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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

अपना नाम 'अलबेला खत्री' से बदल कर 'अल्पसंख्यक' रख लूं ?


सोच रहा हूँ
अपना नाम 'अलबेला खत्री' से बदल कर 'अल्पसंख्यक' रख लूं

हो सकता है किरपा यहीं अटकी पड़ी हो ,,,,

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



पहली पहली बार का मज़ा,,,,,,,,,,



कवियों को पहली पहली बार किसी जगह कवि-सम्मेलन करने का जो आनन्द  आता है वह अनूठा होता है, अविस्मरणीय होता है और आत्मतुष्टिदायक भी होता है . यह मेरा सौभाग्य व माँ शारदा की अनुकम्पा ही है कि ऐसा आनन्द लूटने का अवसर मुझे अनेक बार मिला है, बार-बार मिला है .  देश - विदेश में ऐसे कई संयोग बने जहाँ आयोजन करने वालों को यह भी पता नहीं था कि कवि सम्मेलन होता क्या है ? क्या कोई ड्रामा, नौटंकी, तमाशा या आर्केस्ट्रा जैसा होता है या शास्त्रीय संगीत जैसा ,,,,,,,,,,किष्किन्धा के गंगावती, कोलार गोल्ड फ़ील्ड, केरला के रमाडा, आंध्र के चिवपल्ली, कोंकण के एलोन इत्यादि जगहों पर तो आयोजकों ने विकल्प के तौर पर कवि गण के साथ साथ वहाँ के मिमिक्री या लोकल गायकों को भी बुला रखा था ताकि कवि सम्मेलन यदि न जमे तो दर्शकों को अन्य कलाओं से खुश किया जा सके - परन्तु  कमाल है कि सभी जगह शानदार आयोजन हुए और तीन  घंटों की जगह पांच पांच घंटे तक चले

खैर, ये सब तो अहिन्दी भाषी क्षेत्र थे, मज़ा तो ये है कि हिन्दी भाषी हरियाणा में दिल्ली के समीपवर्ती  सांपला में भी पहली पहली बार योगेन्द्र मौदगिल के संयोजन में हमने ही कवि सम्मेलन किया था जो आज हर साल होता है

इसी शृंखला में ताज़ा नाम जुड़ा है गुजरात में वलसाड के पास पारडी का ,,,,,,,गणतन्त्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी की शाम वहाँ नगर पालिका द्वारा पहली पहली बार एक भव्य हिन्दी हास्य कवि सम्मेलन हुआ जिसमें दर्शकों से खचाखच भरा पण्डाल देर रात तक ठहाकों से गूंजता रहा और नरेंद्र बंजारा के मंच संचालन में सुदीप भोला, गोविन्द राठी, अलबेला खत्री व डॉ कार्तिक भद्रा की कविताओं ने महफ़िल लूट ली

मुख्या मेहमान धारासभ्य कनु भाई एम देसाई सिर्फ़ 10 मिनट के लिए आये थे, परन्तु ऐसे बैठे कि चार घंटे तक हिले भी नहीं, इसी प्रकार पालिका प्रमुख शरद एम देसाई  तथा उप प्रमुख अनीता के पटेल समेत सभी माननीय पार्षद और अधिकारी भी  आखिर तक जमे रहे - कविगण का भव्य सत्कार भी किया गया और उनकी कला को वाहवाही भी खूब मिली --और क्या चाहिए ?

जय हिन्द !
अलबेला खत्री
hindi hasya kavi sammelan in pardi gujarat

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अपनेराम ने भी एक राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली


लो जी,  "जब प्यार किया तो डरना क्या" वाले इस्टाइल में आज अपनेराम  ने भी एक राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली, भावी प्रधानमन्त्री के लिए सहयोग राशि भर दी, पार्टी फण्ड के लिए डोनेशन भी दे दिया और विभिन्न मदों में 1675 रूपया भी भर दिया

अब ये नहीं बताऊंगा कि किस पार्टी की सदस्यता के लिए ऑनलाइन फ़ॉर्म और पैसा भरा है -बताने की ज़रूरत भी क्या है, आपको सब मालूम ही है … हा हा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


इससे पहले कि हर आदमी अपने हाथ में जूता ले ले, तुम लाईन पर आ जाओ

aam aadmi nahin hoon main

मैं आज अपना सीना ठोक के कहता हूं कि मैं भारत गणतंत्र का नागरिक हूं। नागरिक इसलिए हूं क्योंकि नगर में रहता हूं और सीना इसलिए ठोक रहा हूं क्यूंकि एक तो इससे वक्ता की बात में वजन आ जाता है, दूसरे सीना भी अपना है और ठोकने वाले भी अपन ही हैं इसलिए किसी दूसरे की आचार संहिता भंग होने का डर नहीं है। हालांकि मैं सीने के बजाय पीठ भी ठोक सकता हूं, लेकिन ठोकूंगा नहीं, क्यूंकि एक तो वहां तक मेरा हाथ ठीक से नहीं पहुंचता, दूसरे ज्यादा ठुकाई होने से पीठ में दर्द हो सकता है और तीसरे मैं एक कलाकार हूं यार, कोई झाड़ूवाल टाइप नेता थोड़े न हूं जो अपने ही हाथों अपनी पीठ ठोकता रहूं।

