Posted by
Unknown
Wednesday, May 4, 2011
कल रात मुझे एक सपना आया ,सपने में देखा..........
पत्रकार ने पूछा
शरद पवार जी ! आपके चेले कलमाड़ी ने राष्ट्र मण्डल खेलों में घपले करके
बहुत सा पैसा खाया ...आपकी क्या प्रतिक्रिया है इस पर ?
शरद पवार बोले
असल में खाना तो मैं चाहता था, मगर मज़बूरी ये है कि अब मेरा मुँह
कुछ खाने लायक नहीं रहा
पत्रकार बोला
मुँह को छोड़िये, मुँह तो खाने क्या, किसी को दिखाने लायक भी नहीं रहा
शरद पवार उवाच
इसीलिए मैंने कलमाड़ी को आँख मार कर कह दिया कि बेटा ..तू खाले
और हमारे लिए रख ले...........कलमाड़ी पर मैं भरोसा इसलिए करता हूँ
क्योंकि ये होशियार आदमी है करता ज़्यादा है बोलता कम है, खाता
ज़्यादा है, ढोलता कम है । अब ये अन्ना फन्ना लगे हैं ढोल बजाने.......
बजाते रहें....मैंने तो एक कविता लिखी है । कहो तो सुनाऊं ?
पत्रकार -
कविता और आप ?
शरद पवार -
अब कवि के सपनों में आया हूँ तो कविता तो करनी ही पड़ेगी न !
सुनो-
सुअर कोई गन्दगी पर जो जा बैठा तो हंगामा
कोई कुत्ता जो इक हड्डी चबा बैठा तो हंगामा
किये हैं और भी लोगों ने जम कर ख़ूब घोटाले
मगर कलमाड़ी थोड़ा धन कमा बैठा तो हंगामा

Posted by
Unknown
Sunday, October 24, 2010
चार दिन पहले ब्लोगर मित्र कविवर योगेन्द्र मौदगिल का फोन आया
"भाई ! मैं 23 तारीख को अहमदाबाद आ रहा हूँ" ऐसा उन्होंने बताया
उनका देना बैंक के कवि-सम्मेलन में शाम को काव्यपाठ था
संयोग से उसी रात वहां एक और कवि-सम्मेलन विराट था
योगेन्द्रजी तो थे गुजरात के मेहमान
और मेरी थी आयोजकों से पहचान
सो मैंने तुरन्त उन्हें दूसरे प्रोग्राम में भी आमन्त्रित करवा दिया
सम्मान भी करा दिया और भरपूर मान-धन भी दिलवा दिया
कविवर मौदगिलजी की एक दिन में दो बार चांदी हो गई
टाइमपास का टाइम पास और कमाई की कमाई हो गई
इससे पहले मैं जब दिल्ली में था तो उन्होंने मेरा लाभ कराया था
पानीपत के कवि-सम्मेलन में बुलवा कर लिफाफा दिलवाया था
मैंने उन्हें भिलाई और उन्होंने मुझे भिवानी बुलवाया था
यानी एक ब्लोगर ने दूजे ब्लोगर को फ़ायदा पहुँचाया था
सिलसिला ये बहुत दिनों से चला आ रहा है
इसमें हम दोनों को बराबर मज़ा आ रहा है
मेरा बस इतना कहना है
कि हमें मिलकर रहना है
वाह वाही और टिप्पणियों के साथ साथ
हम यों मिलाएं आपस में हितकारी हाथ
कि इकदूजे के लिए व्यावहारिक काम भी आयें
एक के हाथों दूजे के घर नाम संग दाम भी आयें

Posted by
Unknown
Saturday, October 9, 2010
बन्धुवर समीरलाल जी ! एवं सभी ब्लोगर साथियो !
डॉ अरुणा कपूर जी ने www.albelakhatri.com की पहली स्पर्धा
मोहब्बत के शे'र भेज कर जीत ली है, लेकिन अभी तक आप सब
मित्रों की बधाई की टिप्पणियां नहीं आयीं, मुझे लगता है ऐसी
स्पर्धाओं को बल देने के लिए विजेताओं को बधाई मिलनी चाहिए
तो आओं, दो बधाई !

