फ़िल्म : नया दौर
तर्ज़ : ये देश है वीर जवानों का
ये देश है गड़बड़झालों का,
घोटाले पर घोटालों का
इस देश का यारो क्या कहना
बेहतर होगा चुप ही रहना
आसाम जला, बंगाल जला, गुजरात जला, पंजाब जला
जम्मू में गोली चलती है
कश्मीर में आग मचलती है
कभी बम फटते हैं रेलों में, कभी विष मिलता है तेलों में
यहाँ नित नित दंगे होते हैं
और लीडर नंगे होते हैं
पहले ही कर्ज़ेदार हैं हम, पर पाने को तैयार हैं हम
यदि पकड़ कटोरा डट जाएँ
मुश्किल है कि पीछे हट जाएँ
जब जंग के बादल छाएंगे, बारूद चलाये जायेंगे
ये किन्नर काम न आयेंगे
सब घर अपने भग जायेंगे
ये सत्ता के भूखे नेता
क्या खा कर देश बचायेंगे
6 comments:
काश वह गीतकार आज के समय की संभावनाएं देख लेता तो शर्तिया इस तरह का गीत तो नहीं ही लिखता
मस्त कर दिया आप के गीत ने, बहुत सुंदर लेकिन सत्य हे आज का
अलबेला जी, आज हास्य छोड कर देशभक्ति में आ गये। बधाई हो।
गड्बड गोटाला अच्छा है..मेरे ब्लौग 'बात का बतंगड' पर आइए..आप के बारे में मैने कुछ लिखा है!
जब जंग के बादल छाएंगे, बारूद चलाये जायेंगे
ये किन्नर काम न आयेंगे
सब घर अपने भग जायेंगे
ये सत्ता के भूखे नेता
क्या खा कर देश बचायेंगे
क्या लिखा है दादा. वाह जब जंग के बादल छायेंगे ये किन्नर काम ना आयेंगे.
किन्नर ताली बजाने के काम भी आ जायें पर इनसे कोई उम्मीद नहीं.
हाय आज तो नज़र उतारने को जा चाहता है.
बयान ज़ारी रहे.
iske bina kaam bhi to nahi chalta.
बहुत सुन्दर लिखा आपने. बधाई.
आपका स्वागत है.
दुनाली चलने की ख्वाहिश...
तीखा तड़का कौन किसका नेता?
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