असम्मान में,
निरादरणीय डॉ कुमार विश्वास,
तथाकथित फ़िल्म गीतकार एवं सर्वाधिक महंगे मंचीय कवि,
भारत
प्रसंग : आपके भव्य पुंगीवादन समारोह की अनुमति पाने के क्रम में ।
सन्दर्भ : आपके दोगले कृतित्व से आहत हिन्दी हास्य कवि-सम्मेलन ।
अपने आपको वोडाफोन वाले कुत्ते से भी ज़्यादा लोकप्रिय,
व्यस्त और महंगे बताने वाले आत्ममुग्ध महोदय !
समय आ गया है कि अब आपकी कलई खोल दी जाये और आपके वास्तविक
चरित्र से अनभिज्ञ जनता को बता दिया जाये कि आप कितने पहुंचे हुए
झूठे, चोरटे, लम्पट, भितरघाती, यारमार, नमकहराम और फेंकुचंद प्राणी हैं
ताकि वे लोग सावधान हो जाएँ जो आपको बढ़ावा ही नहीं देते बल्कि
चढ़ावा भी देते हैं तथा भूलवश आपको घर बुला कर अपने परिवार की बहन-
बेटियों के साथ बतियाने व खिलाने पिलाने की गलतियाँ कर बैठते हैं ।
कृपया एक बार ज़ोरदार ताली बजा कर अनुमति दे दें ताकि ये समारोह
विधिवत शुरू किया जा सके । वैसे आप ताली नहीं बजायेंगे तो भी हम
आपकी पुंगी बजायेंगे और जम कर बजायेंगे ।
कहिये, श्रीगणेश कहाँ से करें ? 1991-92 के जयपुर स्थापना समारोह से
या 93-94 के गुजरात हिन्दी समाज - अहमदाबाद के कवि-सम्मेलन से ?
5 साल पहले हुए कमानिया गेट जबलपुर कवि सम्मेलन से या 5 फरवरी
2011 को सिंगापोर वाले कवि-सम्मेलन से ? राजकुमार भक्कड़ के लिए
की गई घटिया टिप्पणी से या गणपत भंसाली और सुबचनराम के
मखौल से ? प्रख्यात कवि बलबीर सिंह 'करुण' के अपमान से या गजेन्द्र
सोलंकी के उपहास से ? सूरत में शबीना अदीब के खिलाफ साजिश से
या भोपाल में रमेश शर्मा को फ़्लॉप कराने से ? मल्लिका शेरावत पर
फ़िल्माये गये तुम्हारे गाने से या लाफ्टर चेलेंज के डायरेक्टर पंकज
सारस्वत द्वारा तुम्हें तुम्हारी औक़ात दिखाने से ? मंच पर अन्य
कवियों की टिप्पणियां भुनाने से या अन्य प्रदेशों में अपनी मातृभूमि
उत्तर प्रदेश का मज़ाक उड़ाने से ?
यों तो अनेक बिन्दु हैं लेकिन मुझे एक बार इन में से ही कोई बता दो
ताकि मैं अपना काम शुरू कर सकूँ .............इस निर्णय के लिए आपके
पास हैं कुल 12 घंटे और आपका खराब समय शुरू होता है अब ।
अगली पोस्ट में अलबेला खत्री आपको बतायेगा -
जो तोको कांटा बुवे, ताहि बोव तू भाला
वो भी साला याद करेगा, किससे पड़ा है पाला
लगातार .........................अगले अंक में
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
10 comments:
Bhrasht aachran kaheen bhi, kisi bhi tarah ka ho aur chaahe kisi ke bhee dwara kiya gaya ho, use logon ke saamne lana hi chahiye..
जो तोको कांटा बुवे, ताहि बोव तू भाला
इसकी तो सच्ची में पुंगी बजा दो दादा। बताओ आपसे इतना छोटा होकर आपको खड़े नाम से पुकारता है कमअकल। दादा मैने न आज यूट्यूब पर भी इस कुम्मू की क्लिपिंग देखी। उसमें भी एक जगह आपको यह खड़े नाम से पुकार रहा था। ये हाँगकाँग आयेगा ना तो इसे एक धोबी पछाड़ जरूर मारूँगा ही ही।
क्या कहें?
