महक ये कहती है कि गुलात से बनी है
कार्तिक के शबनमी क़तरात से बनी है
नाज़ुकी ऐसी, गोया जज़्बात से बनी है
पर ये सब कयास है
पूरी तरह बकवास है
क्योंकि तज़ुर्बा कहता है कि
दर्दात से बनी है
ज़र्फ़ से, ज़ुर्रत से, ज़ोर के
हालात से बनी है
सुबहा न जिसकी आ सकी,
उस रात से बनी है
ये औरत,
आज की औरत है !
इस्पात से बनी है
4 comments:
बहुत सही!!
bilkul sach
Awesome !
very nice
Post a Comment