## अ. भा. हिन्दी कवि सम्मेलनों के हास्यकवियों की मानधन सूचि ##
सुरेन्द्र शर्मा - दिल्ली 1,00,000+ एयर टिकट व शाकाहारी भोजन
*
काका हाथरसी के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय, भारत के वैश्विक हास्यकवि जिन्हें
लोग सुन कर तो एन्जॉय करते ही हैं देख कर भी मज़े लेते हैं. चुटकियां और
त्वरित टिप्पणियां सुनाते हुए हँसाते हँसाते अचानक चाण्डालनी सुना कर डरा
भी देते हैं - आयोजक के लिए पूर्णतः पैसा वसूल कलाकार, कभी कभी अपने किसी
प्रिय कवि या कवयित्री का नाम भी रिकमण्ड करते हैं जिसे बुलाना अनिवार्य
होता है - अन्यथा आप भी नहीं आते - आपकी कवितायें परिवार और समाज को जोड़ने
का काम करती हैं
______________________________
_____________________
माणिक वर्मा - भोपाल 40,000+ ट्रेन का टिकट
*
देश के सबसे बड़े व्यंग्यकवि - इनकी प्रस्तुति कवि सम्मेलन में तालियों का
तूफ़ान खड़ा कर देती है - अत्यन्त सरल और मौलिक व्यक्ति हैं - अगर केवल कविता
को ही मापदण्ड मान कर मानधन दिया जाता तो ये देश के सबसे महंगे कवि होते
______________________________
_____________________
अरुण जैमिनी - दिल्ली 40,000+ एयर टिकट
*
सरल, सौम्य, सुदर्शन और आकर्षक व्यक्तित्व - मंच जमाऊ - हरियाणवी में
चुटकुले और हिन्दी में कवितायेँ सुनाते हैं, तारीफ़ और मार्केटिंग सिर्फ़
दिल्ली के कवियों की करते हैं परन्तु निन्दा सबकी सुनते हैं और पूरे
मनोयोग से सुनते हैं - गज़ब का हास्यबोध और वाकपटुता इनकी अतिरिक्त योग्यता
है
______________________________
_____________________
प्रदीप चौबे - ग्वालियर 40,000+ वांछित पेय पदार्थ
*
एक ज़माना ऐसा भी था जब इनका हर वाक्य ठहाकों की गूंज पैदा करता था - आज
भले ही वोह बात न हो, लेकिन दम ख़म आज भी पूरा है - प्रतिभा इत्ती ज़बरदस्त
है कि सड़े से सड़े लतीफे पर भी लोगों को तालियां बजाने पर बाध्य कर दे -
इनसे कुछ नया सुनाने का आग्रह नहीं करना चाहिए - इन्हें अच्छा नहीं लगता
______________________________
_____________________
प्रताप फ़ौजदार - दिल्ली 80,000+ एयर टिकट
*
लाफ्टर चैम्पियन, युवा लेकिन परिपक्व कलमकार, मंच पर मज़मा जमाने और
तालियां बजवाने में कुशल, मौलिक रचनाकार जो पहले अपने ख़ास अंदाज़ में
हँसाता है फिर कविता पर आता है और जब कविता पर आता है तो छा जाता है - पैसा
कमाने के अलावा कोई व्यसन नहीं
______________________________
______________________
पं विश्वेवर शर्मा - मुम्बई 35,000+ ट्रेन टिकट व भांग का गोला
*
एक ज़माने से सर्वाधिक चर्चित पैरोडीकार, गीतकार, मॊलिक और धुंआधार जमाऊ
कवि - ख़ास बात यह है कि अब मदिरापान भी नहीं करते - पैसा वसूल आयटम - अनेक
फ़िल्मों के गीतकार - आजकल उम्र का तकाज़ा है इसलिए एक साथी को साथ ले कर
आते हैं - हिंदी कवि सम्मेलन में इनसे अधिक कोई हँसाने वाला नहीं
______________________________
______________________
शैलेश लोढ़ा - मुंबई 3,00,000+ बिजनेस क्लास एयर टिकट
