संयोग से आज सब्ज़ी बाज़ार में जाना हुआ। क्योंकि एक फ़िल्म
के लिए सब्ज़ी बेचने वाली का आयटम सोंग लिखने का काम
मिला है और मैं इसे एकदम रापचिक यानी गुनगुनी यानी ठेठ
मांसल भाषा में लिखने के मूड में था लिहाज़ा मैं बाज़ार का मुआयना
कर रहा था तो एक मज़ेदार वाकिया हुआ...
मैंने देखा एक केले बेचने वाला पुरूष खाली बैठा मक्खियाँ मार
रहा था जबकि उसके साथ ही बैठी केले बेचने वाली महिला के यहाँ
ग्राहकों की भीड़ लगी थी........ध्यान देने योग्य बात ये है कि महिला
का भाव भी ज़्यादा था, वह कोई सस्ते भाव में नहीं बेच रही थी पर
हैरत ! बहुत हैरत हुई मुझे इस बात की कि लोग उससे मंहगे
भाव में खरीद रहे थे जबकि वह पुरूष चिल्ला चिल्ला कर अपना
भाव कम बता रहा था तो भी उसके पास कोई नहीं फटक रहा था ।
मैं भी उस महिला के पास भीड़ में खड़ा होगया और बारीकी से
निरीक्षण करने लगा । मेरी जिज्ञासा को वह केले वाली भांप गई
और खिलखिलाते हुए बोली - अरे आओ आओ कलाकार जी,
आप आधा कप चाय पी लोगे तो मेरा मान बढ़ जाएगा ...............मैं
बोला - बाई ! आपका मान बढ़ता हो, तो मैं आधी क्या पूरी चाय भी
पी लूँगा, मंगा लो............
थोड़ी देर में चाय आ गई, मैंने भी पी और उसने भी.........इतनी देर में
उसके सब केले भी बिक गये ....यानी भीड़ छंट गई तब वह
मुस्कुराते हुए बोली - यही सोच रहे थे न कि मेरे यहाँ इत्ती भीड़ क्यों
लगी थी ? मैंने कहा - हाँ !
वो इठलाते हुए बोली - सब इसका कमाल है ...ऐसा कह कर उसने
मुझे इशारे से दिखाया, उसके ब्लाउज़ का एक बटन खुला था और
काफी कुछ दिख रहा था । मेरी आँखों में संतुष्टि के भाव आ गये
क्योंकि अब मैं भी सब समझ चुका था तब वह बोली- अरे साहब
ये तो कुछ नहीं, अगर दूसरा बटन खोल दूँ तो बाकी सब की दुकानें
बन्द करा दूँ........मेरा ठहाका छूट गया.........
उस महिला ने मेरी तरफ प्यारी सी मुस्कान परोसी और अपने
पड़ौसी की दूकान पर जा बैठी केले बेचने के लिए..... अरे भाई वही
पड़ौसी जो सस्ते बेच रहा था लेकिन खाली बैठा था.........मैं फिर हैरत
में पड़ गया तो वो पुरूष बोला - अरे साहब ये मेरी ही घरवाली है,
जब मेरे से बिक्री नहीं होती तो ये एक आध घंटे के लिए आती है और
सारा माल बेच बाच के निकल जाती है ।
महिला बोली - क्या करें साहब ! ज़माना ही ऐसा है, जिसका दिखता
है, उसीका बिकता है...........
जय हिन्द !
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
अलबेला सर.. पढ़ कर हंसी भी आई और ज़माने की सोच जानकर दुःख भी हुआ... शुभकामनायें एक अच्छे गीत लिखने के लिए...पूरा भरोसा है आपका लिखा गीत धमाल मचाएगा.. :)
और हाँ आपका फोटो देखकर ख्याल आया... किसी रोल के लिए ट्राई क्यों नहीं करते???? :)
जय हिंद... जय बुंदेलखंड
लोग केलों के साथ आँखे भी सेंक रहे थे!
क्या कहें ! यही हो रहा है आजकल !!
अलबेला जी! आपने जो कुछ भी लिखा है वह आज के जमाने का अक्षरशः सत्य है। रायपुर के सब्जी बाजार में भी ऐसा ही कुछ दिखाई पड़ते रहता है।
हर समयकाल में ऐसा ही कुछ होता आया है
बी एस पाबला
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