क्षिति,जल,पावक,गगन,समीरा, पंच तत्त्व कहलाते हैं
इन्हीं पाँच से परमपिता प्रभु सुन्दर सृष्टि सजाते हैं
दो धुरियों पर टिकी हुई है कालचक्र की गतिविधि सारी
एक धुरी है नर नारायण, दूजी धुरी है भगवती नारी
नर-नारी के मधुर मिलन से सारी दुनिया चलती है
पैदा होती, पल्लवित होती, फूलती है और फलती है
फिर क्यों सारी दुनिया करती केवल नर की अगवानी
क्यों नारी के आँचल में है पीड़ा और आँखों में पानी
यह पानी यदि नारी-हृदय से लावा बन कर फूट पड़ेगा
फट कर रह जायेगी वसुधा, सारा अम्बर टूट पड़ेगा
जल,थल,अनल व गगन,पवन,सब उगलेंगे अंगार
नारी न होगी जगत में तो जल जायेगा संसार
-अलबेला खत्री
प्यारे ब्लोगर मित्रो !
सादर नमस्कार
पिछले कुछ दिनों से लेखनीय और मंचीय व्यस्तता इतनी बढ़ गई है न तो नींद पूरी हो रही है न आराम, लेकिन काम तो काम है और हर हाल में करना है, परन्तु इस चक्कर में मैं किसी भी ब्लॉग को बाँच नहीं पा रहा हूँ..............जैसे ही ज़रा फुर्सत मिलेगी, एक साथ सबको पढ़ के टिप्पणी के साथ हाज़िर होऊंगा . मेरे मित्र कृपया मेरी विवशता समझेंगे और स्नेह बनाए रखेंगे
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
जय हो
क्या बात है, बहुत सुन्दर!
ati sundar rachna
aapko man se badhaai aur aashirvad
aise hi likhte raho aur baar bar dikhte raho
-om
wah albela ji
sundar aur saral rachna
thanks
यादि नारी ना इस जगत मे तो , कुछ भी ना हो जी, बहुत सुंदर रचना रची आप ने धन्यवाद
क्या बात है, बहुत सुन्दर
क्या बात है, बहुत सुन्दर रचना....
क्या बात है, बहुत सुन्दर!
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कविता है बड़े भाई !
wah.....wahwa....
लाजवाब कविता!
लोहड़ी की बधाई हो!
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