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Albela Khatri

आशीष खण्डेलवाल की हाज़िरजवाबी ......

आशीष खण्डेलवाल गत दिनों मुंबई आये थे

एयर पोर्ट पर उतर कर

उन्होंने टैक्सी वाले से पूछा - होटल अम्बेसडर का क्या लोगे ?

वो बोला- बेचना ही नहीं

आशीषजी - अरे वहां चलने का क्या लोगे ?

टैक्सी वाला - तीन सौ रूपये ..........

आशीषजी - तीन सौ कौन देगा ? मैं तो सिर्फ़ डेढ़ सौ दूंगा

टैक्सी वाला - डेढ़ सौ में कौन ले कर जाएगा ?

आशीषजी - तू बैठ, मैं ले चलता हूँ ..............हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा


22 comments:

राजीव तनेजा June 27, 2009 at 9:26 AM  

उन दोनों को छोड़े...मैँ ही बैठा के ले चलता हूँ ...एक सौ का पत्ता दे देना

रंजन June 27, 2009 at 9:27 AM  

ye thik he..:)

Anil Pusadkar June 27, 2009 at 9:35 AM  

आशीष जी दिमाग तो कम्प्यूटर भी तेज़ चलता है।

सुशील छौक्कर June 27, 2009 at 9:37 AM  

:-) हा हा ............

भारतीय नागरिक - Indian Citizen June 27, 2009 at 9:38 AM  

वाह-वाह, सुन्दर है.

गिरिजेश राव, Girijesh Rao June 27, 2009 at 9:41 AM  

इससे पहली पोस्ट से मैं समझ गया था कि अब एक एक कर आप ब्लॉगरों को लपेटेंगे। लगे रहिए। जूतम पैजारी से तुलना करें तो बहुत अच्छा है।

संगीता पुरी June 27, 2009 at 11:04 AM  

बहुत बढिया .. धीरे धीरे सब ब्‍लागर आपके लपेटे में आ रहे हैं।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" June 27, 2009 at 11:09 AM  

लपेटते रहिए.......

Himanshu Pandey June 27, 2009 at 11:52 AM  

मजेदार । मजा आ गया । यह तरीका ठीक लगा । धन्यवाद ।

Ashish Khandelwal June 27, 2009 at 12:54 PM  

हा हा हा .. खत्री जी,

तो यह वाकया आपको अभी तक याद है.. तो इसके आगे की कहानी भी नहीं भूले होंगे.. जैसे ही मैं होटेल अंबेसडर पहुंचा, पता चला कि खत्री जी एक शो के लिए पहले से वहां हैं। अपन ने फोन लगाकर उनको बाहर बुलाया. खत्री जी बाहर आए और टैक्सी देखते ही बोले

खत्री जी- होटेल अंबेसडर के क्या लेगा?

टैक्सी वाला- 300 रुपए (वह भांप गया था कि शाम का वक्त है और खत्री जी किसी और ही दुनिया में है)

खत्री जी टैक्सी में बैठ गए और बोले चल..

टैक्सी वाले ने क्लच दबाकर एक्सेलटर दबाया और बिना गियर बदले ही गाड़ी रोक दी। बोला आ गया होटेल अंबेसडर..

खत्री जी उतरे, जेब से 300 रुपए निकालकर उसे दिए.....

और बोले.. .यार आगे से टैक्सी थोड़ी धीरे चलाया कर.. :)

L.Goswami June 27, 2009 at 2:19 PM  

ha ha ashish ka jwab padh kar hnsi aa gai :-)

ताऊ रामपुरिया June 27, 2009 at 3:33 PM  

वाह भाई ये जबरदस्त रही.

रामराम.

Anonymous June 27, 2009 at 4:38 PM  

अलबेला जी, आज तो आशीष जी ने आपको लपेटे में ले लिया.... :-)

विवेक रस्तोगी June 27, 2009 at 4:53 PM  

एक से बढ़कर एक..

शेफाली पाण्डे June 27, 2009 at 5:39 PM  

wah ...wah ...wah.....lapette rahiye...

Atmaram Sharma June 27, 2009 at 5:47 PM  

नहले पर दहला तो था, लेकिन थोड़ा कमजोर. बहरहाल मज़ा आया.

PD June 27, 2009 at 6:29 PM  

:) badhiya hai..

MAYUR June 27, 2009 at 7:41 PM  

लगे रही साहब यूँ ही गुदगुदाते रहिए ...

दिनेश शर्मा June 27, 2009 at 7:48 PM  

अरे वाह ! क्या बात है ।

Gyan Darpan June 27, 2009 at 9:34 PM  

बहुत बढिया ..

शरद कोकास June 28, 2009 at 12:53 AM  

ब्लोग्स पर चल रही गाली गलौज से तो यह अच्छा है

अनिल कान्त June 28, 2009 at 9:20 AM  

बहुत खूब

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