कुछ लोग मुझ पर आरोप लगाते हैं और लगा भी सकते हैं कि मैं आजकल कविताकार्य से अधिक राजनैतिक जुमले सोचता,लिखता और प्रकाशित करता हूँ परन्तु मुझे इसकी फ़िक्र नहीं है क्योंकि मैं समझता हूँ ये समय चुप रहने का नहीं ,,,,,,,, व्यावसायिक नुक्सान हो तो हो, कुछ लोग नरेन्द्र मोदी का पिट्ठू कहे तो भी चलेगा, परन्तु मुझे जो जैसा दिख रहा है उसे अभिव्यक्त अवश्य करूँगा
सत्ता के इस खेल के सभी खिलाड़ी अपने ही हैं, कोई बाहरी तत्त्व नहीं है, यहाँ किसी एक को ज़हरीला बता कर दूसरे को अमृतधारा नहीं कहा जा सकता क्योंकि सभी पंछी इक डाल के होने के कारण हम सभी कहीं न कहीं एक ही जगह खड़े हुए दिखाई देते हैं - ये माना कि अगर अनेक लोग भ्रष्ट हैं तो नरेन्द्र मोदी भी कोई धर्मराज युधिष्टर नहीं हैं, परन्तु हमारी मज़बूरी ये है कि हमें अपना नेता चुनना इन्हीं में से कोई है ----लिहाज़ा अन्धों में से काणा चुनना है, कालों में से सांवला चुनना है और भ्रष्टों में से कम भ्रष्ट चुनना है
ऐसा व्यक्ति चुनना है देश के सिंहासन पर बिठाने के लिए जो उपलब्ध सभी में से श्रेष्ठ हो ___और नि:सन्देह नरेन्द्र मोदी सब से श्रेष्ठ है, सर्वश्रेष्ठ है
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
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