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ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

बालों में एक चावल मिल गया तो इस छोकरी की वाट लगा दूंगा



रंगलाल अपने बेटे नंगलाल के साथ ढाबे में खाना खा रहा था ।

संयोग से नंगलाल को चावल में एक बाल नज़र आ गया । वह

गुस्से में चिल्लाने लगा और ढाबा मालिक को खरी-खोटी

सुनाने लगा । ख़ूब हंगामा कर दिया । खाने के पैसे भी नहीं

दिये, उलटे स्वास्थ्य अधिकारी को बुलाने की धमकी देकर

फ़ोकट में मिरिंडा भी पी लिया । बाप ने बहुत समझाया कि

बेटा जाने दे ....हो जाता है ..लेकिन वह नहीं माना । हंगामा

करके ही दम लिया ।


शाम को रंगलाल जब टहलने निकला तो देखा, गांधी पार्क

में उनका लाल यानी नंगलाल एक छोकरी की गोद में सिर

रख कर लेटा था और उसके बालों में मुँह मारते हुए उनकी

तारीफ़ भी किये जा रहा था । रंगलाल से रहा ना गया, उसने

अपना जूता निकाल लिया और 4-5 एक साथ टिका दिये ,

"हरामखोर ! वहाँ चावल में एक बाल आगया, तो उसकी

माँ-बहन एक करदी और यहाँ इस छोकरी के बालों में मुँह

मार रहा है ?"


नंगलाल बोला,"पापा ! गुस्सा करने की ज़रूरत नहीं है, बात

उसूल की है । वहाँ चावल में बाल था तो मैंने ढाबे वाले की

वाट लगाई ... अगर यहाँ बालों में एक चावल मिल गया तो

इस छोकरी की वाट लगा दूंगा"..........हा हा हा हा


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हिन्दी कविताओं और उर्दू शायरी की रंगारंग महफ़िल है 'काव्य - कुम्भ'


साहित्यिक संस्था रचनाकार एवं टीकम म्युज़िक बैंक की ओर से 


हास्यकवि अलबेला खत्री द्वारा निर्मित  ऑडियो एल्बम काव्य कुम्भ  

के पहले अंक में  1 2  रचनाकार शामिल 

हिन्दी कविताओं और उर्दू शायरी की रंगारंग महफ़िल है 'काव्य - कुम्भ'
हिन्दी कविताओं और उर्दू शायरी की रंगारंग महफ़िल है 'काव्य - कुम्भ'

जिनके साथ बैठने तक की योग्यता नहीं, उनसे अपने लिए ताली बजवा रहे हैं


वोह उठाईगिरे चुटकुलेबाज़ 

जो कल तक कवियों के सूटकेस उठाया करते थे 


और ईनाम में मंच पर मौका पाया करते थे 


आज हॉट केक की तरह बिक रहे हैं 


क्योंकि टी वी पर लगातार दिख रहे हैं 


अपनी कामयाबी का लोहा वह यों मनवा रहे हैं 


कि जिनके साथ बैठने तक की योग्यता नहीं, 


उनसे अपने लिए ताली बजवा रहे हैं 



कोई तकलीफ़ नहीं ..........


करो ...ऐश करो, 


सब को सफल होने का अधिकार है 


बस ........


उनका उपहास मत करो 


जो सचमुच कवि हैं / कलमकार हैं 



जयहिन्द ! 


-अलबेला खत्री





hasyakavi albela khatri ki ek sachitra kavita ka aanand lijiye


मेरी यह सुप्रसिद्ध कविता  बहुत लम्बी है 

इसलिए  11 भागों में बाँट दिया है 

the great poem of hasyakavi albela khatri about the great india

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हँस तो रहा था हास्यकवि सुरेन्द्र शर्मा की टिप्पणी पर और रो रहा था उनकी ऐसी टिप्पणी करने की विवशता पर










प्यारे मित्रो, नकली  मुद्रा असली मुद्रा को बाज़ार से बाहर कर देती है,  ये सुना तो बी बहुत था  लेकिन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण  अब मेरे हाथ में है  इसलिए आपको दिखा रहा हूँ .............

दो दिन पुरानी बात है .  पहले तो मुझे हँसी आई और बहुत हँसी आई लेकिन अगले ही पल  रोना आगया वोह भी बुक्का फाड़ फाड़ कर ...... .  क्योंकि मैं कन्फ्यूज़ था कि रोऊँ या हँसूँ ?  हँस  तो रहा था हमारे देश के  सबसे लोकप्रिय हास्यकवि आदरणीय सुरेन्द्र शर्मा  की टिप्पणी  पर  और रो रहा था ....उनकी ऐसी टिप्पणी करने की विवशता पर .......

