Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

विश्व की सर्वाधिक लम्बी ब्लोगर्स मीट में योगेन्द्र मौदगिल की उदारता और अलबेला खत्री का शाक परांठा

प्यारे मित्रो !

सर्दी के आलम में आप सबको मेरा गरमा-गरम नमस्कार !


चूँकि अभी अभी थोड़ी फ़ुर्सत मिली है, इसलिए सर्वप्रथम मैं आपको

बताता हूँ दास्ताँ उस चिट्ठाकार संगोष्ठी की जिसे हिन्दी ब्लोगिंग के

इतिहास में सर्वाधिक लम्बी "हिन्दी ब्लोगर्स मीट" के रूप में दर्ज़

किया जाएगा लीजिये, आप भी शामिल हो कर आनन्द लीजिये :



पहला सत्र :
सूरत में 26 दिसम्बर 2010, शाम 7 बजे

मेज़बान अलबेला खत्री ने मुख्य अतिथि कविवर योगिन्द्र मौदगिल का

सस्नेह-आलिंगन कर के स्वागत किया और उनके पसन्दीदा सोमरस

"
सिग्नेचर" से अभिनन्दन किया श्री मौदगिल ने भी बड़ी उदारता

बरतते हुए, तब तक अविरल सोमपान किया जब तक कि वो पूर्णतः

टुलत्व को प्राप्त नहीं हो गये। सोडा और कोकाकोला का उपयोग

ज़्यादा नहीं किया, क्योंकि उनका मानना था कि अच्छी और स्वस्थ

ब्लोगिंग के लिए सोडा के बजाय पानी मिश्रित सोमपान ही श्रेयस्कर

है क्योंकि सोडा मिश्रित होने से कालान्तर में हाथों के कम्प-कम्पाने

का रोग लग सकता है जो कि एक सक्रिय ब्लोगर के लिए अफोर्डेबल

नहीं
है



चूँकि श्री मौदगिल भुसावल के कवि सम्मेलन में काव्य-पाठ करके लौटे

थे और वहाँ ख़ूब जम-जमा कर आये थे, इसलिए जीते हुए जुआरी की

तरह कुछ ज़्यादा ही चौड़े हो रहे थे लिहाज़ा जब उनसे "हिन्दी ब्लोगिंग

की दशा और दिशा" पर पत्र-वाचन के लिए कहा गया तो उन्होंने अत्यन्त

गम्भीर हो कर कहा, "हिन्दी ब्लोगिंग शब्द साधना की एक ऐसी

मधुशाला है जहाँ संत भी आते हैं, कंत भी आते हैं और चंट भी आते हैं

संत रोज़ कुछ कुछ उम्दा पोस्ट प्रस्तुत करते हैं, कंत उन पर अपनी

टिप्पणियों से सराहना की मुहर लगाते हैं और चंट किस्म के लोग

मीन-मेख निकाल कर उस पर बबाल खड़ा करते हैं "


वे इस विषय में बहुत कुछ कहना चाहते थे लेकिन भूख भी कोई चीज़

होती है भाई, जिसे शान्त करना पड़ता है अरे लाहनत है ऐसे मेज़बान

पर जो मेहमान को भूखा रख कर उससे प्रवचन सुने, ऐसी मेरी मौलिक

मान्यता है इसलिए मैंने उनसे उठ कर खाना खाने चलने को कहा चलने

को इसलिए कहा क्योंकि गुड्डू की माँ गुड्डू के साथ औरंगाबाद गई हुई

थी और अपनेराम घर में अकेले थे लेकिन मौदगिल जी ने हिसाब

लगाया कि आने जाने और वहां खाने में कम से कम दो घंटे लग जायेंगे

जबकि इससे कम समय में खाना घर में ही बना कर खाया जा सकता है

फिर क्या था, मैंने आटा गूंथा, मौदगिल जी ने आलू, हरी मिर्च, लहसुन,

टमाटर इत्यादि काटे और मैंने एक चूल्हे पर सब्ज़ी और दूजे पर परांठे

बना कर साबित कर दिया कि आज का हिन्दी ब्लोगर आत्म-निर्भर है


खाना खा पी कर घड़ी देखी तो तड़के के तीन बज चुके थे, लिहाज़ा

जल्दी-जल्दी एक दो ब्लोगरों की निंदा करके मैंने सो जाने का प्रस्ताव

रखा जिस पर सो जाने के लिए तो वे सहमत होगये लेकिन निंदा के लिए नहीं,

उनका तर्क था कि अपनी नींद खराब करके दूसरे की निंदा करने में कोई लाभ

नहीं, निंदा ऐसी हो जो सामने वाले की नींद उड़ा दे..........मैंने विनम्रता पूर्वक

उनका बिस्तर लगा दिया और वो एक शरीफ़ आदमी की तरह सो गये


अब जब वो सो गये तो मैं अकेला बैठा क्या झख मारता ? मैं भी सो गया

उठने के बाद क्या हुआ ? ये जानने के लिए एक बार फिर आईयेगा यहीं,

इसी जगह ............अगले अंक में


hasna mana hai,hasyakavi sammelan in singapore, albela khatri ka hasyahungama, hindi kavi, hasya kalakar, hindi bloggers, vina, veena malik, poet

11 comments:

शिवम् मिश्रा January 22, 2011 at 11:18 PM  

मान गए बड़े भईया आपको ... क्या खातिर की है ... कवि वर की ... जब तक उनको 'टुलत्व' प्राप्त नहीं करवा दिए माने नहीं ! जय हो महाराज !

