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Albela Khatri

आदमी को चाहिए ...



क़रम
हो मालिक का गर तो राई भी परबत बने

आदमी को चाहिए .......कमज़ोर की ताक़त बने

दिल्लगी अच्छी नहीं मज़लूम और लाचार से

बन पड़े ईसा बने.....वहशी दरिन्दा मत बने






5 comments:

Unknown February 3, 2010 at 10:44 AM  

"कमजोर की ताकत बनें ..."

सही कहा आपने, अपने लिये जिये तो क्या जिये ...

Dev February 3, 2010 at 11:05 AM  

बहुत सही फ़रमाया आपने ...

निर्मला कपिला February 3, 2010 at 11:35 AM  

लाजवाब और प्रेरनादायी आभार्

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' February 3, 2010 at 4:59 PM  

बहुत बढ़िया रहा यह मुक्तक!

Shruti February 3, 2010 at 8:07 PM  

क़रम हो मालिक का गर तो राई भी परबत बने..

yeh karam nahi malik ka ki rai ka pahad banaye
yeh to phidrat hai insaan ki
jisse khuda hum sabko bachaye

:)

-Sheena

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