अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन सूरत के तत्वाधान में होली के अवसर पर आयोजित विराट हास्य कवि सम्मेलन "हास्य गुलाल" कई मायनों में अनूठा कार्यक्रम था . लाफ्टर चैम्पियन अलबेला खत्री के अनूठे मंच संचालन में सूरत के कवि सम्मेलनीय इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि मंच से सिर्फ़ मौलिक और स्वरचित काव्यप्रस्तुति की गयी तथा सुनेसुनाए चुटकुलों को संचालक ने सिरे से ही नकार दिया था . पूरी तरह से पारिवारिक मनोरंजन से परिपूर्ण इस कार्यक्रम में हास्य-व्यंग्य के साथ साथ राष्ट्रभक्ति के स्वरों को भी पूरे मनोयोग से सुना गया .
फ़िल्मी संवादों के अलावा फ़िल्म अभिनेता रंजीत ने जब गाना भी गाया तो लोग झूम उठे, सुन्दर, शालीन, मौलिक और मधुर स्वर की साम्राज्ञी श्वेता सरगम के गीत और ग़ज़लों की बहार ने महफ़िल को मोहब्बत से महका दिया, वरिष्ठ कवि संदीप सपन की ऊर्जस्वित प्रस्तुति के साथ साथ राजेश अग्रवाल का काव्यपाठ तो जैसे एक उपलब्धि थी सूरत वासियों के लिए ,,,ये दोनों पहली बार सूरत में प्रस्तुति देने आये थे और खूब पसंद किये गए . नरेंद्र बंजारा और अशोक भाटी ने भी उम्दा काव्यपाठ किया .
रमेश लोहिया, किशोर बिन्दल, राजू खण्डेलवाल, राजेश भारुका, सुभाष मित्तल, इन्दिरा अग्रवाल इत्यादि आयोजकगण के सधे और कुशल नेतृत्व में दर्शकों से ठसाठस भरे सभागार में अभिनेता रंजीत, वरिष्ठ समाजसेवी किशन अग्रवाल, विधायक श्रीमती संगीता पाटील व हर्ष संघवी के अलावा श्रीमती गंगा पाटिल, राजू देसाई, मनोज मिस्त्री इत्यादि अनेक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति समारोह की गरिमा बढ़ा रही थी . लगभग तीन घंटे तक चले इस रंगारंग काव्यमहोत्सव में सभी दर्शकों के लिए ड्राईफ्रूट्स और मिनरल वाटर की भी व्यवस्था थी
कवि सम्मेलनों के नाम पर कुछ ख़ास कवियों की मार्केटिंग करने वाले तत्वों को इस कार्यक्रम से दूर ही रखा गया था ताकि सूरत के कवि सम्मेलनों की दिशा और दशा बदले तथा भविष्य में उन्हीं कवि / कवयित्रियों को बुलाया जाये जो खुद लिखते हैं और खुद सुनाते हैं, चोरी का माल बेचने वाले नकली परफॉर्मरों पर अंकुश लगाने में यह कार्यक्रम कितना सफल होता है यह तो समय बतायेगा लेकिन मंच के हित में अलबेला खत्री के इस प्रयास को जिस प्रकार दर्शकों ने सराहा है, वह उजाले की उम्मीद ज़रूर जगाता है
जय हिन्द !
अलबेला खत्री