*हल्की
फुल्की कविताओं और इधर-उधर के ढेरों चुटकुले व शे'र सुना कर अपने विशिष्ट
अन्दाज़ में लोगों को एन्टरटेन करने वाले टी वी कलाकार - हाज़िर जवाबी और
वाकपटुता में लामिसाल - स्वभाव से पक्के मारवाड़ी बिजनेसमेन, परन्तु मैं ही
मैं हूँ, मैं ही मैं हूँ ऐसा सोचने के अलावा और कोई व्यसन नहीं
______________________________
_______________________
सम्पत सरल -जयपुर 25,000+ टिकट ( मिल जाए तो ठीक )
*
चुटकुले पर चुटकुले सुनाते हैं परन्तु चुटकुले कह कर नहीं, निबन्ध कह कर -
इस दौर के सर्वाधिक आत्ममुग्ध व्यंग्यकार जिन्हें भरोसा है कि जो काम
व्यंग्य में परसाई जी और शरद जोशी जी से छूट गया था उसे ये पूरा कर लेंगे -
कभी कभी जम भी जाते हैं, न भी जमें तो इन्हें फर्क नहीं पड़ता - क्योंकि
राजस्थानी भाषा के नाम पर इनका काम चलता रहता है - कोई खास व्यसन नहीं
______________________________
_______________________
सञ्जय झाला - जयपुर 40,000+ टिकट ( मिल जाए तो ठीक )
*
अपनी तरह के अलबेले कवि + कलाकार - वाणी और प्रस्तुतिकरण में ज़बरदस्त
तालमेल - ज़्यादातर अपना ही माल सुनाते हैं - कोई व्यसन नहीं सिवाय अध्ययन
के - शानदार और युवा कलमकार
______________________________
_______________________
अलबेला खत्री - सूरत 35,000+ हवाई टिकट ( कोई दे दे तो )
*
हास्यकवि, चुट्कुलेबाज़, पैरोडीकार और ओजस्वी गीतकार - मंच जमाऊ कलाकार -
वैसे इन्हें भ्रम है कि मैं देश का सर्वश्रेष्ठ पैरोडीकार हूँ - पूर्णतः
मौलिक रचनाकार - कोई नखरा नहीं - चाय और धूम्रपान का व्यसन है
______________________________
_______________________
डॉ सुरेश अवस्थी - कानपुर 40,000+ ट्रेन टिकट
*
पूर्णतः पैसा वसूल वरिष्ठ हास्य-व्यंग्यकार, शिष्ट और शालीन कविताओं के
माध्यम से दर्शकों पर जादू कर देते हैं - आपकी कवितायें परिवार और समाज
को जोड़ने का काम करती हैं , देश की विसंगतियों पर करारा प्रहार करते हैं -
व्यसन का पक्का पता नहीं -
______________________________
_____________________
सुनील जोगी - दिल्ली 40,000+ एयर टिकट
*
गत अनेक वर्षों से लगातार मंचों पर सक्रिय, चुटकुले और छन्दों के अलावा
हास्यगीत भी सुनाते हैं - कभी खूब जम जाते हैं, कभी ठीक ठाक काम कर लेते
हैं - कुछ बातें या तो ये दूसरों की सुनाते हैं या दूसरे इनकी सुनाते हैं,
यह अभी सुनिश्चित नहीं है लेकिन मंच पर अपना काम बखूबी कर लेते हैं
______________________________
_____________________
सुरेन्द्र यादवेन्द्र - बाराँ 25,000+ रेल टिकट
*
मंच जमाने में पूर्ण कुशल ज़बरदस्त हास्यकवि, चुटकुलों को चार चार
पंक्तियों में बाँध कर उन्हें मौलिक कविताओं के भाव बेचने में माहिर -
मंच को इन्होंने अनेक कवयित्रियाँ तैयार करके दी हैं - स्वभाव से सरल और
मनमौजी आदमी हैं - एक बार हाँ करदे तो पहुँचते ज़रूर हैं - वैसे तो ऑपनिंग
पोएट के रूप में अधिक फिट हैं लेकिन कवयित्री के बाद पढ़ने की लत लग गयी है