प्रणाम
@ दीपक मशालजी !
आपका कहना सही है, मेरा पूरा प्रयास रहेगा कि इस भ्रष्ट आचरण को सबके सामने ला सकूँ
@किलर झपाटाजी !
अब पुंगी तो बज कर ही रहेगी
@ललित शर्माजी !
भाला बो दिया गया है भाईजी............
आप सब का धन्यवाद
अलबेला भाई ... सिर्फ़ इतना ही कह सकता हूँ ... सत्यमेव जयते ... सदा सदा जयते ...!! मेरी हार्दिक शुभकामनाएं आपके साथ थी, है और रहेंगी !
अलबेला जी
प्रणाम !
मैं मेरे पास आई निम्नलिखित मेल से ही रोमांचित हूं … और आपके यहां तो फुलझड़ी की जगह एटमबम फोड़े जा रहे हैं … :) अगली कड़ियों का इंतज़ार रहेगा बस …
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मेरे पास आई एक मेल :-
एक चोरी के मामले की सूचना :- दीप्ति नवाल जैसी उम्दा अदाकारा और रचनाकार की अनेको कविताएं कुछ बेहया और बेशर्म लोगों ने खुले आम चोरी की हैं। इनमे एक महाकवि चोर शिरोमणी हैं शेखर सुमन । दीप्ति नवाल की यह कविता यहां उनके ब्लाग पर देखिये
और इसी कविता को महाकवि चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने अपनी बताते हुयेवटवृक्ष ब्लाग पर हुबहू छपवाया है और बेशर्मी की हद देखिये कि वहीं पर चोर शिरोमणी शेखर सुमन ने टिप्पणी करके पाठकों और वटवृक्ष ब्लाग मालिकों का आभार माना है. इसी कविता के साथ कवि के रूप में उनका परिचय भी छपा है. इस तरह दूसरों की रचनाओं को उठाकर अपने नाम से छपवाना क्या मानसिक दिवालिये पन और दूसरों को बेवकूफ़ समझने के अलावा क्या है? सजग पाठक जानता है कि किसकी क्या औकात है और रचना कहां से मारी गई है? क्या इस महा चोर कवि की लानत मलामत ब्लाग जगत करेगा? या यूं ही वाहवाही करके और चोरीयां करवाने के लिये उत्साहित करेगा?
@ अन्तर सोहेल जी !
क्या कहें से क्या मतलब है ? वही कहो जो जानते हो ..आप तो होशियार आदमी हो बन्धु, सब को भली-भान्ति पहचानते हो
@ राजेन्द्र स्वर्णकारजी !
किसी की रचना को चुराना उसकी औलाद चुराने से कम नहीं है भाईजी ! ऐसे लोगों का विरोध तो होना ही चाहिए........
@ शिवम् मिश्रा जी !
बस यही शुभकामनायें बहुत हैं मित्र ! बाकी तो मैं हूँ न !
आपका आभार
पुंगी वादन जारी रहे
तब तक जब तक व्यक्तिव में उनके निखार न आ जाये
क्या आप कविता, कहानी, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, दोहे अथवा हिंदी भाषा की किसी भी विधा में लेखन करते या लिखने की इच्छा रखते हैं ? क्या आप एक भव्य मंच की तलाश में हैं ? क्या आप अपने कृतित्व को सही आयाम देना चाहते हैं ? यदि हां तो हम आपकी सहायता करेंगे। देशभर के प्रबुद्ध साहित्य सेवियों और सुप्रसिद्ध साहित्यकारों की संस्था से जुड़िए, अखिल भारतीय स्तर की हिन्दी सेवी संस्था अखिल भारतीय साहित्य परिषद की जयपुर शहर की इकाई में।
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