सरकारी और गैर सरकारी सूत्र मुझे आम आदमी कह कर चिढ़ाते हैं जबकि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मैं कोई आम-वाम नहीं हूं। आम क्या, आलू बुखारा भी नहीं हूं, हां चाहो तो आलू समझ सकते हो क्योंकि एक तो मैं जमीन से जुड़ा हुआ हूं। दूसरे मेरी खाल इतनी पतली है कि कोई भी उधेड़ सकता है, तीसरे गरीब से गरीब और अमीर से अमीर, सभी मुझे एन्जॉय कर सकते हैं और चौथे हर मौसम में, हर हाल में सेवा के लिए मैं उपलब्ध रहता हूं। न मुझे गर्मी मार सकती है न सर्दी, लेकिन मुझे आलू नहीं, आम कहा जाता है और इसलिए आम कहा जाता है ताकि मेरे रक्त को रस की तरह पिया जा सके। हालांकि ये रक्त पिपासु भी कोई बाहर वाले नहीं हैं, अपने ही हैं, बाहर वाले तो जितना पी सकते थे, पीकर पतली गली से निकल लिए, अब अपने वाले बचाखुचा सुड़कने में लगे हैं। मजे की बात ये है कि बाहर वाले तो कुछ छोड़ भी गए, अपने वाले पठ्ठे तो एक-एक बून्द निचोड़ लेने की जुगत में है।

कल रात एक भूतपूर्व सांसद से मुलाकात हो गई। हालांकि वे भूतपूर्व होना नहीं चाहते थे लेकिन होना पड़ा क्योंकि भूतकाल में उन्होंने एक अभूतपूर्व काम कर किया था। (लोगों से रुपया लेकर संसद में सवाल पूछने का) जिसके चलते वे एक स्टिंग आप्रेशन की चपेट में आ गए और भूत हो गए। मैंने पूछा, 'भूतनाथजी, ये नेता लोग जनता को आम जनता क्यों कहते हैं? वो बोले, वैसे तो बहुत से कारण हैं लेकिन मोटा-मोटी यूं समझो कि आम जो है, वो फलों का राजा है और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता ही असली राजा होती है, शासक तो बेचारा सेवक होता है। दूसरा कारण ये है कि आम का सीजन, आम चुनाव की तरह कुछ ही दिन चलता है, बाकी समय तो बेचारा लापता ही रहता है, लेकिन तीसरा और सबसे खास कारण ये है कि आम स्वादिष्ट बहुत होता है। इसे खाने में मजा बहुत आता है, चाहे किसी प्रान्त का हो, किसी जात का हो, किसी रंग का हो अथवा किसी भी साइज का हो।

आम के आम और गुठलियों के दाम तो आपने सुना ही होगा, जनता को आम कहने का एक कारण ये भी है कि इसे खाने में कोई खतरा नहीं क्यूंकि न तो इनमें कीड़े पड़ते है, न इसकी गुठली में कांटे होते हैं और न ही इनसे अजीर्ण होता है, अरे भाई आम तो ऐसी चीज है कि लंगड़ा हो, तो भी चलता है। मैंने कहा, नेताजी आप एक बात तो बताना भूल ही गए कि आम हर उम्र में उपयोगी होता है।

कच्चा हो तो अचार डालने के काम आता है, पका हुआ रसीला हो तो काट-काट के खाया जा सकता है और बूढ़ा, कमजोर व पिलपिला हो तो चूसने के काम आता है लेकिन सावधान विश्वासघाती नेताजी..अब आदमी को आम आम उसका रक्त पीना छोड़ दो, क्योंकि वो अब तुम्हारी कुटिलता को समझ गया है। जिस दिन नरेन्द्र मोदी जैसा कोई दबंग बन्दा राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए दिल्ली में आ जाएगा उस दिन आप जैसे स्वार्थी, मक्कार और दुष्ट नेताओं का राजनीतिक कार्यक्रम, किरिया क्रम में बदल जाएगा। इसलिए सुधर जाओ, अब भी मौका है।

उसने मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरा। मैंने कहा, घूरते क्या हो? समय बदल चुका है। जिस जनता को तुम पांव की जूती समझते थे वो अब जूते चलाना सीख गई है। इससे पहले कि हर आदमी अपने हाथ में जूता ले ले, तुम लाईन पर आ जाओ वरना ऐसी ऑफ लाइन पर डाल दिए जाओगे जहां से आगे कोई रास्ता नहीं होगा आपके पास। विश्र्वास नहीं होता तो जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को ही देख लो जो अब घर बैठ गए हैं। नेताजी मेरी बातों से उखड़ गए और चलते बने। मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया, लेकिन मेरे मन में एक विजेता जैसी सन्तुष्टि है। मैंने सिद्ध कर दिया कि मैं कोई आम नहीं हूं।

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

hasya kavi sammelan ahmedabad with albela khatri

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शहीद हेमराज की पत्नी को पाकिस्तानियों के 26 शीश भेंट करते हुए भारतीय सैनिकों की झाँकी


काश !
गणतन्त्र दिवस समारोह में आज इन झाँकियों का प्रदर्शन भी होता :

# अमर शहीद हेमराज की पत्नी को पाकिस्तानियों के 26 शीश भेंट करते हुए भारतीय सैनिकों की झाँकी

# 26 -01 -2001 के प्रलयंकारी भूकम्प से लहूलुहान हो चुके गुजरात को अपने पुरुषार्थ से उन्नति के अभिनव शिखर तक पहुंचाते हुए नरेन्द्र मोदी के अथक परिश्रम की झाँकी