- यही एक व्यसन है
______________________________
_____________________
अशोक चक्रधर - दिल्ली 40,000+ वांछित पेय पदार्थ व शेविंग रेज़र
*
आदिकाल से मंचों और मंचों से अधिक सरकारी महोत्सवों, सरकारी चैनलों व
इन्टरनेट पर सक्रिय, ये पढ़ते बहुत हैं इसलिए पंचतन्त्र की कहानियों से ले
कर विदेशी कवियों की अनेक कवितायें इन्हें याद हैं - चुटकुले और हलकी
फुल्की तुकबन्दी के अलावा हास्य में नवगीत भी सुनाते हैं जो हँसा तो नहीं
पाते लेकिन 10 मिनट तक दर्शकों को बाँधे ज़रूर रखते हैं - कभी कभी जम भी
जाते हैं, पर अधिकतर फ्लॉप ही होते हैं क्योंकि इनकी तुकबन्दी समझने के
लिए अनिवार्य है कि या तो श्रोता घोर साहित्यकार हो या फिर इनका ही
विद्यार्थी अथवा चेला-चेली हो हैं - आजकल दर्शकों से आँख नहीं मिला पाते
क्योंकि मोबाइल में देख देख कर कविता बांचते हैं - जब कोई अन्य कवि खूब जम
रहा हो तो मंच से उठ कर सिगरेट फूंकने ज़रूर जाते हैं - बाकी व्यक्ति बहुत
बढ़िया है
______________________________
_____________________
महेंद्र अजनबी - दिल्ली 30,000+ वांछित पेय पदार्थ व गुटखा
*
कमाल के सरल और सरस व्यक्ति हैं , जल्दी ही घुल मिल जाते हैं, आमतौर पर
पीली शर्ट पहनते हैं और ट्रकों के पीछे लिखे शे'र सुनाते हैं, कभी कभी शर्ट
का रंग बदल भी जाए पर शे'र वही रहते हैं - ज़बरदस्त कॉन्फिडेन्ट हैं -
चुटकुले भी कविता कह कर सुनाते हैं - जमना न जमना कोई मायने नहीं रखता -
क्योंकि ये जानते हैं कि प्रोग्राम में श्रोता नहीं आयोजक बुलाते हैं व
आयोजक उन्हीं को बुलाते हैं जिन्हें दिल्ली के बड़े कवि रिकमण्ड करते हैं -
इनकी भूत वाली कविता अभूतपूर्व है कभी भूतपूर्व नहीं होगी
______________________________
_____________________
सुरेन्द्र दुबे - दुर्ग 35,000+
*
हँसाने के लिए इन्हें अधिक प्रयास नहीं करना पड़ता - जब ये अपने भयंकर
श्यामवर्णी सौंदर्य का वर्णन करते हैं तो ठहाके बेतहाशा गूंज उठते हैं -
मंच जमाने में पूर्ण कुशल ज़बरदस्त हास्यकवि, चुटकुलों को कविताओं के भाव
बेचने में माहिर - इन्हें अन्य कवियों के सामने ही उनकी कविताओं के सारे
पञ्च सुनाने का ज़बरदस्त शौक है जिसका कोई भी कवि विरोध नहीं करता - विरोध
तो तब करे जब समझ में आये क्योंकि ये हिंदी के सारे टोटके छत्तीसगढ़ी में
सुनाते हैं - शुक्र है पूरा देश छतीसगढी नहीं है वरना आज इनसे बड़ा कोई
लोकप्रिय कवि नहीं होता - इनकी मित्रता आर्थिक रूप से बहुत लाभप्रद होती
है, ऐसा वो कहते हैं जिन्हे इनके प्रोग्रामों का निमंत्रण मिलता रहता है
______________________________
_____________________
सुरेन्द्र दुबे - जयपुर 35,000+ वांछित पेय पदार्थ
*पुराने
गानों की तरह सदाबहार - मंच जमाने में प्रवीण - ज़रूरत से भी अधिक
तीव्रबुद्धि के स्वामी और भयंकर किस्म के लिक्खाड़ - भाषा के विद्वान और
मारवाड़ी संस्कारों को गौरवान्वित करने वाले मूलतः ब्यावर के इस कवि में
