आज कई दिनों बाद जैसे ही ब्लॉग खोला, आदरणीय गिरीश 'बिल्लोरे'जी,
बबालजी और विजयकुमार तिवारी 'किसलय'जी की लेखनी द्वारा वर्णित 07
अप्रैल की रात जबलपुर में घटी शर्मनाक घटना का वर्णन पढ़ा। हालाँकि बहुत
अच्छा लिखा,
निष्पक्ष और बिना किसी पूर्वाग्रह के लिखा गया वर्णन था परन्तु
मैं समझता हूँ कि ये पर्याप्त नहीं है इसलिए नहीं कि उस रात मैं कुमार विश्वास
के षड़यंत्र का शिकार हो गया बल्कि इसलिए क्योंकि कुमार विश्वास का काला
सच बहुत बड़ा और चौंका देने वाला है उनके लिए जो उसे पूरी तरह जानते
नहीं हैं ।
अब मैं परत-दर-परत आपको बताऊंगा कि उसकी वास्तविक कारगुज़ारियाँ
कितनी घटिया और न केवल कविता बल्कि काव्य-मंचों और कवि
सम्मेलन के आयोजकों को भी शर्मसार कर देने वाली हैं ।
साथ ही मैं इस आलेख के माध्यम से खुली चेतावनी देता हूँ कुमार विश्वास
को कि अब कोई धृष्टता न करे, क्योंकि उसके पापों का घड़ा और मेरे
सब्र का बांध लगभग भर चुका है । यदि भविष्य में फिर कोई ऐसी साजिश
की तो परिणाम वही होगा जिसे मैं अब तक टालता रहा हूँ ।
अब एक बात मैं सभी ब्लोगर बन्धुओं से पूछना चाहता हूँ ख़ासकर कवि
मित्रों से कि आपकी ऐसी कोई कविता जो कि लोकप्रिय होने के साथ-साथ
आपको भी बहुत प्रिय हो, आपकी पुस्तक में प्रकाशित होने के अलावा
अनेक चैनलों से प्रसारित और अनेक काव्य-मंचों से पढ़ी जा चुकी हो
उस कविता को यदि कोई दूसरा व्यावसायिक कवि बिना आपकी अनुमति
के दुनिया भर में सुनाता रहे और अपने नाम से सुनाता रहे तो क्या आप
उसे क्षमा कर देंगे ? क्या आप ये बर्दाश्त कर पाएंगे कि आपकी औलाद
का बाप कोई दूसरा कहलाये।
अभी 08 अप्रेल को हिन्दी दैनिक भास्कर के सभी संस्करणों में मुखपृष्ठ
पर एक कविता छपी है 'जीवन एक क्रिकेट है'
इस कविता को बहुचर्चित युवा सन्त तरुण सागर अपने प्रवचनों में भी
बोलते रहे हैं और भास्कर में भी उन्हीं के हवाले से छपी है जबकि ये मेरी
कविता मेरे काव्य-संकलन 'सागर में भी सूखा है मन' के अलावा अनेक
अखबारों, स्मारिकाओं, कवि-सम्मेलनों और स्टार, सोनी,एनडीटीवी,
इण्डिया टी वी और सहारा टी वी ज़रिये अनेकानेक बार लोगों तक पहुँच
चुकी है । पर मैंने तरुण सागर पर क्रोध इसलिए नहीं किया क्योंकि
सन्त तरुण सागर कोई व्यावसायिक कलाकार नहीं है इसलिए बाज़ारू
लाभ नहीं ले रहे, केवल अपने प्रवचनों में मजबूती लाने के लिए के लिए
चोरी कर रहे हैं । इस कारण इस कविता का चोर होते हुए भी वे दण्डनीय
चोर नहीं हैं जबकि कुमार विश्वास तो मेरा व्यावसायिक मंचीय साथी है
और जानता है कि मेरी कविता को चुराना उसे कतई शोभा नहीं देता इसके
बावजूद वह मेरी एक रचना को हर मंच पर सुनाता है और वाहवाही लूटता है ।
आपकी जानकारी के लिए बतादूँ कि वह कविता भी संकलन में छपी हुई है
और लोकप्रिय भी है । कहिये, क्या सुलूक किया जाये अब इस काव्य-चोर
के साथ ?
रही बात 07 अप्रेल की घटना वाली, तो वो अगले अंक में सविस्तार लिख
रहा हूँ ............यकीं मानिए , जो लिखूंगा, सच लिखूंगा और सच इतना
गन्दा है कि आप झटका खा जायेंगे...........
तो मिलते हैं एक कप चाय के बाद................बहुत दिनों बाद
बीवी के हाथ की चाय मिल रही है भाई........
क्रमशः
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
18 comments:
अलबेला जी
सिलसिला रुकेगा नहीं जब तक कुमार माफ़ी नही मान लेते
अलबेला जी एक पोस्ट और लगा रहा हूं
शीघ्र लिन्क देता हूं
एकदम दुरुस्त फ़रमाया अलबेला साहब। क्या कहना!
@गिरीश बिल्लोरेजी !
मुझे ख़ुशी है कि आप जैसे हिन्दी प्रेमी और जागरूक ब्लोगर कवि-सम्मेलन में आई गन्दगी को साफ करने की मुहिम चला रहे हैं ..मैं भी पूरी तरह आपके साथ हूँ............
आपका धन्यवाद !