अब पूरा मामला समझो ........मेरे मित्र बसंत माहेश्वरीजी ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट लगाई जिस पर सुरेन्द्र शर्मा ने टिप्पणी  करके कहा कि उक्त कविता सुरेन्द्र दुबे की है जबकि  सचाई इससे बहुत दूर है क्योंकि  यह कविता तो एक  ट्रेलर भर है उस कविता ( हालांकि  वो कविता  नहीं, केवल तुकबंदी  है ) का,  जो बरसों पहले मैंने  लिखी है और विस्तार से लिखी है .

हाथ कंगन को आरसी क्या ?  आप पहले वह पोस्ट  वाली कविता देख लीजिये  और बाद में मैं अपनी कविता दिखा देता हूँ . अब आप ही निर्णय कर लें कि  असली कलाकार कौन ...चित्र बनाने वाला  या बने हुए चित्र का छायाचित्र उतारने वाला ...


ये है वो पोस्ट :




एक अमेरिकन बोला भाई साहब बताइये अगर आपका भारत महान है तो सँसार के इतने आविष्कारों में आपके देश का क्या योगदान है ??

हिन्दुस्तानी - "अरे अमरीकन सुन !!"

१. संसार की पहली फायर प्रूफ लेडी भारत में हुई !!
नाम था "होलिका" आग में जलती नही थी !!
इसीलिए उस वक्त
फायर ब्रिगेड चलती नही थी !!

२. संसार की पहली वाटर प्रूफ बिल्डिँग भारत में
हुई !!
नाम था भगवान विष्णु का"शेषनाग" !!
काम तो ऐसे जैसे "विशेषनाग" !!

३. दुनिया के पहले पत्रकार भारत में हुए !! "नारदजी"
जो किसी राजव्यवस्था से
नही डरते थे !!
तीनों लोक की सनसनी खेज रिपोर्टिँग करते थे !!

४. दुनिया के पहले कॉँमेन्टेटर"संजय" हुये, जिन्होंने नया इतिहास बनाया !!
महाभारत के युद्ध
का आँखो देखा हाल अँधे "ध्रतराष्ट" को उन्ही ने
सुनाया !!

५. दादागिरी करना भी दुनिया हमने
सिखाया क्योंकि वर्षो पहले हमारे "शनिदेव" ने
ऐसा आतँक मचाया कि "हफ्ता" वसूली का रिवाज उन्ही के शिष्यो ने
चलाया !!
आज भी उनके शिष्य हर शनिवार को आते है !
उनका फोटो दिखाकर हफ्ता ले जाते है!!
.
अमेरिकन बोला दोस्त फालतू की बातें मत बनाओ!

कोई ढ़ंग का आविष्कार हो तो बताओ !!
जैसे हमने इँसान की किडनी बदल दी,
बाईपास सर्जरी कर दी आदि !!

हिन्दुस्तानी बोला रे अमरीकन सर्जरी का तो आइडिया ही दुनिया को हमने दिया था !!

तू ही बता "गणेशजी" का ऑपरेशन क्या तेरे बाप ने
किया था !!
.
अमरीकन हडबडाया !! गुस्से मेँ बडबडाया!!
देखते ही देखते
चलता फिरता नजर आया!!
तब से पूरी दुनिया को हम
पर मान है!!!
दुनिया में देश कितने ही हो

पर मेरा "भारत" महान है......!!
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    You and Veenu Sachdev like this.
    Surender Sharma ये कविता जयपुर के हास्य कवि सुरेन्द दुबे की है
    September 5 at 6:55pm via mobile · Like · 1
    Albela Khatri आप अपनी जानकारी के मुताबिक़ ठीक कह रहे हैं Surender Sharma ji, यह कविता जयपुर के कवि सुरेन्द्र दुबे के नाम से जानी जाती है और वे उसे सब जगह सुनाते भी हैं लेकिन यह आधी अधूरी है, पूरी कविता अलबेला खत्री के पास है क्योंकि वो इसका वास्तविक रचनाकार...See More
    September 5 at 9:24pm · Like