# 2 G, DLF, CWG, कोयला इत्यादि के महाघोटालों से भारत की जनता को लूटते हुए कांग्रेसियों के काले चेहरों की झाँकी

# दिल्ली में रातदिन हो रहे सामूहिक बलात्कारों और हत्याकाण्डों की झाँकी

# मुजफ्फरनगर के दंगों पर बेशर्मी का नंगा नाच करती यूपी सरकार द्वारा आयोजित सैफई के रासरंगों की झाँकी

____आपका क्या ख्याल है ?

अलबेला खत्री



mulayamsingh ko netaji kahna NETAJI SUBHASHCHANDRA BOSE KA APMAAN HAI


प्यारे मित्रो !
नरेन्द्र मोदीजी का मैं बहुत आदर व सम्मान करता हूँ परन्तु  गोरखपुर की रैली में उन्होंने मुलायमसिंह के लिए  जो सम्बोधन काम में लिया  उससे मुझे बहुत दुःख भी हुआ है.  मुझे कतई उम्मीद नहीं थी कि मोदीजी अपने भाषण में मुलायमसिंह को "नेताजी" कह कर ललकारेंगे ..........  मोदीजी के समर्थकों को मेरा कथन भला लगे या बुरा, परन्तु  मैं मुलायमसिंह को "नेताजी" नहीं कह सकता

"नेताजी" सिर्फ़ एक  हुए हैं अब तक,  इसलिए "नेताजी"  शब्द सुनकर एक ही छवि हमारे सामने उपस्थित होती है और वो छवि है "नेताजी" सुभाषचन्द्र बोस की

"नेताजी" के पाँव की जूती के नीचे लगी धूल में चिपके हुए गन्दे कीटाणु भी मुलायमसिंह जैसे आजकल के नेताओं से कहीं अधिक पवित्र और कहीं अधिक गौरवपूर्ण है - हो सके तो मोदीजी इस भूल को स्वीकार करें और भविष्य में कभी किसी भी नेता को पुकारते हुए "नेताजी" न कहें
जय हिन्द !
अलबेला खत्री


मेनका गांधी ने नरेन्द्र मोदी को शेर और राहुल गांधी को चिड़िया बताया है, ये बहुत गलत बात है


मेनका गांधी ने आज नरेन्द्र मोदी को शेर और राहुल गांधी को चिड़िया बताया है.  ये बहुत गलत बात है.  मुझे उनके इस बयान पर कड़ी आपत्ति है और मैं इस पर अपना क्रोधपूर्ण विरोध दर्ज़ करता हूँ  क्योंकि  चिड़िया तो मासूम होती है और दया की पात्र होती है जबकि कांग्रेस तो घाघ है, मक्कार है और चालाक है .  किसी कांग्रेसी को चिड़िया कहना चिड़िया पर अत्याचार करना है  ये बात मेनका गांधी को नहीं भूलना चाहिए

मेरी आँखों से देखा जाये तो मोदी अगर शेर है तो राहुल लोमड़  है,  मोदी हाथी है तो राहुल लक्कड़बग्घा है,  मोदी गरुड़  है तो राहुल सपोला है और मोदी अगर कप्तान  है तो राहुल चपरासी ………हा हा हा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 




मैंने वज्रपुरुष नरेन्द्र मोदी को देखा है और जल्दी ही प्रधानमन्त्री बनते हुए भी देखूंगा


मुझे अफ़सोस है कि मैंने लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को साक्षात् नहीं देखा, लेकिव मुझे आनन्द है कि मैंने वज्रपुरुष नरेन्द्र मोदी को देखा है और जल्दी ही प्रधानमन्त्री बनते हुए भी देखूंगा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

hasyakavi albela khatri support narendra modi

जो आदमी अपनी मातृभूमि का मज़ाक उड़ा सकता है, वो किसी केजरीवाल का या अमेठी का हो हितैषी हो जाएगा, ऐसा सोचना ही मूर्खता है



वाह रे विष वास !
मेरे मुक्तक को अपने बाप का माल समझ कर बेच रहा है


आज ज़ी न्यूज़ पर DNA कार्यक्रम में कुमार विषवास को नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ में बालकवि बैरागी की एक कविता पढ़ते हुए सबने  देखा, साथ ही और भी बहुत कुछ बोलते दिखाया गया - मुझे ये कहना है कि उस बहुत में 'बहुत' तो उसी का था  लेकिन 'कुछ' जो था वो अलबेला खत्री था --- उसने मेरा मुक्तक बिना मेरा नाम लिए, यों अधिकारपूर्वक सुना दिया जैसे वो मेरा गोद लिया हुआ बेटा हो और मैं उसका माना हुआ बाप हूँ

नरेन्द्र मोदी के गुजरात की तारीफ़ करते हुए उसने  खुद की मातृभूमि उत्तर प्रदेश का कितना मज़ाक और  मखौल उड़ाया है, उसका वीडिओ भी मैं आपको दिखाऊंगा लेकिन इस अवसरवादी और कविताचोर को आगे बढ़ाने में नरेन्द्र मोदी का बहुत बड़ा योगदान है, ये बात मुझे तो याद है, भक्कड़जी को भी याद है  और गुजरात हिन्दी समाज वालों को भी याद है, लेकिन वो ऐहसानफ़रामोश भूल गया है ---- वो भूल गया है कि कितने प्रोग्राम, कितनी पब्लिसिटी और कितना धन उसे  गुजरात से सिर्फ़ इस बिना पर मिला कि उस पर मोदीजी की कृपादृष्टि थी