धैर्य और संतोष के अलावा सबकुछ है,,,,,, इसको उखाडूं, उसको पछाडूं का इनको
इतना विराट चाव है कि साहित्य के बजाय यदि राजनीति में गए होते तो कम से
कम उप प्रधानमन्त्री तो बन ही गए होते - सामने मीठा रहना और पीछे से मखौल
उड़ाना इनके लिए पाचक चूर्ण की तरह है - कविता की हर विधा में माहिर यह
कलमकार हिन्दी मंचों का गौरव है
______________________________
_____________________
सुभाष काबरा - मुंबई 30,000+ वांछित पेय पदार्थ
*स्वर्गीय
रामरिख मनहर, शैल चतुर्वेदी और राममनोहर त्रिपाठी ने काव्य-मंचों का जो
हरियाला खेत आने वाली कई पीढ़ियों तक के लिए तैयार किया था उसे चन्द वर्षों
में ही खा पी के पिछवाड़े पर हाथ पोंछ लेने का श्रेय इनको ही जाता है - आप
रोज़ रोज़ अण्डा प्राप्त करने के बजाय एक बार में ही मुर्गी हलाल करने के आदी
हैं - न खेलेंगे न खेलने देंगे, हम तो घुच्ची में मूतेंगे वाले अंदाज़ के
धनी हैं और अत्यंत कुशाग्र बुद्धि हैं - कुल 50 हज़ार का बजट हो तो 5 हज़ार
में 3 कवियों को निपटा कर 45 हज़ार कैसे बचाया जाये, यह इनसे सीखना चाहिए -
श्रीमती सावित्री कोचर ने भी इन्हीं से सीखा है - तकदीर के बादशाह हैं, ताश
में भी कभी हारते नहीं - रिपीट वैल्यू भले न हो, लेकिन एक बार तो बुलाया
जा ही सकता है
______________________________
_______________________
प्रवीण शुक्ल - दिल्ली 30,000+ टिकट भी मिले तो वेल एंड गुड
*हास्य-व्यंग्य
के ज़बरदस्त प्रस्तोता - मंच सञ्चालन भी अच्छा कर लेते हैं, विभिन्न प्रकार
की टिप्पणियों, चुटकियों और मंचीय टोटकों के ज़रिये काम निकल लेने में
माहिर पैसा वसूल काव्य-कलाकार - व्यक्तित्व और लिबास में शानदार तालमेल
इनकी अतिरिक्त विशेषता है
______________________________
________________________
वेणुगोपाल भट्टड़-हैदराबाद 20,000+ ताश खेलने वाले लोग
*केवल
15 - 20 क्षणिकाओं, मुट्ठी भर चुटकुलों और टोटल 20 मिनट की अधिकतम
परफॉर्मेंस के दम पर अखिल भारतीय कवि कहलाने वाले एक मात्र भाग्यशाली कवि
जिन्हें बुलाना हो तो जैसे शेर का शिकार करने के लिए शिकारी बकरी रूपी चारे
का इंतज़ाम करते हैं वैसे ही इन्हें बुलाने के लिए दो चार ऐसे कवि बुलाना
पड़ता है जो कि ताश के शौक़ीन हों ,,,, बाकी काम ये खुद ही कर लेते हैं -
खानदानी माहेश्वरी हैं - संस्कारी व्यक्ति हैं और 7 5 वर्ष के चिरयुवा हैं -
राजस्थानी लोगों में खूब लोकप्रिय हैं
______________________________
________________________
सुरेश उपाध्याय-होशंगाबाद 20,000+ टिकट मिल जाए तो अच्छा है
*
एक ज़माने में इस व्यंग्यकार के नाम की तूती बोलती थी, अगर उस सफलता को जाम
में डूबा डूबा कर क़त्ल न किया होता तो आज बहुत माल कूट रहे होते ,,,शानदार
कलमकार, कुशल परफॉर्मर और सरल व्यक्तित्व के इस वरिष्ठ कवि को सुनना आज भी
अच्छा लगता है क्योंकि अब उन्होंने तरल पदार्थ से तौबा कर ली है
______________________________
________________________
आशकरण अटल - मुम्बई 30,000+ वांछित पेय पदार्थ