गणपतिजी के कान तक, पहुंचे यह सन्देश - महंगाई में घिर गया, पूरा भारत देश



गणपति का शुभ आगमन, मांगल्य की खान
स्वागत में दिनरात हम, करें सतत गुणगान

गणपतिजी के कान तक, पहुंचे यह सन्देश
महंगाई में घिर गया, पूरा भारत देश

गणपति बाप्पा मोरिया, हरो हमारी पीर
महंगाई ने भर दिया, नयन नयन में नीर

गणपति बाप्पा आइये, रिद्धि सिद्धि के संग
प्रसराओ इस देश में, सुख  के सुरभित रंग

गणपतिजी अब कीजिये, ऐसा पक्का काम
तन नीरोगी हों सभी, मन में  हो विश्राम


हे गणेशजी, आशा है, आप हमारे मन की वेदना समझेंगे और उसका निराकरण करेंगे


प्रति,
पूजनीय गजानन गणपति श्री गणेशजी महाराज,
मुख्य अतिथि, सार्वजनिक गणेशोत्सव
सूरत

प्रसंग   :  आपश्री के अनुयाइयों को सामाजिक लज्जा एवं बुद्धि वितरण कराने हेतु
सन्दर्भ :   आपश्री का आगमन और शोभायात्रायें

हे प्रभु,
आप तो बुद्धि के देवता हैं, मंगलमूर्ति हैं  और  सृष्टि के विघ्नहर्ता हैं  परन्तु आपके अनेक उन्मादी अनुयाइयों की वजह से  न केवल आपका उपहास हो रहा है  बल्कि हमारे दैनन्दिन जीवन में विघ्न भी पड़  रहा है,  अमंगल भी हो रहा है और श्रद्धा का पतन भी हो रहा है .

आपकी बड़ी  बड़ी विशालकाय मूर्तियाँ ले कर जब लोग सैकड़ों की संख्या में  पूरी सड़क को घेर कर चलते हैं  और "ढिंका चिका ढिंका चिका,  फेविकोल से  तथा  मुन्नी बदनाम हुई" इत्यादि  गानों पर डांस करते हैं तो  बड़ा ही भद्दा दृश्य दिखाई देता है . शराब पी कर मस्ती और अश्लील संकेत करने वालों की हरकतें देख कर  साफ़ लगता है कि  उन्हें आपसे कोई लेना देना नहीं हैं  वे तो आपकी  आड़ में अपनी मस्ती  और एन्जॉय करते हैं .  जिसके कारण  सच्चे श्रद्धालुओं  को आत्मिक पीड़ा होती है .  पूरा ट्रैफिक ठप्प हो जाता है  और  सड़क पर चलना मुहाल हो जाता है .  इसके अलावा बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति  तथा नन्हें  शिशु  इस घनघोर शोर से बहुत परेशान हो जाते हैं .

कृपया अपने अनुयाइयों को इत्ती सी अक्ल आप प्रदान करें कि वह अपने एन्जॉय के लिए दूसरों को दुखी न करे . क्योंकि  आपकी बेढंगी मूर्तियाँ देख कर हमें दुःख  होता है,  मज़े मज़े में लोग आपके ऐसे ऐसे रूप बना देते हैं  कि  देखने भर से मन व्यथित हो उठता है .  आपके सिंगार और  सजाव के लिए रूप बनाये जाएँ  तो अच्छी  बात, लेकिन  केवल कुछ अलग करने की चाहत में ऐसे ऐसे कुरूप  रूप भी आपको दे दिए जाते हैं  कि  क्रोध आता है

आशा है, आप हमारे मन की वेदना समझेंगे और उसका निराकरण करेंगे

आपकी जय हो !

जय हिन्द !
-अलबेला खत्री


हिन्दी कवियों और उर्दू शायरों का संगम "काव्य-कुम्भ"


कविता के मंच पर मौलिक कविता  के अभाव को देखते हुए  कुछ पुराने कवियों को सम्मान देने और कुछ नितान्त नए रचनाकारों को  प्रोत्साहन देने के लिए निर्मित काव्य-कुम्भ  का पहला भाग बन कर तैयार है और जल्द ही इसका लोकार्पण समारोह  होगा .

kavyakumbh album by hasyakavi albela khatri

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अरे हरामखोरो ! तुम्हें फूल ही सूंघना है तो गुलफ़रोश से खरीद कर सूंघ लो, कौन रोकता है ?


जहाँ देखो वहीँ बलात्कारी खड़े हुए हैं,  हर अख़बार, हर चैनल  बलात्कार  के समाचारों से भरा पड़ा है . 

