एक-एक चेहरा मायूस सा हताश सा है
एक-एक चेहरा उदास मेरे देश में
भाई आज भाई का शिकार खेले जा रहा है
बहू को जला रही है सास मेरे देश में
इतना सितम सह के भी घबराओ नहीं,
तोड़ो नहीं बन्धु यह आस मेरे देश में
टेढ़े-मेढ़े लोगों को जो सीधी राह ले आएगा,
पैदा होगा फिर से सुभाष मेरे देश में
9 comments:
वाह सुंदर.
टेढ़े-मेढ़े लोगों को जो सीधी राह ले आएगा,
पैदा होगा फिर से सुभाष मेरे देश में
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उम्मीद रक दुनिया कायम है!
वाह! नमन उस अमर शहीद को, और आपका शुक्रिया!
जय हिन्द
जय हिन्द।
jai hind ! bade bhai.
'paida hoga fir se subhash mere desh me '
aisa hi ho!
sundar chhand padhne ko mila .
hardik aabhar.
एक एक छंद सटीक हैं भाई ...बहुत सामयिक प्रस्तुति...आभार
राष्ट्र नज़रबन्द
और
राष्ट्रघाती स्वतन्त्र है
.
Bahut sahee keha
अच्छी सामयिक और सार्थक रचना के लिये बधाई।
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