*
न कभी सुपरहिट, न कभी सुपर फ्लॉप - अपनी रफ़्तार से सदैव आगे बढ़ने वाले इस
परम मौलिक और विशिष्ट रचनाकार को यों तो बहुत कुछ मिला है, फिर भी उतना
नहीं मिला जितना कि मिलना चाहिए था ,,, सतत सजग और कविता के सृजन में
समर्पित रहने वाले इस शख्स को 4 पैग पेय पदार्थ के अलावा केवल उस चीज का
शौक है जिसके लिए उनकी अब उम्र तो नहीं रही पर आदत नहीं गयी ,,, कविता में
बिम्बों के अद्भुत प्रयोग करते हैं - उत्तम दर्ज़े के लेखक हैं
______________________________
________________________
घनश्याम अग्रवाल - अकोला 25,000+ ट्रेन टिकट
*
शुद्ध हास्य और शुद्ध व्यंग्य के शुद्ध सात्विक और श्लील रचनाकार ,,,सरल
राजस्थानी में बोलते हैं तो पब्लिक को हँसा हँसा कर लोटपोट कर देते हैं -
बहुत महंगा सृजन करते हैं परन्तु बहुत सस्ते में बेच देते हैं क्योंकि
इन्हें सिर्फ कविताई का हुनर आता है व्यावसायिक गोटियां फिट करना नहीं
सीखा - ज़बरदस्त कवि - धुंआधार परफॉर्मर - आजकल उम्र का तकाज़ा है, परन्तु
प्रस्तुति अभी भी बरकरार है
______________________________
_________________________
कुमार विश्वास - गाज़ियाबाद 80,000+ एयर टिकट
*
भयंकर याददाश्त और मंचीय व्यावसायिकता में प्रकाण्ड पाण्डित्य धारक इस कवि
का भी एक छोटा सा ज़माना था ,,, जब श्रोताओं व दर्शकों पर इसकी आवाज़ का
जादू चलता था ,,आजकल वोह बात नहीं रही, फिर भी कभी कभी जैसे बिल्ली के
भाग्य से छींका टूट जाता है वैसे यह भी कभी कभी यह भी जमता ही होगा, ऐसी
उम्मीद कर सकते हैं, लोगों के चुटकुले चुराने और अन्य कवियों के मुक्तक व
पुराने शायरों के शे'र सुना सुना कर मज़मा जमाने व वरिष्ठ लोगों के साथ
बदज़ुबानी करने में पूर्णतः कुशल इस युवा कलाकार के भाग्य को सराहना चाहिए
,,,,,सबसे बड़ी विशेषता और विनम्रता इस कलाकार की ये है मंच को जमाने और
तालियां बजवाने का सारा जिम्मा यह अकेले ही अपने सर पे ले लेता है दूसरों
को तो कभी जमने ही नहीं देता, अन्य कवियों के समय तो माइक भी हाथ खड़े कर
देता है, हाँ, कभी कभी कोई हम जैसा बापजी मिल जाए तो बात अलग है ;-)
______________________________
__________________________
सुदीप भोला - जबलपुर 20,000+ रेल टिकट
*
युवा कवियों में सर्वाधिक तीव्रता से मंच पर अपना स्थान सुनिश्चित करते
जा रहे इस होनहार कलमकार की शब्दावली तो ज़बरदस्त है ही, आवाज़ और
प्रस्तुतिकरण भी धाकड़ है , सरल, सहज स्वभाव और मंच पर पूरी मेहनत करने का
जज़बा - अभी तक तो व्यसन और आडम्बर से दूर है और उम्मीद है आगे भी रहेगा
क्योंकि इन्हें अपनी ज़िंदगी में वो सब हासिल करना है जो इनके पूज्य पिता
कविवर संदीप सपन से लोगों ने छीन लिया था - सचमुच छुपा रुस्तम है ये नौजवान
______________________________
__________________________
दीपक गुप्ता - दिल्ली 20,000+ ट्रेन टिकट