आजकल बलात्कार, विशेष रूप से गैंगरेप  कुछ ज़्यादा  ही होने लगे हैं जो कि  समाज के लिए शर्म और दुःख की बात है .  कहीं नाबालिग के साथ दुष्कर्म हो रहा है तो कहीं नाबालिग के द्वारा दुष्कर्म हो रहा है ..........क्या हो गया है  भाई ?  कहाँ जा रहा है समाज ?

ये इतने सारे स्कूल , कालेज, गुरूकुल, इतने सारे  साधू संतों के प्रवचन,  ये इतने सारे धार्मिक  ग्रन्थ और इतने सारे क़ानून मिल कर भी कोई रोकथाम नहीं कर पा रहे हैं ...........हैरत है !

अरे हरामखोरो ! तुम्हें  फूल ही सूंघना है  तो गुलफ़रोश  से खरीद कर सूंघ लो, कौन रोकता है ?  जगह जगह  एक से बढ़ कर एक दुकान सजी है  फूलों की ..........पैसा फैंकों  और  अपना शौक पूरा कर लो .........ये  ज़बरदस्ती किसी के  बगीचे में  घुस कर  फूल तोड़ने  की ज़रूरत ही क्या है ?

जय हिन्द !

परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार

https://www.facebook.com/AlbelaKhatrisHasyaKaviSammelan





लो भाई, आसाराम बापू तक पहुंचा दो इस पोस्ट को ...........



आसाराम अगर लीपापोती न करते और  कानून से मुंह न छिपाते बल्कि  पीड़िता द्वारा शिकायत दर्ज़ कराने का पता चलते ही ख़ुद चल कर पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर देते यह कहते हुए कि 

" मेरी पोती समान एक मासूम बच्ची ने मुझ पर देहशोषण का इतना घिनौना आरोप लगाया है कि सिर्फ़  मैं नहीं बल्कि मेरे कारण पूरा संत समाज कलंकित हो गया है इसलिए  मुझे अब संत कहलाने और  संसार में जीवित रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है . लिहाज़ा  मैं स्वयं को कानून के सुपुर्द करते हुए प्रार्थना करता हूँ  कि  मुझे कठोर से कठोर दंड देते हुए कम से कम दो बार फाँसी पर लटकाया जाये, एक बार मेरे तथाकथित अपराध के लिए और दूसरी बार  मेरे करोड़ों जिज्ञासु शिष्यों  को होने वाली आत्मिक पीड़ा  के लिए .......मुझे अपने ऊपर लगे  आरोप पर सफ़ाई में कुछ नहीं कहना है . एक साधु पर इतना बड़ा आरोप लग जाना ही पर्याप्त है .......लिहाज़ा या तो एक महीने के भीतर भीतर कानून अपने  विधिविधान से मेरे प्राण ले ले  अन्यथा  मैं स्वयं ही अपने आश्रम में जीवित समाधि  ले लूँगा . इतना बड़ा बोझ ले कर न मैं अब जी  सकता हूँ और न ही साधना कर सकता हूँ

मेरी मृत्यु के समय  मेरे तमाम शिष्य पूरी तरह शांति बनाये रखें और हरी ॐ का जाप करते रहें . भगवान् उन भले लोगों का भी भला ही करे जिन्होंने क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों के लिए मुझ पर  यह कालिख पोतने में सफलता प्राप्त कर ली . हमेशा की तरह मैं उनका यह अपराध क्षमा भी करता हूँ  साथ ही  उस नन्ही बिटिया को उसके सुखी जीवन की कामना करते हुए अपनी ओर से सवा करोड़ रूपये की रकम भी भेंट करने का आदेश  अपने आश्रम के  प्रबंधकों को देता हूँ  ....हरी ॐ  हरी ॐ  हरी ॐ "

अन्य  नौटंकी करने के बजाय आसाराम ऐसा करते तो  न केवल शिष्यों और साधु समाज की बल्कि आम जनता और पुलिस की भी पूर्ण सहानुभूति उन्हें मिल जाती .  क्योंकि  हमारा देश पढ़े लिखे गंवारों का देश है  जहाँ  किसी के समर्थन या विरोध में भीड़ इकठ्ठा होते हुए देर नहीं लगती .

जय राम जी की बोलना पड़ेगा .

परमपाखण्डी बाबा अलबेलानंदजी परमकंस के फ़ेसबुकिया प्रवचनों से साभार
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albela khatri on aasaram bapu

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