दूसरों की अपमान की हद तक खिंचाई करना...अपने आगे किसी को कुछ ना समझना…निर्लज्ज होकर ऊट पटांग पैसे मांगना…खुद को अमिताभ.शाहरुख और हिर्तिक रौशन से बड़ा स्टार मानना….अपनी प्रस्तुति के समय मंच की विडियो रिकार्डिंग बन्द करवा देना…आयोजकों से गैर-ज़रुरी खर्चे करवाना इत्यादि उनकी घमंडात्मक सोच का परिचायक है …महज़ एक गीत को सुनाने में डेढ़ से दो घंटे तक लगा देना(शायद उनके लिए श्रोताओं के समय की कोई कीमत नहीं है या फिर उनके पास और कुछ है ही नहीं अपने श्रोताओं को सुनाने के लिए) अपने लोकप्रिय गीत की एक पंक्ति सुनाने के बाद इधर-उधर की और ना जाने किधर-किधर की हांकने के बाद फुर्सत मिलने पर फिर पहली पंक्ति से पुन: उसी गीत को शुरू करना उनकी खास आदतों में शुमार है|
उनकी नज़रों उन लोगों की भी कोई कद्र नहीं जो उन्हें अपना दोस्त…अपना मित्र…अपना सखा कहते हैं और उनके लिए…उनके ही नाम से ब्लॉग तक बना कर उसे नित नियम से अपडेट भी करते हैं|
कुमार विश्वास जी की नज़रों में ऐसे सब लोग उनके मित्र नहीं बल्कि फैन मात्र हैं जो अपनी मर्जी से…अपनी खुशी के लिए ये सब कर रहे हैं(ऐसा उन्होंने खुद मुझसे पानीपत के एक कवि सम्मलेन में हुई बातचीत के दौरान कहा)
अश्लील एवं भौंडी चुटकलेबाज़ी करके…किसी को भी नहीं बक्शने की अपनी सोच के चलते चर्चा में बने रहना अगर हुनर है तो फिर वाकयी में ये हुनर उनमें कूट-कूट भरा हुआ है
उनसे हुई एक मुलाक़ात के दौरान मैं उनके बारे में बस इतना ही जान पाया हूँ
@राजीव तनेजाजी !
आप सच कह रहे हैं मित्र ! आपने जो जाना वो और भी अनेक लोगों का अनुभव है और अब तो सारी दुनिया को ज्ञात हो जायेगा क्योंकि कुमार की हरकतें अब बर्दाश्त के बाहर हो गई हैं . अब तक सिर्फ़ इसलिए चुप था मैं क्योंकि वो मंच का साथी है
अब उस साथी का क्या करें जो दीमक की भान्ति खाने लगी है
आपका धन्यवाद यहाँ आने के लिए
hmmmmmmmmmmmmmmm
अलबेला भाई ... सिर्फ़ इतना ही कह सकता हूँ ... सत्यमेव जयते ... सदा सदा जयते ...!! मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ थी, है और रहेंगी !
पढ़ रहे हैं, और सोच रहे हैं
उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़्फ़्फ़फ़
अलबेला जी
प्रणाम !
मैं मेरे पास आई निम्नलिखित मेल से ही रोमांचित हूं … और आपके यहां तो फुलझड़ी की जगह एटमबम फोड़े जा रहे हैं … :) अगली कड़ियों का इंतज़ार रहेगा बस …
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मेरे पास आई एक मेल :-
एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये
और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुयेवटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
इसे जबलपुर में प्रतिबंधित करने के लिये कई मित्रों ने क़दम आगे बढ़ाएं हैं
ज़रूरी हुआ तो प्रशासन को बताया जावेगा
Albela,
You should be ashamed of your knowledge about the Indian culture and religion.
You sound like a 'Gunda' to me than a 'Kavi'.
Shame on you my friend !
"...जिस आदमी को भगवान ने पहले ही नंगा कर रखा है इससे ज़्यादा दण्ड मैं उसे और दे भी क्या सकता हूँ
वाह! क्या बात कही है!! लाजवाब!!!
@ ravi ratlami ji !
krodh aur dukh me aadmi kadve shabdon ka prayog kar leta hai - yahi mujhse bhi hua lekin jo hua uske liye zimmedaar main akela nahin, ye bhi aap jaan gaye honge...
fir bhi yadi meri bhaasha aapko pasand na aayi ho toh main vinamratapoorvak kshmaprarthi hoon
aapki upasthiti ko pranaam karta hoon
-albela khatri
Albela & His Supporters
"...जिस आदमी को भगवान ने पहले ही नंगा कर रखा है इससे ज़्यादा दण्ड मैं उसे और दे भी क्या सकता हूँ" this shows your POOR mentality. One Religious person is Promoting your Writing with NO self purpose. Tarun Sagar Maharaj Ji is Helping ENTIRE Globe through his Pravchans, you should be happy that your Writing is being used for some GOOD SOCIAL Cause by person who NEVER gave His name to your Writing
यहाँ पर जीतने भी लोगों नें संत तरुण सागर पण निंदनिय टिपण्णीया कि है,
आपको अगर किसी विषय का पुरा ग्यान नहीं तो ऊस पर टिपण्णी करना केवल आपकी मुर्खता है और किसी कि निंदनीय टिपण्णी का समर्थन भी निचता हैं.
कवि के लीये ऊसका काव्य समाज हेतु के लीये ऊपयोग में लाया जाना आनंद की बात होनी चाहिये संत तरूण सागर चोर नहीं वे खुले आम समाज में आपके कविता का ऊपयोग कर आपके कविता को प्रसीध्दि दे रहे है ईस बात कि आपको खुशी होती गर आप आपकी कविता से प्रेम करते, आप केवल अपनि प्रसिद्धी के भुके है लेखक या कवी नहीं.......आप मेरे इस टिपण्णी को अपने ब्लॉगपर छापने का धैर्य शायद!!!! रखते होंगे
Albela
Not good to say something like this about Muni like Tarun Sagar Ji:(
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