* हास्य-व्यंग्य के अलावा शेरो-शायरी में भी ज़बरदस्त महारत - हज़ार अवरोधों के बावजूद सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी प्रतिभा के बल पर दिल्ली ही नहीं, पूरे देश में हिंदी हास्य का झंडा बुलन्द करने वाला दबंग कलमकार - इंटरनेट पर भी लगातार सक्रिय - शानदार परफॉर्मर - व्यसन की कोई पुष्ट जानकारी नहीं
________________________________________________________
योगिन्दर मौद्गिल -पानीपत 20,000+ वांछित पेय पदार्थ अनिवार्य
* हरियाणवी और हिंदी में समान रूप से सतत लेखन करने वाले खाँटी कलमकार, प्यार से इन्हें पानी पूछो तो लस्सी पिला देंगे लेकिन गुस्से में कोई आँख दिखाए तो ये लट्ठ भी दिखा सकते हैं - ठेठ हरियाणवी बन्दा - ग़ज़ल, गीत,दोहा, भजन इत्यादि सभी विधाओं में कुशल - मंच पर धुँआधार तो कभी-कभार ही जमते हैं लेकिन अच्छे अंकों से उत्तीर्ण सदैव होते हैं - पीते वक्त कोई टोकेगा तो मार खायेगा - ताश में हार जाए तो जीतने वाले को देते कुछ नहीं सिवा बधाई के
________________________________________________________
जानी बैरागी - राजोद 20,000+ 2 पैकेट सिगरेट
* अनेक रसों में अनेक तरह की बातों, कहावतों, दंतकथाओं और चुटकुलों का मिक्स भेल बना कर परोसता है तो जनता झूम झूम उठती है - समझ में किसी के कुछ नहीं आता लेकिन मज़ा आ जाता है - पहले सहज उपलब्ध था परन्तु जबसे मंचों पर हिट और कथित रूप से शैलेश लोढ़ा की टीम में फिट हुआ है, इसमें भी हरी ओम पंवार के गुण आ गए हैं - स्वीकृति दे कर भी न पहुंचना इसका प्यारा शगल हो गया है - भगवान् का पक्का भक्त है और व्यसन के नाम पर केवल बड़ी बड़ी डींगें हांकना है
_________________________________________________________
सूर्यकुमार पाण्डेय -लखनऊ 25,000+
* अपनी विशिष्ट शैली में हास्य और व्यंग्य की बारीक बुनावट के साथ अनेक वर्षों से मंच पर सफल प्रस्तोता - अपना काम मुस्तैदी और सजगता के साथ करते हुए हिंदी काव्यमंचों को समृद्ध करने वाले वरिष्ठ कलमकार - जोड़तोड़ से दूर, व्यसन का पता लगेगा तो बताएँगे
______________________________________________________
किरण जोशी - अमरावती 20,000+ वांछित पेय पदार्थ
* सशक्त और बुलंद आवाज़ के साथ साथ अनेक सार्थक कविताओं के द्वारा मंच पर खूब जमते हैं, एहसान कुरैशी की सफलता से आकंठ कुंठित न होते तो अच्छा था, क्योंकि वह इन्हीं का तैयार किया हुआ आयटम है, संचालन में कुशल हैं परन्तु इनका कवित्व इनके सञ्चालन पर भारी है - अपने पराये का कोई भेद नहीं करते, जिसका भी याद आ जाए उसी का चुटकुला सुना देते हैं - मस्त आदमी है - दिन में टनाटन रात में टनटनाटन टनटनाटन टन ;-)
________________________________________________________
पॉप्युलर मेरठी - मेरठ 30,000+
* उर्दू और हिंदी के मंचों पर सामान रूप से सक्रिय ,,,ज़बरदस्त शायर और परफॉर्मर - हज़लेँ कहने में लाजवाब - हँसमुख और मृदुल व्यक्तित्व - टी वी के परदे पर अक्सर दिखते रहते हैं - सभी संयोजकों के प्रिय रचनाकार - न काहु से दोस्ती न काहु से प्यार वाला अंदाज़ - ऐसे आदमी में व्यसन नहीं गुण ढूंढने चाहियें