एस एम् मासूम January 23, 2011 at 12:18 AM  

बढ़िया लगा पढ़ के..

ब्लॉ.ललित शर्मा January 23, 2011 at 2:01 AM  

हमने के बिगाड़ा था? बुला लेते तो और भी सार्थक गोष्ठी हो जाती। भाड़ा एक ही तरफ़ का दे देते तो भी काम चल जाता। आग्गे से ध्यान रखणा भाई। नुं नही चलेगा काम। हा हा हा हा

एक ब्लागरमीट सूरत में होणी चाहिए।

गुड्डू की माँ नै म्हारी राम राम और गु्ड्डू नै आशीर्वाद

दिनेशराय द्विवेदी January 23, 2011 at 7:31 AM  

???????? !!!!!!!!

हरी बल्लभा January 23, 2011 at 5:16 PM  

हमने कौन पाप किया था? हमका भी बुलवा लेते हम भी गना चूस लेती भाईजान।

Barikul Ansari malegaonkar January 23, 2011 at 10:06 PM  

waah..........

aagaami ank ka intjaar hai

Sarla shwetambri January 23, 2011 at 10:08 PM  

ye kaisi meeting thi ji...samajh nahin aayi, par agli kadi padhne zaroor aaungi

jaldi post karo pleaz

USHA RAJASTHANI January 23, 2011 at 10:21 PM  

ye bhi khoob rahi albela baboo........

राजीव तनेजा January 23, 2011 at 10:33 PM  

रोचक वर्णन...
अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा

Rachana Rawalwasiya January 23, 2011 at 10:40 PM  

good !

Unknown January 24, 2011 at 4:29 PM  

जनाब जाकिर अली साहब की पोस्ट "ज्‍योतिषियों के नीचे से खिसकी जमीन : ढ़ाई हजा़र साल से बेवकूफ बन रही जनता?" पर निम्न टिप्पणी की थी जिसे उन्होने हटा दिया है. हालांकि टिप्पणी रखने ना रखने का अधिकार ब्लाग स्वामी का है. परंतु मेरी टिप्पणी में सिर्फ़ उनके द्वारा फ़ैलाई जा रही भ्रामक और एक तरफ़ा मनघडंत बातों का सीधा जवाब दिया गया था. जिसे वो बर्दाश्त नही कर पाये क्योंकि उनके पास कोई जवाब नही है. अत: मजबूर होकर मुझे उक्त पोस्ट पर की गई टिप्पणी को आप समस्त सुधि और न्यायिक ब्लागर्स के ब्लाग पर अंकित करने को मजबूर किया है. जिससे आप सभी इस बात से वाकिफ़ हों कि जनाब जाकिर साहब जानबूझकर ज्योतिष शाश्त्र को बदनाम करने पर तुले हैं. आपसे विनम्र निवेदन है कि आप लोग इन्हें बताये कि अनर्गल प्रलाप ना करें और अगर उनका पक्ष सही है तो उस पर बहस करें ना कि इस तरह टिप्पणी हटाये.

@ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ ने कहा "और जहां तक ज्‍योतिष पढ़ने की बात है, मैं उनकी बातें पढ़ लेता हूँ,"

जनाब, आप निहायत ही बचकानी बात करते हैं. हम आपको विद्वान समझता रहा हूं पर आप कुतर्क का सहारा ले रहे हैं. आप जैसे लोगों ने ही ज्योतिष को बदनाम करके सस्ती लोकप्रियता बटोरने का काम किया है. आप समझते हैं कि सिर्फ़ किसी की लिखी बात पढकर ही आप विद्वान ज्योतिष को समझ जाते हैं?

जनाब, ज्योतिष इतनी सस्ती या गई गुजरी विधा नही है कि आप जैसे लोगों को एक बार पढकर ही समझ आजाये. यह वेद की आत्मा है. मेहरवानी करके सस्ती लोकप्रियता के लिये ऐसी पोस्टे लगा कर जगह जगह लिंक छोडते मत फ़िरा किजिये.

आप जिस दिन ज्योतिष का क ख ग भी समझ जायेंगे ना, तब प्रणाम करते फ़िरेंगे ज्योतिष को.

आप अपने आपको विज्ञानी होने का भरम मत पालिये, विज्ञान भी इतना सस्ता नही है कि आप जैसे दस पांच सिरफ़िरे इकठ्ठे होकर साईंस बिलाग के नाम से बिलाग बनाकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने लग जायें?

वैज्ञानिक बनने मे सारा जीवन शोध करने मे निकल जाता है. आप लोग कहीं से अखबारों का लिखा छापकर अपने आपको वैज्ञानिक कहलवाने का भरम पाले हुये हो. जरा कोई बात लिखने से पहले तौल लिया किजिये और अपने अब तक के किये पर शर्म पालिये.

हम समझता हूं कि आप भविष्य में इस बात का ध्यान रखेंगे.

सदभावना पूर्वक
-राधे राधे सटक बिहारी

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive