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दो सक्रिय हिन्दी ब्लोगर्स सामने आये और दीवार की तरह खड़े रह कर मंचस्थ लोगों को सर्दी से बचाया



25 दिसम्बर की रात, राजस्थान के पिलानी में सर्वाधिक  सर्दी

..और उस महा सर्दी की रात दो बजे तक चला कवि-सम्मेलन ! 


BITS के चेयर पर्सन श्री हर्षवर्धन जी बिरला  के  मुख्य आतिथ्य में  


संपन्न हुए  इस रंगारंग  कवि-सम्मेलन में  'जन गण मन' के 

समय सभी कवि/कवयित्री ठण्ड के मारे  कंप-कंपा  रहे थे  ऐसे में   

दो सक्रिय हिन्दी ब्लोगर्स सामने आये और  एक सिरे पर 

अलबेला खत्री और दूजे सिरे पर  सुनीता शानू  ने दीवार की तरह 

खड़े रह कर  मंचस्थ  लोगों को सर्दी से बचाया....भरोसा न होतो  

फोटो देख कर लें . 


महान उद्योगपति स्व. राधाकृष्ण बिरला की जन्मशती के अवसर 


पर  आयोजित इस विराट कवि-सम्मेलन में  उनके सुपुत्र श्री हर्षवर्धन 

बिरला ने  भी  ख़ूब शेरो-शायरी  सुना कर  कवियों को अचंभित और  

दर्शकों को  मनोरंजित किया . दर्शक  दीर्घा में  बिरला परिवार  के 

समस्त  लोग थे जो कि देश-विदेश  से  जन्मशती समारोह में शिरकत 

करने आये थे . 


उस रात मैंने सुनीता शानू को पहली बार सुना  और महसूस किया कि 


वह एक बेहतरीन कवयित्री है . उन्हें  मंच  पर आना चाहिए ताकि  

अच्छी रचना का अभाव मंच  से दूर हो सके . 


जय हिन्द !  


jan gan man  by birla harshvardhanji  alongwith hasyakavi albela khatri left to sunita shanoo right all  kavi/kavyitris at pilani on 25-12-2011




13 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा December 30, 2011 at 7:48 AM  

बधाईयां जी बधाईयाँ, सुना तो हमने भी है।:)

अजय कुमार झा December 30, 2011 at 7:56 AM  

जय हो । अलख जगाए रखिए

दिनेशराय द्विवेदी December 30, 2011 at 8:39 AM  

बधाई आप को!

DR. ANWER JAMAL December 30, 2011 at 9:31 AM  

Nice post .

पहले आज़मा लो और फिर विश्वास कर लो।

http://www.islamdharma.blogspot.com/

DR. ANWER JAMAL December 30, 2011 at 9:37 AM  

Nice post .
Maa ki muhabbat bahut hai lekin Wh Rabb apne bando se usse bhi badhkar pyaar karta hai.
Kuchh sher Ishq e Haqiqi par bhi den .
शांति हमारी आत्मा का स्वभाव और हमारा धर्म है।
शांति ईश्वर-अल्लाह के आज्ञापालन से आती है।
नमाज़ इंसान को ईश्वर-अल्लाह का आज्ञाकारी बनाती है।
नमाज़ इंसान को शांति देती है, जिसे इंसान तुरंत महसूस कर सकता है।
जो चाहे इसे आज़मा सकता है और जब चाहे तब आज़मा सकता है।
उस रब का दर सबके लिए सदा खुला हुआ है। जिसे शांति की तलाश है, वह चला आए अपने मालिक की तरफ़ और झुका दे ख़ुद को नमाज़ में।
जो मस्जिद तक नहीं आ सकता, वह अपने घर में ही नमाज़ क़ायम करके आज़मा ले।
पहले आज़मा लो और फिर विश्वास कर लो।
पहले आज़मा लो और फिर विश्वास कर लो।

http://www.islamdharma.blogspot.com/

पी.सी.गोदियाल "परचेत" December 30, 2011 at 2:54 PM  

बधाई, नए साल की हार्दिक शुभकामनाये, आपको नया साल बहुत-बहुत मुबारक !

BS Pabla December 30, 2011 at 3:11 PM  

बधाई जी

Anonymous December 30, 2011 at 3:25 PM  

ha haa

andhae aur kaane saath saath

संजय भास्‍कर December 30, 2011 at 5:08 PM  

बधाईयाँ जी
नव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएँ

Rakesh Kumar January 1, 2012 at 7:26 AM  

जय हो. बहुत बहुत बधाई जी.

सुनीता शानू January 1, 2012 at 9:28 AM  

आज आपकी पोस्ट की चर्चा की गई है अवश्य पढ़ियेगा... आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल बूढा मरता है तो मरे हमे क्या?

Monika Jain January 1, 2012 at 4:38 PM  

nav varsh ki badhai :)
welcome to मिश्री की डली ज़िंदगी हो चली

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया January 1, 2012 at 9:02 PM  

नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,

मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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