जैसे ही जलगाँव से ट्रेन चली, मानो तूफ़ान सा आ गया बोगी में.........
हालाँकि वातानुकूलित यान में बाहरी फेरी वालों का आना और चिल्लाना
मना है परन्तु दो-तीन लोग घुस आये अन्दर और सुबह सुबह लगे शोर
करने, " चौधरी की चाय पियो ...चौधरी की चाय पियो " मेरा दिमाग ख़राब
हो गया । होना ही था ।
अरे भाई क्यों पीयें हम चौधरी की चाय ? चौधरी की हम पी लेंगे तो वो क्या
पीयेगा बेचारा ? कंगाल समझा है क्या ? अपनी चाय भी खरीद कर नहीं पी
सकते क्या हम ? चौधरी ने क्या राज भाटिया की तरह हमको ब्लोगर मीट
में बुला रखा है कि उसकी चाय फ़ोकट में पीलें ?
घर आकर टी वी ओन किया तो और दिमाग ख़राब हो गया । विज्ञापन आ
रहा था - 'रूपा के जांघिये पहनें, रूपा के जांघिये पहनें ..' यार फिर वही बात,
ये हो क्या गया है लोगों को ? क्यों पहनें हम रूपा के जांघिये ? हम अपने
ख़ुद के पहन लें, तो ही बड़ी बात है और फिर हम ठहरे पुलिंगी, तो स्त्रीलिंगी
जांघिये पहना कर तुम हमारा जुलूस क्यों निकालना चाहते हो भाई ? चलो,
तुम्हारे इसरार पर हमने रूपा के जांघिये पहन भी लिए तो तुम्हारा क्या
भरोसा..कल को तुम तो कहोगे रूपा की ब्रा भी पहन लो..........न भाई न !
हम नहीं पहनते रूपा के जांघिये...........जा के कह दो अपनी रूपा से कि
अपने जांघिये ख़ुद ही पहनें - हमारे पास ख़ुद के हैं लक्स कोज़ी ।
नेट खोला तो पता चला कि मुन्नी की बदनामी और शीला की जवानी
वाले गानों का विरोध हो रहा है । कमाल है भाई......गाना गाने वाली नारी,
गाने पर नाचने वाली नारी और नचाने वाली भी नारी और विरोध करने
वाली भी नारी !
एक वो भली मानस नारी जो अभी अभी बिग बोस के "चकलाघर" से
बाहर आई है, कह रही है कि उसने जो किया वो तहज़ीब के अनुसार ही
था यानी उसने कोई सीमा नहीं लांघी..........यही तो दुःख है कि सीमा नहीं
लांघी ! अब लांघ जाओ बाई ! जाओ तुम्हारे देश की सीमा में घुस जाओ ।
यहाँ का माहौल गर्म मत करो.........थोड़ी बहुत लाज बची रहने दो बच्चों
की आँख में, पूरी नस्ल को बे-शर्म मत करो ।
6 comments:
फ़िर वही बात, रुपा के अन्डरविअर पहनोगे तो रुपा क्या पहनेगी?
हा हा हा हा, हम तो अपना लक पहन के चलते हैं :)
रूपा के जांघिया पहनने वालों को ट्रांस्वेत्ताईट कहते हैं । :)
हा हा हा हा
ha ha ha ha
ha ha ha ha
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