उसके कई सक्रिय चेले चपाटे जो अक्सर फ़ेसबुक पर मुझे मेरी औक़ात याद दिलाते रहते हैं,  मेरा उनसे खुला मशविरा है कि अगर उन्होंने उसके नाम का गंडा न बाँध रखा हो अथवा उससे कोई अनैतिक सम्बन्ध नहीं हों, तो पूछें उससे कि ये मुक्तक किसका है :

निग़ाह उट्ठे तो सुबह हो, झुके तो शाम हो जाए
अगर तू मुस्कुरा भर दे तो क़त्लेआम हो जाए
ज़रूरत ही नहीं तुमको मेरी बाँहों में आने की
जो ख्वाबों में ही आ जाओ तो अपना काम हो जाए


(1998 में प्रकाशित  'सागर में भी सूखा है मन' में शामिल अलबेला खत्री की यह और ऐसी अनेक रचनायें ( जो वह पढता है ) 1993 में फ़िल्म राइटर्स एसोसिएशन में पंजीकृत भी है, कॉपीराइट के बल पर मैंने आज तक कानूनी कार्रवाही केवल इसलिए नहीं की क्योंकि उसके कई चहेते कवि ( जिन्हें वह अपना चिंटू कहता है) मुझ पर आरोप लगाते कि मैं  उसकी सफलता और लोकप्रियता से जलता हूँ

__हालांकि इस मुक्तक को एक और कवि बलवंत बल्लू भी सुनाता है परन्तु वो बेचारा विकलांग है, इसलिए मुझे उसके काम आने में कोई आपत्ति नहीं है परन्तु विषवास तो विकलांग नहीं है फिर क्यों औरों के मसाले बेच कर अपना घर भर रहा है ?

नज़ीर अकबराबादी और इकबाल जैसे पुराने शायरों से ले कर  कुंवर बेचैन, हस्तीमल हस्ती होते हुए अलबेला खत्री तक सबकी कवितायें धड़ल्ले से सुनाता है  कोई उस पर संज्ञान भी नहीं लेता, क्या यह इस बात का द्योतक नहीं है  कि मंच पर बैठे बाकी सभी कवि केवल  इसलिए खामोश रहते हैं कि सबकी अपनी अपनी व्यावसायिक सैटिंग है

जो आदमी अपनी मातृभूमि का मज़ाक उड़ा सकता है, अपनी  बदतमीज़ियों से काव्य मंच को दूषित कर सकता है और जो इतना कुछ हासिल करके भी मोदी का कृतज्ञ न हो पाया, वो किसी  केजरीवाल का या अमेठी का हो हितैषी हो जाएगा, ऐसा सोचना ही मूर्खता है

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 




स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर आज उनके कुछ वचन साझा कर रहा हूँ

स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर 
आज उनके कुछ वचन आप सब मित्रों से साझा कर रहा हूँ

1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।

2
धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं


3
एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है

- स्वामी विवेकानंद

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



वे न केवल अशिष्ट और अमर्यादित होते हैं बल्कि समाज के लिए घातक भी होते हैं



कुछ लोगों के मन में दूसरों पर चढ़ कर या उन्हें कूद फाँद कर आगे बढ़ने की ज़बरदस्त हवस होती है इसलिए वे न केवल अशिष्ट और अमर्यादित होते हैं बल्कि  समाज के लिए घातक भी होते हैं.  यहाँ प्रस्तुत चित्र 5 फ़रवरी 2011 को सिंगापोर में हुए कार्यक्रम "हँसना मना है" का है  इसमें आप देख सकते हैं कि अपने क्षेत्र के तीन महत्वपूर्ण और वरिष्ठ लोगों को जोकर दिखा कर चौथा व्यक्ति अपने आप को कैसे नायक की छवि में प्रस्तुत कर रहा है

ख़ास बात ये है कि ये डिज़ायन सिंगापोर के आयोजक ने नहीं बनाया बल्कि इसी चौथे व्यक्ति ने बना कर वहाँ भेजा था
hasyakavi albela khatri in singapore at hasna mana hai

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नरेन्द्र मोदी को सबक सिखाने और हाशिये पर लाने के लिए प्रधानमन्त्री का प्रत्याशी बनाया है ?


* कुछ लोग कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी को सबक सिखाने और हाशिये पर लाने के लिए भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने जानबूझ कर केवल इसलिए उन्हें प्रधानमन्त्री का प्रत्याशी बनाया है  ताकि गुजरात की मुख्यमन्त्री वाली कुर्सी उनके हाथ से निकल जाये -

जिस दिन मोदी मुख्यमन्त्री नहीं रहेंगे, उस दिन विभिन्न दलों के विरोध की आड़ ले कर, प्रधानमन्त्री का प्रत्याशी लालकृष्ण अडवाणी को बना दिया जायेगा - यानी ऐसी हालत कर दी जाएगी कि न तो दिल्ली के रहेंगे और न ही गुजरात के ----

** कुछ लोग कहते हैं कि  कांग्रेस की परछाई पार्टी आआपा कांग्रेस को मिलने वाले उन सारे वोटों को अपनी ओर खींच लेगी जिनके दम पर  भाजपा सरकार बनाने के ख्वाब देख रही है. परिणामतः झाड़ू +पंजा मिल कर बहुमत हासिल कर लेंगे और भाजपा, दिल्ली की ही तरह सबसे बड़ी विजेता पार्टी होकर भी सरकार नहीं बना पायेगी

