झूमो, नाचो, मौज मनाओ बाबाजी
जीवन का आनन्द उठाओ बाबाजी
ये क्या, जब देखो तब रोते रहते हो ?
घड़ी दो घड़ी तो मुस्काओ बाबाजी
मुझ जैसे मसखरे का चेला बन जाओ
दिवस रैन दुनिया को हँसाओ बाबाजी
ये सब नेता रक्तपिपासु कीड़े हैं
इनसे मत कुछ आस लगाओ बाबाजी
जनता के दुःख को जो अपना दुःख समझे
अब ऐसी सरकार बनाओ बाबाजी
एक मिनट में ऐसी-तैसी कर देगी
बीवी को मत आँख दिखाओ बाबाजी
ओ बी ओ की परिपाटी है 'अलबेला'
आपस में सब प्यार लुटाओ बाबाजी
-अलबेला खत्री
8 comments:
सादर नमन
अलबेला जी !!
आप की इस अलबेली बात पर-
फटा पड़ा दिल शर्ट फटी है अलबेली ।
उलट पुलट कर रात कटी है अलबेली ।
हाथ जोड़कर पैर पड़ा पर वो न माने-
ताल ठोक ललकार डटी है अलबेली ।
तीनों बच्चों को लेकर के भाव दिखाए-
सन अस्सी, चुपचाप पटी है अलबेली ।
एक छमाही दिल्ली रहती पुत्र पास वो-
दूजा पुत्री संग बटी है अलबेली ।
घटी शक्ति अब रोटी को मुहताज हुआ-
रविकर के संग करी घटी है अलबेली ।
भाई बहिनों पुत्र-पुत्रियों को ही माने-
कैसे कह दूँ बहुत लटी है अलबेली ।।
खूब कहा...वाह !
बहुत खूब
बहुत बढ़िया... वाह वाह
सादर बधाई स्वीकारें।
जय हो बाबा जी... आपकी कही बातें गांठ बाँध लेता हूँ...
अच्छा मशवरा,हर फ़िक्र को धुएं मेम उडा चला गया
Jai ho Khatri ji..
Jai ho Khatri ji..
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