________________________________________________________
बाबू बंजारा - कोटा 15,000+
* हिंदी से अधिक हाड़ौती भाषा में कविता करते हैं - लोकगीतों की शैली में झूम झूम कर सुनाते हैं - बढ़िया जमते हैं
_________________________________________________________
शांतिलाल तूफ़ान- निम्बाहेडा 20,000+ वांछित पेय पदार्थ
* हास्य के अलावा ग़ज़ल में भी महारत - जम जाये तो खूब जम जाये, नहीं जमे तो बिलकुल नहीं जमे, पेय पदार्थ की क्वॉन्टिटी व क्वालिटी पर निर्भर है, अपनी तरह के अलमस्त परफॉर्मर, आयोजक का पैसा वसूल कराने वाला कलाकार
__________________________________________________________
अतुल ज्वाला - इंदौर 15,000+ मंच सञ्चालन का मौका
* नया है लेकिन पूरी तरह जम चुका है मंचों पर, युवा है, ऊर्जावान है, हाज़िरजवाब है, एक घंटे तक मज़मा लगा सकता है और क्या चाहिए आयोजक को ?
__________________________________________________________
संदीप शर्मा - धार 20,000+ जो मिल जाये, स्वीकार है
* कविता में उछलकूद का जबरदत घालमेल - बोलता कम है कूदता अधिक है, क्या क्या सुनाता है कोई नहीं जानता, लेकिन मज़ा पूरा देता है - कविसम्मेलनीय मंच पर कविता को मिमिक्री की तरह प्रस्तुत करने वाला हास्यकार - बढ़िया व्यवहार और सरल सहज स्वभाव का धनी होने के साथ साथ विनम्र भी है - शुद्ध देसी बन्दा
______________________________________________________
स. मंजीतसिंह - दिल्ली 20,000+
* फ़िल्मी गीतों, चुटकुलों, टिप्पणियों इत्यादि सभी मसालों से भरपूर मंचीय कलाकार - कविता भी ठीकठाक कर लेते हैं - स्वभाव से सरस और मिलनसार, सफलता किए साथ अनेक वर्षों से मंच पर
_______________________________________________________
शम्भूसिंह मनहर - खरगोन 20,000+ टिकट मिल जाए तो वाह वाह
* पढ़े लिखे आदमी हैं, शिक्षक कवि होने के कारण मंच पर भाषा मर्यादित रखने का प्रयास करते हैं पर कभी कभी फिसल भी जाते हैं - अपने आप को वीररस का कहलाना पसंद करते हैं लेकिन लोग इनको हास्य का ही मानते हैं - भगवान ने गले में नारी जैसा स्वर दिया है जिसे मर्दाना बनाने का कोई प्रयास इनका सफल नहीं होता - अनेक तरह के सुनेसुनाए चुटकुले और चलताऊ टिप्पणियां करने से भी बाज़ नहीं आते परन्तु जब कविता पाठ करते हैं तो पाकिस्तान के बखिये उधेड़ देते हैं - अत्यंत मज़ेदार व्यक्तित्व के स्वामी हैं - बढ़िया टाइमपास करते हैं
_______________________________________________________
सुरेश अलबेला - कोटा 70,000+ वांछित पेय पदार्थ
* लाफ्टर चैम्पियन बनने के बाद इनके सेंसेक्स में ज़बरदस्त उछाल आया था - खूब जमाऊ और टिकाऊ कलमकार व शानदार परफॉर्मर - इंटेलिजेंट किस्म का कलाकार - पैमेंट से अधिक काम करने वाला सजग और मंच के प्रति समर्पित कवि
________________________________________________________
शेष अगले अंक में.......... जारी है