***कुछ लोग कहते हैं _______अरे हटाओ, मुझे क्या करना है ये जान कर कि कौन क्या कहता है ?  मुझे तो ये भरोसा है कि देश की जनता अब अपने मताधिकार का महत्व समझ गई है और  ये भी जान चुकी है कि कौन उसके मत का सही पात्र है इसलिए  कयास  और अटकलों की ऐसी की तैसी, मुझे भरोसा है कि देश की जनता इस बार कांग्रेस का सफ़ाया करेगी, उसकी परछाई का भी सफ़ाया करेगी तथा भारत की उन्नति व प्रगति के लिए नरेन्द्र भाई मोदी को ही अपना आशीर्वाद और सम्बल देगी

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

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भारतीय जनता पार्टी में अनुभवी और ईमानदार राजनेताओं की कार्यकुशल कतार है

--------आइये, एक आंकलन करें :

भारतीय जनता पार्टी में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी, नरेन्द्र मोदी, शिवराजसिंह चौहान, डॉ रमन सिंह, वसुन्धरा राजे सिन्धिया, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, मुख़्तार अब्बास नक़वी, कल्याण सिंह, जसवंतसिंह, राजीव प्रताप रूड़ी, शाहनवाज़ हुसैन, नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर, अनंत कुमार, गोपीनाथ मुण्डे, किरीट सौमैया, उमा भारती, यशवंत सिन्हा, नवजोतसिंह सिद्धू, कीर्ति आज़ाद, स्मृति ईरानी, रामदास अग्रवाल, सत्यनारायण जटिया, कलराज मिश्र, लालजी टंडन, अमित शाह, विनय कटियार, बलबीर पुंज एवं  नज़मा हेपतुल्ला जैसे अनुभवी और ईमानदार राजनेताओं की कार्यकुशल कतार है


कांग्रेस में भी सोनिया गांधी के  पीछे अनेक अनुभवी, कार्यकुशल और लोकप्रिय नेताओं के साथ साथ कई  ऐसे घाघ लोगों की लम्बी फ़ौज है जो राज हथिया सकते हैं, चला सकते हैं और जैसे तैसे ये भ्रम बनाये रख सकते हैं कि देश में सरकार नाम की भी कोई चीज़ है

लेकिन आआपा के पास क्या है ?
ले दे के एक चेहरा है अरविन्द केजरीवाल और दूसरा है मनीष सिसोदिया

दिल्ली में तो जनादेश के विरुद्ध जा कर कांग्रेस से ठग़बन्धन कर लिया और सरकार बना ली लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए 700 लीटर पानी से मुंह धोने वालो !  पूरा देश दिल्ली नहीं है जो तुम्हारे झांसे में आ जाएगा . आज तुम कितना भी दिग्भ्रमित कर दो युवा वर्ग को, लेकिन जिस दिन इनको आपकी असलियत समझ में आएगी,  तुम्हारा झाड़ू तिनके तिनके बिखर जाएगा

लोकतंत्र के महोत्सव में जिस देव की पूजा होती है वो है वोट, हमारा वोट ! इस वोट को  सोच समझ कर काम में लें  और इस बार सिर्फ और सिर्फ देश के हित में  नरेन्द्र  भाई मोदी को दिल्ली की बागडोर सौंपें

जय हिन्द !
रमेश लोहिया




आआपा को अगर देश भर में रायता ढोलना है तो जो वो कर रही है, वही ठीक है



नमस्कार प्यारे मित्रो !
ऐसा लगता है कि
चन्द महीनों बाद होने वाले अगले आमचुनाव  में :

कांग्रेस को अगर अपने कार्यकाल के महाघोटालों की कालिख धो धा कर, देश की जनता में पुनः लोकप्रियता और साख प्राप्त करते हुए फिर से सत्ता में आना है तो उसके पास एक ही, आखरी रास्ता है - पाकिस्तान पर आक्रमण,  हेमराज जैसे शहीदों का इन्तेक़ाम  और दुश्मन देश का सफ़ाया

भाजपा को अगर सरकार बनाने की अभिलाषा है  तो बहुमत प्राप्त करने के लिए  उसे सारे टीवी चैनल और अखबार खरीदने तथा पूरी तरह एकजुट होकर प्रयास करते हुए,  देश भर के   निष्कलंक और राष्ट्रभक्त लोगों को पार्टी में शामिल करना चाहिए  या अब पूरी तरह हिन्दूवादी हो जाना चाहिए,  भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की खुल्लमखुल्ला घोषणा और प्रतिज्ञा ही अब बहुसंख्यक वोट उसके खाते में डाल सकती है

आआपा को अगर देश भर में रायता ढोलना है तो जो वो कर रही है, वही ठीक है

जय हिन्द !
अलबेला खत्री



आजतक को अब अपना नाम बदल कर आपतक कर देना चाहिए

टीवी चैनल आजतक  को अब अपना नाम बदल कर 
आपतक  कर देना चाहिए, 
ऐसा मैं नहीं 
मेरा 11 साल का बेटा आलोक कहता है, 
क्या वोह ठीक कह रहा है ? 

जय हिन्द ! 



मेरा दावा है कि अगर प्रति स्टिंग मेहनताना दिया जाए तो काम हो जाएगा और बख़ूबी हो जाएगा




वाह भाई वाह मुख्यमन्त्रीजी,
आप तो बड़े बगलोल निकले,,,,

भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर वोट आपने माँगे, भ्रष्टाचारियों को जेल भिजवाने के दावे करके जनता  के वोट आपने हथियाये, गाड़ी आपको, बंगला आपको, टीवी के स्क्रीन का लाभ आपको और हमें बना रहे उल्लू - वाह रे बाबाजी के ठुल्लू !

