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Albela Khatri

कहाँ खो गई एक रचना ! वोह रचना जो कभी मेरे आसपास ही रहती थी



तलाश है एक अदद रचना की ........जी हाँ, सिर्फ़ एक रचना की, लेकिन ऐसी 


वैसी नहीं, एक ख़ास रचना की, उस रचना की जिसका मुद्रक-प्रकाशक  होने 

का मेरा बड़ा मन कर रहा है . इत्ते दिन  उसकी याद नहीं आई,क्योंकि एक तो 

अन्य रचनाओं से काम चल रहा था  दूसरे  उस में मंचीय कसाव नहीं होने के 

कारण,   बड़े मंचों के  लिए उपयोगी न हो कर  महज  गोष्ठी-वोष्ठी  के काम की 

ही थी लेकिन अब बड़ी शिद्दत से ढूंढ रहा हूँ .  ढूंढें ही जा रहा हूँ  उस कमबख्त 

को जो पहले किसी काम की नहीं लग रही थी .लेकिन आज  उसकी ज़रूरत पड़ 

गयी क्योंकि  मेरे अगले काव्य-संकलन में उसे शामिल करना इसलिए ज़रूरी 

हो गया है  क्योंकि सौ में एक कम पड़  रही है .


हालांकि न वह ग़ज़ल की तरह अनुशासित है, न ही नज़्म की तरह शगुफ़्त, न 


कविता सी कोमलकान्त  है, न ही मुक्तक की भान्ति उन्मुक्त,,, दोहे और चौपाई 

सी तीखी और मारक भले  है लेकिन  हाइकू जितनी सरल नहीं है . असल में वह 

एक अलग किस्म की रचना है जिसे लोग कुण्डलिया  कहते हैं . बस ...........उसी 

को तलाश रहा हूँ . न जाने कहाँ कुंडली मार कर बैठ  गयी है कठोर .......


कितना दुःख होता है जब अपनी कोई  रचना गुम  हो जाती है............ यह मुझसे 


ज्यादा कौन समझेगा ? जिसकी एक ऐसी रचना खो  गयी  जिसे मैं सलीके से 

सुधार-वुधार कर अपनी क़िताब  में छापना चाहता था ताकि लोग एन्जॉय कर 

सकें . अरे भाई  लोग एन्जॉय करें न करें, मुझे क्या मतलब,लेकिन मेरी किताब 

तो पूरी हो जाती .....अब एक, सिर्फ़ एक  कुण्डली के कम पड़  जाने से पांडुलिपि 

का काम रुक गया है  .


वैसे देखा जाए तो मैं भी बड़ा चूतिया आदमी हूँ ............इत्ती बकवास लिखने से 


अच्छा था, एक नई  रचना ही लिख लेता ............हुड !!!!!! बेवकूफ़ कहीं का  


जाओ भाई जाओ,  टाइम खोटी मत करो,  आप अपना काम कारो और मैं .....


रचना करता हूँ  एक नयी रचना  की ताकि सौ पूरी हो जाए  और संकलन समय 

पर प्रकाशित हो जाए .

-अलबेला खत्री 
 

4 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा June 14, 2013 at 5:49 PM  

;)

बी एस पाबला June 14, 2013 at 9:31 PM  

:-)

Anonymous June 15, 2013 at 5:08 AM  

Οh my goοdness! Amazing article
duԁe! Thank уou sο muсh, Howeνer I
аm goіng through pгoblems ωith your RSS.
I ԁοn't know why I can't subѕcribe to it.
Is there anyone else getting the same RSS problems? Anyonе that knows the
solution wіll you kindly геѕponԁ?
Thanx!!

My homеpagе reputation management

रज़िया "राज़" June 16, 2013 at 12:28 PM  

मिल गई क्या आपकी ख़ोई हुई रचना अलबेलाजी!!! ज़रुर ढुंढीयेगा, नई रचना में वो बात शायद मिले न मिले!!

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