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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

अब मैं हरकीरत हक़ीरजी से क्या कहूँ भाई ?

अभी अभी आदरणीय हरकीरत हक़ीरजी ने पहली बार
मुझे एक टिपण्णी मेरे ब्लॉग पे प्रकाशित राजनैतिक पैरोडी पर दी है:



Harkirat Haqeer

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show details 10:59 PM (12 minutes ago)

Harkirat Haqeer has left a new comment on your post "ये इतनी भूलभुलैया और अकेला अवाम ............":

अरे वाह ....आप इतने दिनों से कमेन्ट दे रहे हैं और मैंने आज जाना आपको .....आप तो कामेडी के बादशाह हैं ......फिर भी मेरी दर्द भी नज्में पढने आते हैं ...कमाल है ....!!!!!



Posted by Harkirat Haqeer to Albelakhatri.com at June 27, 2009 10:13 ऍम

हरकीरत हक़ीरजी का अचम्भित होना स्वाभाविक है
मैं एक हास्य कवि और हास्य कलाकार हूँ तो फ़िर
उनकी दर्द भरी नज़्में क्यों पढ़ता हूँ ?

हरकीरत जी के रूप में मैं आज तमाम ब्लॉगर देवीयों और सज्जनों को
बताना चाहता हूँ कि मैं भी एक संवेदनशील कवि हूँ
और इसका उदाहरण मैं लगभग रोज़ ही अपनी रचनाओं के माध्यम से देता हूँ

और एक ख़ास बात .............जहाँ तक हो सके ....मैं सभी की सारी
रचनाएं पढ़ता हूँ और टिपण्णी करता हूँइसलिए नहीं कि बदले में वे भी
मुझे टिपण्णी दें ......बल्कि इसलिए कि जो लोग अत्यन्त परिपक्व लेखन
कर रहे हैं, उनका सम्मान कर सकूं और जो नवोदित हैं और कुछ
ख़ास अच्छा नहीं लिख रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन दे सकूं .............ताकि उनका
शौक़ बना रहे ........क्या पता कब, कौन, क्या लिख डाले !

ब्लॉग पर मुझे सिर्फ़ तीन महीने हुए हैंइन तीन महीनों में कोई 275 post
मैंने की है लेकिन जो स्नेह, जो दुलार ,जो अपनत्व और जो मार्ग दर्शन
मेरे वरिष्ठ और पुराने ब्लोगर्स ने मुझे दिया है उसकी महक से मेरा
पूरा घर महक रहा हैमैं 20-20 घंटे कंप्यूटर पर बैठा आप लोगों
को पढता हूँ ...क्योंकि मुझे इश्क़ हो गया है.........इश्क़ हो गया है इस विधा से
जिसने मुझे घर बैठे आप जैसे देश भक्त, मानवतावादी, प्रकृतिप्रेमी
और संवेदनशील लोगों से परिचित कराया....ख़ासकर 8 साल मैं
जिनसे दूर रहा , ऐसी मेरी सबसे अच्छी मित्र दीदी सुधा ढींगरा से
भी पुनः: सम्पर्क कराया .....

मंच ...हास्य कलाकारी मेरी रोज़ी रोटी है ....लेकिन कविता ..करुणा ..और
संवेदना का सृजन मेरी पूजा है, अर्चना है ,,,,मैं वचन देता हूँ हरकीरतजी,
कि जब तक आप लोगों का सान्निध्य मिलेगा, मैं हिन्दी ब्लोगिंग की
सेवा में वो हर योगदान दूंगा जो मेरे बूते में होगा ...........

बस ..............अब आँखों का बाँध फूट पड़ा है ..इसलिए सब धुंधला -धुंधला
दिखाई दे रहा है ...शेष फ़िर कभी................

-अलबेला खत्री



16 comments:

बाल भवन जबलपुर June 28, 2009 at 12:26 AM  

Bhai saahab badhaiyan

RAJ SINH June 28, 2009 at 12:27 AM  

आपकी स्पिरिट को सलाम !
समझता हूँ , हर दर्द पी जाने के बाद ,उसे छुपा कर ही हंसाया जा सकता है .

दिनेशराय द्विवेदी June 28, 2009 at 12:27 AM  

आप की भावना की जय हो!