अगर पब्लिक को ही स्टिंग ऑपरेशन में लगाना था  तो चुनाव से पहले क्यों नहीं बताया कि हम कुछ नहीं करने वाले, सिर्फ एक  नम्बर देने वाले हैं  और नम्बर भी ऐसा कि  किसी के बाप को भी याद न रहे ---वाह वाह ! आप तो उस्तादों के भी उस्ताद निकले हुज़ूर, पूरी दुनिया में लोकहित के फोन फ्री कॉल होते हैं  और नम्बर  भी इतने कम व आसान होते हैं कि सबको सहज ही याद रहते हैं, परन्तु आप क्यों देने लगे  फ्री और आसान नम्बर ? आपको तो ड्रामा करना है, भ्रष्टाचार ख़त्म कहाँ करना है, ख़त्म ही करना होता तो भ्रष्टों से हाथ नहीं मिलाते

जिस आदमी को कोर्ट में पेशकार से तारीख लेनी है और वहाँ उससे 100 रुपये मांगे जाएँ, तो आपके अनुसार पहले जनता उस नंबर पर फोन करे जो कि जाहिर है बहुत  देर तक चलेगा और लम्बा बिल बनेगा, उसके बाद ACB से फोन आएगा और अफसर समझायेगा कि क्या करना है, तब कहीं जा कर जनता का आदमी वापिस उसके पास जाएगा, सौदा पटायेगा और पैसा देकर उसे फंसाएगा अर्थात बेचारा अपना पूरा दिन इसमें खपायेगा  लेकिन नतीजा आयेगा ठन ठन गोपाल ! क्योंकि तब तक तो कोर्ट ही बन्द हो जायेगा  - अरे जाओ, कौन फ़ालतू बैठा है जो इतनी ऐसी तैसी कराएगा, इससे अच्छा तो 100 का पत्ता देकर  काम निपटाएगा

अरे हुक्मरानों ! व्यवस्था तुम करो ऐसी कि किसी की घूस मांगने की हिम्मत न हो … लगाओ हर जगह cc tv और रखो नज़र या हर कामकाजी टेबल के पास एक आदमी खड़ा करो जो ध्यान रखे कि सही काम हो रहा है या नहीं या फिर हर स्टिंगकर्ता को प्रत्येक स्टिंग के लिए कम से कम 10 हज़ार रुपये मेहनताना देने की घोषणा करो - मेरा दावा है कि अगर प्रति स्टिंग मेहनताना दिया जाए तो  काम हो जाएगा और बख़ूबी हो जाएगा

लेकिन आपको यह नहीं सूझा, सूझे भी कैसे  आपका ध्यान अब दिल्ली पर है ही कहाँ  ? आप तो समूचे देश में ताण्डव करने के सपने देख रहे हैं

मूर्ख मत बनाओ जनता को,,,वरना पब्लिक अबकी बार तुम्हारे खिलाफ जमा होगी रामलीला मैदान में और दौड़ा दौड़ा  कर जूते मारेगी ----सर पे पांव रख कर भागना पड़ेगा तुम्हारी पूरी नाट्य मण्डली को क्योंकि मैंने सुना है दिल्ली के लोग मारते कम हैं घसीटते अधिक हैं

आगे तुम्हारी मर्ज़ी, मेरा क्या ? मुझे तो मोदी के गुजरात में कोई समस्या नहीं है
जय हिन्द !
अलबेला खत्री

ramesh lohia  in vaish sammelan surat

kishor bindal,ramdas agrawal & ramesh l,ohia in surat at vaish sammelan

hasyakavi albela khatri in action

सिल्कसिटी सूरत की कद्दावर हस्ती रमेश लोहिया


 सिल्कसिटी सूरत की कद्दावर हस्ती रमेश लोहिया

एक तरफ जहाँ राजनैतिक स्तर पर चारों तरफ लूट मची है, ऐसे भीषण समय में भी समाज में ऐसे बहुत से लोग  हैं  जो अपने देश और समाज के उत्थान में जुटे हुए हैं तथा तन मन धन से कार्य कर रहे हैं - ऐसे ही एक ज़बरदस्त व्यक्तित्व हैं सूरत के प्रतिष्ठित व्यापारी व समाजसेवी श्री रमेश लोहिया जो वैश्य समाज की राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय स्तर की अनेक संस्थाओं के माध्यम से लगातार काम कर रहे हैं . इनकी संगठन शक्ति और हर काम में कौशल दिखाने का जज़बा कमाल है

सूरत निवासी वरिष्ठ एवं सक्रिय समाजसेवी रमेश लोहिया के विराट व्यक्तित्व व कृतित्व तथा सामयिक गतिविधियों को रेखांकित करने के लिए मैंने यह नया ब्लॉग आरम्भ किया है, 


http://rameshlohia.blogspot.in/2014/01/blog-post.html

आशा है मेरे तमाम पाठक मित्र  इनके उर्जस्वित व्यक्तित्व को देखेंगे, परखेंगे, सराहेंगे और  प्रेरणा प्राप्त करेंगे

जय हिन्द !
अलबेला खत्री

ramesh lohia in action with antar-rashtriy vaish maha sammelan surat

ramesh lohiya in surat with his family

ramesh lohia on mice at the gateway hotel surat

आज प्रियंका बिटिया आ आ आ आ ताल से ताल मिला........


प्रियंका वाड्रा के स्वागत में तीन फुलझड़ियाँ


सोनिया बेचैन है
14 पर नैन है
राहुल तैयार है
लेकिन बेकार है
आज प्रियंका बिटिया
आ आ आ आ
ताल से ताल मिला ......ओ………………



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लो जी आ गई मैदान में मिसेस वाड्रा
आना ही पड़ेगा
मिस्टर वाड्रा को बचाना है तो
झख मार के आना पड़ेगा
मीडिया बोला भैया को पीएम बनाने आई है
अबे सच बोल ! कि सैंयाँ को  बचाने आई है



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चला नहीं मैडम का लड़का
दल होगया पहले से कड़का
पंजा फड़ फड़ फड़ फड़ फड़का
मैया का  दिल धड़ धड़  धड़का
करने को इक बड़ा सा खड़का
लगा दिया ग्लैमर का तड़का

कुछ भी करले सोनिया, राहुल, रॉबर्ट व प्रियंका
घड़ा पाप का फूटेगा ही, अब जल के रहेगी लंका



जय हिन्द !
अलबेला खत्री







खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोबिन्दसिंहजी के 348 वें प्रकाशोत्सव पर बधाई


राज करेगा खालसा आकी रहे न कोय

सत्य,शौर्य व सर्वकल्याण के उद्घोषक एवं खालसा पंथ के संस्थापक
श्री गुरु गोबिन्दसिंहजी के 348 वें प्रकाशोत्सव पर
सभी देशवासियों को

बधाई एवं गुरुपर्व अभिनन्दन !

अलबेला खत्री



 वाह रे मेरे देश के मीडिया वालो !


तुम्हें दिल्ली से आगे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहाहै - एक मन्त्री की कार पर लगा गेन्द इतना महत्वपूर्ण होगया कि श्रीहरिकोटा में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किया गया देशहित व राष्ट्रगौरव का ऐतिहासिक कार्य भी उसके सामने फीका पड़ गया

जय हिन्द !

आदरणीय मोदीजी, यह अभी नहीं तो कभी नहीं का खेल है, जो जीता वही सिकन्दर होगा


सम्मान्य श्री नरेन्द्र मोदीजी,
मुख्यमन्त्री,
गुजरात शासन

प्रसंग   : लोकसभा चुनाव में हानिकारक परिणाम की चेतावनी
सन्दर्भ : येदुरप्पा जैसे भ्रष्ट ( अगर वे सचमुच दोषी हैं तो ) लोगों का समर्थन

आदरणीय मोदीजी,
ये दौर आपका है, आने वाला समय आपका है  और आप ही हैं जो माँ भारती  के आंसू पोंछ सकते हैं  इसलिए पूरा देश आपके साथ है और आपके नेतृत्व में भारत विश्व की महाशक्ति बनने का सपना  देख रहा है - कोई बड़ी बात नहीं कि इस बार आपको व आपकी पार्टी को 300 से भी अधिक सीटों के साथ सत्ता का सिंहासन प्राप्त हो, लेकिन सावधानी हटी तो दुर्घटना  घटने का खतरा भी याद रखना होगा

मैं यह तो नहीं जानता कि आपकी पार्टी  यानी भाजपा की  क्या लाचारी अथवा विवशता है जो  येदुरप्पा जैसे तथाकथित रूप से भ्रष्ट लोगों को पुनः पार्टी में शामिल कर रही है लेकिन मैं यह ज़रूर जानता हूँ कि ऐसे लोग न अपने देश के हित में हुए  हैं न ही अपनी पार्टी के हित में रहेंगे लिहाज़ा अगर आपको सचमुच देश का भला करने के लिए  प्रधानमन्त्री बनने का ख्याल आया है तो सर्वप्रथम ऐसे लोगों को चिमटी से पकड़ पकड़ कर पार्टी से बाहर निकालिये जिनकी छवि खराब है  और जो दागी कहलाते हैं तथा अच्छे लोगों को ढूंढ़ ढूंढ़ कर पार्टी में सम्मिलित कीजिये ताकि आपका रथ रास्ते में पंक्चर नहीं हो


जब आपके पास अपनी ख़ुद की उज्ज्वल छवि है,  शक्ति है, सामर्थ्य है और अपार लोकप्रियता के साथ साथ गुजरात में किये गए अप्रतिम विकास के प्रमाण-पत्र हैं तो इन नामुरादों की ज़रूरत ही क्या है आपको ?

यह पत्र मैं आपको इसलिए मेल कर रहा हूँ क्योंकि  आप इस समय अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं एवं उपलब्धियों की सीढ़ी के अन्तिम डण्डे पर खड़े हैं - यदि एक सीढ़ी और चढ़ गए तो  छत पर पहुँच जायेंगे, यानी मन्ज़िल पा लेंगे परन्तु भगवान् न करे, अगर आखरी डंडे से भी फ़िसले, तो सीधे ज़मीन पर नज़र आयेंगे - रास्ते में कोई रोकने वाला नहीं मिलेगा और सच पूछो तो भ्रष्ट सदस्य किसी भी संगठन के लिए फ़िसलन ही पैदा करते हैं - आप गिरें, उठें, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि मुझे तो अन्य बड़े कवियों की तरह  सरकार से न तो प्लॉट, फ़्लैट अथवा कोई एजेन्सी चाहिए, न ही किसी प्रकोष्ठ की अध्यक्षी, पद अथवा  राजकीय पुरस्कार की अभीप्सा है, परन्तु  देश की जनता आपसे आस लगाए बैठी है, अगर आप अपने मिशन में कामयाब न हुए तो जनता के अरमान आँसुओं में बह जाएंगे -

