत में तो जल जायेगा संसार




क्षिति,जल,पावक,गगन,समीरा, पंच तत्त्व कहलाते हैं

इन्हीं पाँच से परमपिता प्रभु सुन्दर सृष्टि सजाते हैं


दो धुरियों पर टिकी हुई है कालचक्र की गतिविधि सारी

एक धुरी है नर नारायण, दूजी धुरी है भगवती नारी


नर-नारी के मधुर मिलन से सारी दुनिया चलती है

पैदा होती, पल्लवित होती, फूलती है और फलती है


फिर क्यों सारी दुनिया करती केवल नर की अगवानी

क्यों नारी के आँचल में है पीड़ा और आँखों में पानी


यह पानी यदि नारी-हृदय से लावा बन कर फूट पड़ेगा

फट कर रह जायेगी वसुधा, सारा अम्बर टूट पड़ेगा


जल,थल,अनल व गगन,पवन,सब उगलेंगे अंगार

नारी न होगी जगत में तो जल जायेगा संसार


-अलबेला खत्री



प्यारे ब्लोगर मित्रो !
सादर नमस्कार

पिछले कुछ दिनों से लेखनीय और मंचीय व्यस्तता इतनी बढ़ गई है न तो नींद पूरी हो रही है न आराम, लेकिन काम तो काम है और हर हाल में करना है, परन्तु इस चक्कर में मैं किसी भी ब्लॉग को बाँच नहीं पा रहा हूँ..............जैसे ही ज़रा फुर्सत मिलेगी, एक साथ सबको पढ़ के टिप्पणी के साथ हाज़िर होऊंगा . मेरे मित्र कृपया मेरी विवशता समझेंगे और स्नेह बनाए रखेंगे

-अलबेला खत्री


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सिंगापोर में "हँसना मना है" लेकिन अलबेला खत्री मानेगा नहीं, हँसा कर ही आएगा ........




आप भी आशीर्वाद दें कि सिंगापोर में " हँसना मना है "

सुपर डुपर हिट हो..............



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हास्यकवि सम्मेलन इन सांपला में अलबेला खत्री का एक और वीडियो आपकी हँसी के लिए

'सांपला सांस्कृतिक मंच' आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन अनेक मायनों में अभूतपूर्व सफल रहा


सन 2011 के प्रथम दिन यानी 1 जनवरी की रात 'सांपला सांस्कृतिक मंच'

द्वारा सांपला ( हरियाणा ) में आयोजित अखिल भारतीय हास्य कवि

सम्मेलन अनेक मायनों में अभूतपूर्व सफल रहाकड़ाके की सर्दी के

बावजूद लोग बड़ी संख्या में आये और 11 बजे तक चलने वाला कार्यक्रम

रात लगभग 2 बजे तक चला


यों तो पिछले कई दिनों से लगातार कवि-सम्मेलनों में ही व्यस्त था लेकिन

मैं सबसे पहले सांपला का ज़िक्र इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि ये अपने आप में

ख़ास थाये एक कड़ा इम्तेहान था हमारे एक प्रिय ब्लोगर बन्धु अमित उर्फ़

अन्तर सोहेल के लिए जिसमे वे 100000000% उत्तीर्ण हुए



# बन्धुवर योगेन्द्र मौदगिल की प्रेरणा से अन्तर सोहेल ने कवि-सम्मेलन

आयोजित कर तो लिया परन्तु उन्हें अपने ही नगर में उन प्रमुख लोगों से

वो समर्थन और सहयोग नहीं मिला जिसकी उन्हें दरकार थीहालाँकि

योगेन्द्र जी के कहने से कवियों ने बहुत ही कम मानदेय पर अपनी

उपस्थिति और प्रस्तुति दी थी परन्तु अन्य बहुत से खर्च होते हैं जैसे-

सभागार, साउंड सिस्टम, प्रचार- प्रसार के पोस्टर, बैनर, मंचीय

साज-सज्जा, स्मृति चिन्ह, कवियों के ठहरने और भोजन का प्रबन्ध,

कुर्सियां, गद्दे और जाने क्या क्या ...इन सब पर काफी पैसा खर्च होता है

जिसे अन्तर सोहेल की दस सदस्यीय आयोजन टीम ने स्वयं वहन किया

अर्थात किसी को कोई टिकट बेचीं और ही सहयोग राशि किसी से

मांगीइस पर तुर्रा ये कि लोगों ने सहयोग देना तो दूर, उलटे बाधाएं ही

खड़ी कीं - यहाँ तक कि कवि सम्मेलन के पोस्टर तक फाड़ दिये



# सर्दी इतनी ज़्यादा थी कि लगता था कोई भी श्रोता अपने घर के

सुख-आराम छोड़ कर नहीं आएगा परन्तु माँ सरस्वती की कृपा ऐसी रही कि

जैसे जैसे महफ़िल जवान होती गई, लोगों के झुण्ड के झुण्ड आने शुरू हो

गयेस्थिति ये हुई कि सभागार की सब कुर्सियां और बालकनी की अतिरिक्त

कुर्सियां तो भर ही गईं, लोगों के लिए खड़े होने तक की जगह नहीं बची थी

.........याने डबल house full



# निसन्देह सभी कवियों ने बहुत उम्दा प्रस्तुति दी और प्रोग्राम ख़ूब जमा

जिसके फलस्वरूप सांपला नगर के प्रमुख लोग प्रभावित हुए और उन्होंने

मंच पर आकर घोषणा की कि ऐसा कार्यक्रम हम प्रतिवर्ष करेंगे और अगले

आयोजन में अन्तर सोहेल और उनके द्वारा स्थापित "सांपला सांस्कृतिक

मंच" को भरपूर सहयोग देंगे



# सांपला में जब कभी भी कवि-सम्मेलन का इतिहास लिखा जायेगा,
\
इस कार्यक्रम को प्रमुख स्थान दिया जायेगा क्योंकि यह उस नगर का पहला

कवि सम्मेलन थापहला ही आयोजन इतना सफल रहा कि सबको

आनन्द गया



# भाई अन्तर ने कवियों की सेवा में बहुत ध्यान दिया और सबको ख़ूब

अच्छा सम्मान दियाभोजन व्यवस्था तो कमाल थी............मैं अपनी

तरफ से सांपला सांस्कृतिक मंच को हार्दिक बधाई देता हूँआप चाहें तो

आप भी अपनी टिप्पणियों से बधाई दे सकते हैंवैसे एक राज़ की बात

बताता हूँ .....किसी से कहना नहीं ..........मेरे 28 साल के मंचीय जीवन में

ये पहला मौका था जब मैंने बिना नहाए और बिना कपड़े बदले मंच पर

प्रस्तुति दी...........लेकिन मंच संचालन ऐसा ज़बरदस्त किया कि सोचता हूँ

आगे से हर प्रोग्राम बिना नहाए और बिना कपड़े बदले ही करूँ....आपका क्या

विचार है ? क्या ये टोटका ठीक रहेगा ? बोलोना ..कुछ बोलते क्यों नहीं ?



# लीजिये.......एक झलक आपके लिए भी........देखिये और मज़ा लीजिये :





-अलबेला खत्री

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