Posted by
Unknown
Wednesday, September 29, 2010
गज़ब का माहौल था भाई ..............
गज़ब का हंगामा था.........
अनेक मन्त्री, विधायक और उच्चाधिकारी जन लगातार ठहाके
लगा रहे थे और तालियाँ बजा बजा कर कवियों को दाद दे रहे
कुल मिला कर मज़ा आ गया नागपुर में प्रोग्राम करके । आप
लोग भी जब वहां का वीडियो देखोगे तो झूम उठोगे...........बहुत
जल्दी उपलब्ध करवाऊंगा ।
अरे हाँ !
आप अभी तक यदि विचार ही कर रहे हैं तो मेरा अनुरोध है कि
विचार बाद में कर लेना पहले आपने आप को पंजीकृत करलें
http://www.albelakhatri.com/ पर

Posted by
Unknown
Tuesday, July 20, 2010
मेरे देश के नालायक नेताओ !
तुम किसी काम के नहीं हो...........
महंगाई डायन तुम्हें खाती नहीं है
गरमी से भी जान जाती नहीं है
रेल हादसे तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं पाते
नक्सलवादी भी एक बाल उखाड़ नहीं पाते
बाढ़ का पानी तुम्हारे घर में आता नहीं है
स्वाइन फ्लू का भी तुम से नाता नहीं है
प्रजा रो रही है पर तुम्हारी आँखें नम नहीं हैं
क्योंकि इन हालात का तुम्हें कोई ग़म नहीं है
तुम्हारे चेहरे पे लावण्य और दान्तों में चमक है
लगता है तुम्हारे टूथपेस्ट में सचमुच नमक है

www.albelakhatri.com
Posted by
Unknown
Sunday, July 11, 2010
सुबह जोगिंग में मज़ा आने लगा है
शब को लोगिंग में मज़ा आने लगा है
चिपके हैं संगणक से लड़के-लड़कियां
जिनको चैटिंग में मज़ा आने लगा है
फेसबुक हो, ऑर्कुट हो या मैसेन्जर
सब पे सर्फ़िंग का मज़ा आने लगा है
जब से टिप्पणियां कुछेक मिलने लगी हैं
मुझको पोस्टिंग का मज़ा आने लगा है
है नामुमकिन यारो इस को छोड़ना
अब तो ब्लोगिंग में मज़ा आने लगा है

www.albelakhatri.com
Posted by
Unknown
Wednesday, July 22, 2009
एक विधवा के चार बच्चे
एक विधुर के चार बच्चे
दोनों ने आपस में शादी कर ली
फ़िर हो गए चार बच्चे
कुल बारह बच्चे
बहुत अच्छे
एक दिन पत्नी ने पति को फोन किया
ऐ जी सुनते हो ..........
जल्दी से घर पे आओ
घर को गृहयुद्ध से बचाओ
क्योंकि आप वहाँ
ऑफिस में कलम घसीट रहे हैं
और यहाँ
तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे मिलकर
हमारे बच्चों को पीट रहे हैं _______हा हा हा हा हा हा हा
Posted by
Unknown
Saturday, June 27, 2009
मैं गीतकार हूँ
गीत लिखता हूँ
महंगा लिखता हूँ
सस्ता बिकता हूँ
लेकिन जब कोई चेक मिल जाता है
तो जब तक न वो कैश हो पाता है
बैंक के आस-पास ही दिखता हूँ
_________है न शानदार पंक्तियाँ ........
_________पर मेरी नहीं वीनू महेन्द्र की हैं ....हा हा हा हा हा हा
Posted by
Unknown
Wednesday, June 10, 2009
नरेन्द्र मोदीजी,
आख़िर कब तक
आप यू.एस. का वीज़ा नहीं पाओगे ?
वीज़ा नहीं पाओगे तो यू. एस. कैसे जाओगे ?
अरे मेरी बात मान लो
आनन्द उठाओगे
__________मोनिका लेविंस्की से शादी कर लो
__________वीज़ा क्या
__________अमेरिका के जीजा बन जाओगे ___हा हा हा हा
Posted by
Unknown
Tuesday, June 9, 2009
चाहे बरसे नोट ही, चाहे डॉलर आय।
लेकिन वहां न जाइए, जहाँ फुल कप मिले न चाय ॥
________हा हा हा हा हा हा हा ________