Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

वतन न बेचना.......................

बेईमान मालियो ! चमन बेचना

गांधी के बेटो,गांधी का क़फ़न बेचना

भारत के हुक्मरानो, ये विनती है आपसे

कुर्सी बचाने के लिए वतन बेचना

13 comments:

निर्मला कपिला June 12, 2009 at 8:27 AM  

बहुत बडिया मगर सुनता कौन है फिर भी कलम का कर्तव्य है कि वो आवाज़ देती रहे जगाती रहे आभार्

श्यामल सुमन June 12, 2009 at 8:33 AM  

बहुत खूब अलबेला भाई। कहते हैं कि-

अमन चोर देखो अमन बेचते हैं।
कफन चोर देखो कफन बेचते हैं।
पहरूआ बनाया जिसे जन वतन का,
वो दिल्ली में बैठे वतन बेचते हैं।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.

योगेन्द्र मौदगिल June 12, 2009 at 8:58 AM  

वाह बंधुवर

ओम आर्य June 12, 2009 at 9:27 AM  

bahut hi badhiya

ताऊ रामपुरिया June 12, 2009 at 9:37 AM  

बहुत सही कहा आपने.

रामराम.

संजय बेंगाणी June 12, 2009 at 9:50 AM  

टेंडर निकल चुका और आप न बेचने की दुहाई दे रहे हो....

Sajal Ehsaas June 12, 2009 at 10:38 AM  

achhi shuruvaat hai...shuruvaat isliye keh raha hoon ki mujhe aisa lag raha hai ki sis tarz pe ek achhi khaasi kavita likhi ja sakti hai agar aap is kavita ko aage badaa de :)


kabhi mere blog par apni masti lekar aaye...
www.pyasasajal.blogspot.com

जयंत - समर शेष June 12, 2009 at 11:38 AM  

Too late Albelaa Ji!!!!

Vatan to bik hi chukaa..
Nahin to ek Itaavali Waitress kaise hamaare upar hukum chalaatee????

परमजीत सिहँ बाली June 12, 2009 at 12:30 PM  

पता नही कोई इस बात पर अमल करेगा या नही?

राज भाटिय़ा June 12, 2009 at 2:40 PM  

यह कमीने तो अपनी मां भी बेचने को तेयार है

sada June 12, 2009 at 3:44 PM  

अगर कलम इसी रफ्तार से चलती रही और इस तरह के मुद्दे उठते रहे तो वतन के रखवालों की संख्‍या में कमी नहीं आएगी . . .

Anonymous June 12, 2009 at 10:01 PM  

अब बेचने को बाकी बचा क्या है बंधु

Shri Sitaram Rasoi September 7, 2011 at 10:03 AM  

आदरणीय अलबेला जी,
आपको एक अलसी गीत भैंट करता हूँ।

चन्दन सा बदन चंचल चितवन
धीरे से तेरा ये मुस्काना
गोरा चेहरा रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना.........
तुझे क्रोध नहीं आलस्य नहीं
तू नारी आज्ञाकारी है
छल कपट नहीं मद लोभ नहीं
तू सबकी बनी दुलारी है
जैसी सूरत वैसी सीरत
तुझे ममता की मूरत माना........
तू बुद्धिमान तू तेजस्वी
शिक्षा में सबसे आगे है
प्रतिभाशाली तू मेघावी
प्रज्ञा तू बड़ी सयानी है
नीले फूलों की मलिका तू
तुझे सब चाहें जग में पाना.......
चन्दन सा बदन चंचल चितवन
धीरे से तेरा ये मुस्काना
गोरा चेहरा रेशम सी लट
का राज तेरा अलसी खाना......

डॉ. ओ.पी.वर्मा
अलसी चेतना यात्रा

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive