भई कमाल की जगह है पिथोरा !
कहने को छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा क़स्बा है, परन्तु जो बात
वहां देखने को मिली, वो गत 28 वर्षों में मुझे कहीं दिखाई नहीं दी.
कविता - साहित्य के प्रति इतना लगाव और समर्पण कि पिछले 23
वर्षों से " श्रृंखला साहित्य मंच " नाम की एक संस्था लगातार छोटी
बड़ी संगोष्टियां आयोजित करने के अलावा साल में एक बड़ा कवि-
सम्मेलन भी करवाती है जिनमे आयोजक भी कवि, दर्शक-श्रोता भी
कवि और वक्ता तो कवि होते ही हैं . उल्लेखनीय यह है कि इन आयोजनों
के लिए किसी से न कोई चन्दा लिया जाता है, न प्रायोजक बनाया जाता
है और न ही टिकट रखा जाता है बल्कि सारा का सारा खर्च मंच के
सदस्यों द्वारा स्वयं वहन किया जाता है .
मैंने देखा कि इस संस्था के कवि-सम्मेलन में शामिल होने लोग बहुत
दूर-दूर से भी आये थे....क्योंकि वहाँ के कार्यक्रम में कविता का स्तर
भी औसत से ऊँचा रहता है . मनोरंजन चलता है परन्तु अश्लीलता,
उन्माद, चुटकुलेबाज़ी और भड़काऊ टिप्पणियों से सर्वथा मुक्त रखा
जाता है .
भले ही वहाँ कवियों को मानदेय बहुत कम मिलता है, परन्तु पैसा ही
तो सब कुछ नहीं, आन्तरिक संतुष्टि भी तो कोई चीज होती है जो
भरपूर मिलती है . मैं बधाई देता हूँ श्री शिव मोहंती और उनके समस्त
साथियों को व कामना करता हूँ कि ये चराग सदा सदा प्रज्ज्वलित रहे
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
6 comments:
सभी पिथौरावासियों हार्दिक धन्यवाद
yahi toh chahiye sir ki jo accha evan sarahniya hai use hum logon tak pahuchayein,apse yeh jankari prapt karke accha laga....
shubhkamnayein!!!!
sir ji thanks
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ऐसी संस्थाएँ अब दुर्लभ हो गई हैं।
आप पोस्ट लिखते है तब हम जैसो की दुकान चलती है इस लिए आपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सिर्फ़ सरकार ही नहीं लतीफे हम भी सुनाते है - ब्लॉग बुलेटिन
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