आदरणीय, यह अभी नहीं तो कभी नहीं का खेल है, जो जीता वही सिकन्दर होगा, हारने वाले की हालत तो सद्दाम हुसैन जैसी होने वाली है, यह अभी से  दीख रहा है क्योंकि राजनैतिक स्वार्थ अब इतने अधिक हावी हो गए हैं हरेक पार्टी पर कि  विरोधी विचारधारा का प्रत्येक व्यक्ति अब दुश्मन नज़र आने लगा है - यह दुर्भाग्यपूर्ण है परन्तु सच है

आपका प्रशंसक, समर्थक  और प्रबल हितेच्छु होने के नाते आपको सावधान कर रहा हूँ - चुनाव में जीत हो या  हार, कोई फ़र्क नहीं पड़ता - अपनी कथनी और करनी को एक रखते हुए हार भी मिले तो भी उसमें नैतिक जीत महकती है परन्तु  अपने ज़मीर को दाँव पर  लगा कर जीत भी मिले तो उसमें आत्मिक हार की बदबू आती है

एक मुख्यमन्त्री के रूप में आपने बेहतरीन  काम कर के जो वैश्विक यश अर्जित किया है वह तो कई लोगों को प्रधानमन्त्री और राष्ट्रपति बन कर भी नहीं मिलता ,,,,,आपसे प्रार्थना है कि इतने वर्षों में अर्जित किया हुआ यश चन्द सीटों की कीमत पर मत बेचिए …… आगे आपकी मर्ज़ी, मैं कौन होता हूँ आपकी खीर में अपना चम्मच चलाने वाला

आप विजयी हों,यशस्वी हों, दीर्घायु हों और भारत के राजनैतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हों, ऐसी शुभकामना

जय हिन्द !
अलबेला खत्री


आप विजयी हों,यशस्वी हों, दीर्घायु हों और भारत के राजनैतिक इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित हों


दिल्ली वालो! अगर कुछ दिन पहले सचमुच आपने उनके कांच तोड़ दिए होते तो आज ये दिन न देखना पड़ता


सावधान !  ख़बरदार !!   होशियार !!!

दिल्ली के मन्त्रियों को भले ही सुरक्षा की ज़रूरत न हो, परन्तु दिल्ली के अवाम को तो अब अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षा मांग ही लेनी चाहिए क्योंकि  मज़ाक मज़ाक में उसने ऐसे लोगों को हुक्मरान बना दिया है जिनका कोई भरोसा नहीं कि कब, किस मासूम को खेलने के अपराध में जेल जाना पड़  जाए -

हा हा हा पता नहीं कब किस बाप को इसलिए जेल जाना पड़ जाए कि उसने ऐसी अपराधी औलाद पैदा की कि जो क्रिकेट खेलती है और अपनी गेन्द से मन्त्रीजी की गाड़ी के काँच तिड़का देती है

दिल्ली वालो!  अगर कुछ दिन पहले सचमुच आपने उनके कांच तोड़ दिए होते तो आज ये दिन न देखना पड़ता

राखी के पाखण्ड पर, दिल्ली वाले दंग
दो दिन में दिखला दिया, अपना असली रंग
अपना असली रंग, मुखौटा उतर गया है
आम होगया ख़ास, ज़ेहन तक असर गया है  
पाई पहली बार, कार जब नौ-दस लाखी
भूल गई औक़ात, लाज खूंटी पर राखी  


जय हिन्द !
अलबेला खत्री
राखी के पाखण्ड पर, दिल्ली वाले दंग







अन्ना हज़ारे अपनी समाजसेवी धोती उतार कर कांग्रेस या आआपा का पायजामा पहन लेंगे


आने वाले दिनों में हम ऐसे दृश्य देखेंगे :

# बाबा रामदेव समेत अनेक साधू संत देशहित में नरेंद्र मोदी के लिए वोट मांगेंगे

# अन्ना हज़ारे अपनी  समाजसेवी धोती उतार कर कांग्रेस या आआपा का पायजामा पहन लेंगे और देश भर में इनके समर्थन में वोट मांगेंगे + हो सकता है  कांग्रेस के इशारे पर वे सभी पार्टियों को भाजपा के विरुद्ध एकजुट होने के लिए रामलीला मैदान में आमरण अनशन भी करदें

# जामा मस्जिद से सभी मोमिनों के नाम एक फतवा जारी होगा कि वे अपना वोट चाहे जिसे दें लेकिन नरेन्द्र मोदी एंड पार्टी को न दें क्योंकि भाजपा को वोट देना हराम है

# अरविन्द केजरीवाल एंड पार्टी को अनामी फोन आयेंगे जिसमे उन्हें तथाकथित रूप से धमकियाँ दी जाएंगी - आम आदमी के हित में, मजबूर हो कर दिल्ली के सभी मन्त्री सुरक्षा स्वीकार कर लेंगे

# राजीव गांधी फाउंडेशन का प्रियदर्शिनी अवार्ड अरविन्द केजरीवाल को मिलेगा

# रांकांपा के कई नेता भाजपा में शामिल हो जायेंगे और नरेन्द्र मोदी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे

# मुलायम सिंह पूर्णतः कठोर हो जायेंगे व तीसरा मोर्चा बना कर अल्पसंख्यकों के सारे वोट खींच लेंगे, बाद में जो भी अच्छी कीमत देगा उसे बेच देंगे


जय हिन्द !
अलबेला खत्री



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