राज भाटिय़ा June 28, 2009 at 12:31 AM  

अरे बाबा यहां हर हंसते चेहरे के पीछे आसीम दुख भी है, चलिये फ़िर से अपने रंग मै आ जाये, बहुत अच्छा लगता है.ओर एक चुटकला फ़िर से हो जाये.जाते जाते
इशक मुस्क ना देख भरवा देख ना सुंदर मुखडॆ,
हर मुखडे अन्दर दिल है, हर दिल अंदर दुखडे.
यह शॆर तो आप को पता ही होगा किस महान हस्ती का है
धन्यवाद

Sajal Ehsaas June 28, 2009 at 12:32 AM  

jazbaati kar daala aapne....vaise ye baat to hai ki stage par jo log hume hasaate hai,unme aksar ye gun hota hai ki wo maanveey sanvednaao ko ache se mahsoos kar paate hai...aur in sanvednaao me har tarah ke bhaav shaamil hote hai...hai naa??

baaki ek comedian ke dil me kya chalta hai...iska behtareen udaaharn hai "mera naam joker"...mujhe apne college me ek chhota sa omedy play karna tha,aur us waqt main zara udaas sa tha,aur aise me jo performance maine di usko bahut acha response mila...tab achanak laga jaise Raj Kapoor saab ne apni us film me jo baat kahe ethi wo aaj dikh raha hai

Udan Tashtari June 28, 2009 at 12:52 AM  

आपके प्रयास अपनी कहानी स्वतः कहते हैं. आपकी मेहनत, लगन और इमानदारी को नमन करता हूँ..

गिरिजेश राव, Girijesh Rao June 28, 2009 at 10:27 AM  

इतना आसाँ भी नहीं होता हँसना हसाना

दर्द की शहतीर से लटक, उतरना होता है।

Priyanka Singh Mann June 28, 2009 at 1:26 PM  

aap ek samvedansheel kavi hain yah aapki har rachna se vidit hota hai..jab se blogging shuru ki apki lagbhag har rachna padhi hai aur jo protsahan aapne ne meri jaisi nayi blogger ko apni tippaniyon dwara diya hai uske liye badi shukraguzar hun..aap yun hi likhate rahen..mujh jaise log hamesha intezaar main rahte hain..

ताऊ रामपुरिया June 28, 2009 at 1:37 PM  

भाई नमन है आपको. आप जैसे जुनुनियों के पीछे ही कोई विधा अपने मुकाम को पाती है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

प्रिया June 28, 2009 at 2:03 PM  

hum to pahle se hi jante they ki aap bhi samvedansheel hain..kyoki chahe hasya ho ya vyang bina samvedna aur bhavna ke kuch bhi sambhav hi nahi...... hasya ke peeche ki jo gahrai muskra kar kah di jati hain aur log thaka lagakar samajh bhi lete hain... to phir ro kar kahne se kya fayda..haste rahiye..... muskurate rahiye...aur gunguate rahiye

dpkraj June 28, 2009 at 2:13 PM  

अलबेला जी
सच बात कहूं तो मैं आपसे प्रभावित हूँ. आप तो यकीनन हिंदी ब्लॉग जगत में बहुत अधिक लोकप्रिय होते जायेंगे. मैं आमतौर से टीवी पर हास्य कार्यक्रम नहीं देख पाता. अब देखने का प्रयास इसलिए करूंगा क्योंकि मैं आपको वहां भी अन्य लोगों से अधिक सफल देखना चाहता हूँ. ब्लॉग जगत पर आपकी सक्रियता में जो सहज भाव है वह मुझे प्रभावित करता है.
दीपक भारतदीप

परमजीत सिहँ बाली June 28, 2009 at 3:10 PM  

दीपक जी से सहमत।हम भी चाहेगें की आप खूब नाम कमाएं।

Murari Pareek June 28, 2009 at 6:50 PM  

आज आपके सारी रचना पढ़ रहा हूँ दो दिन से आ नहीं पाया था, आपकी रचाने पढ़े बिना चैन नहीं आता ! आपने लत लगा दी क्या करें !! आप तो हर रस की रचना लिखते हो!!

विवेक सिंह June 28, 2009 at 8:13 PM  

लीजिए आपकी टिपण्णी के आनन्द में हमारी भी एक टिप्पणी !

रंजन June 28, 2009 at 8:58 PM  

आप तो लगे रहो जी... मंच पर भी और ब्लोग पर भी...

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी June 28, 2009 at 11:38 PM  

दर्द और हँसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हें अलग-थलग रखने और समझने की जरूरत नहीं है।

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