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Albela Khatri

गुलाबी नगर में ठंडा डोसा खा कर एकान्त अभिलाषी गर्म जोड़े के लिए खलनायक बने आशीष खंडेलवाल और मैं

कल महामना आशीष खण्डेलवालजी से संक्षिप्त परन्तु सार्थक

और सुमधुर मुलाकात हुई । मौके तो पहले भी बहुत आये थे मगर

कभी ये संयोग हो न पाया, कल चूँकि मैंने उन्हें जयपुर के सवाई

मान सिंह अस्पताल के पास ही बुला लिया था जहां मेरे बड़े भाई

साहेब का इलाज चल रहा है, वे सुबह ठीक नौ बजे आ गये और

एक बढ़िया से रेस्टोरेंट में ले गये जहां खाते-पीते बात कर सकें ।



सच..........बहुत प्यारे व्यक्ति हैं आशीष जी और जीनियस भी !

कुछ ही मिनटों की मुलाकात में उन्होंने न केवल अपने तकनीकी

ज्ञान से बल्कि, ब्लोगिंग को लेकर सकारात्मक नज़रिए और

विनम्र व्यवहार से भी प्रभावित कर दिया । बहुत कुछ सीखने

को मिला उनसे...............



पर कहना मत किसी से ........हमारे इस मिलन से एक

मिलनातुर जोड़ा बहुत दुखी हुआ.........इसका पाप भी अपन

आशीषजी को ही लगायेंगे......... हुआ यों कि जयपुर में सुबह सुबह

वह रेस्टोरेंट लगभग खाली ही रहता है जहां हम गये थे इसलिए

एकान्त का सुख लेने वहाँ एक जोड़ा बैठा प्यार-मुहब्बत की

पींगें बढ़ा ही रहा था कि हम पहुँच गये दाल-भात में मूसलचंद

बन कर । बेचारों को कुछ करने ही नहीं दिया । लड़की तो कुछ

नहीं बोली लेकिन लड़के ने इशारे ही इशारे में मुझसे निवेदन

किया तो मैं समझ भी गया लेकिन तब तक आशीष जी डोसे

का आर्डर दे चुके थे और कॉफी भी आ चुकी थी । इसलिए बात

चलती रही और समय बीतता गया ।



हार के उस जोड़े ने हमें ऐसा श्राप दिया कि हमारा डोसा ही दो

कौड़ी का हो गया । न कोई स्वाद, न कोई जायका... तब कहीं

जा कर हम उठे और जोड़े का रास्ता साफ़ हुआ...........



जो भी हो, मैं तो सभी मित्रों से यही निवेदन करूँगा कि कभी

जयपुर जाना हो, तो आशीषजी से मिलने का प्रयास ज़रूर करें

क्योंकि किसी शायर ने कहा है : ये शहर है पत्थरों का, यहाँ देवता बहुत हैं - इन्सान कोई मिले तो उसके घर ज़रूर जाना

.............लेकिन ध्यान रहे उस रेस्टोरेंट में मत जाना वरना फिर

कोई प्रेमी परिंदा श्राप दे देगा और तुम्हारा डोसा ठंडा हो

जाएगा .....हा हा हा हा




















www.albelakhatri.com




8 comments:

पी के शर्मा March 18, 2010 at 5:50 PM  

बड़े निर्दयी हो आप लोग
http://chokhat.blogspot.com/

Unknown March 18, 2010 at 5:56 PM  

अच्छा लगा आप लोगों के मुलाकात के विषय में पढ़कर!

पर डोसे को बेजायका करके उस जोड़े न तो बहुत ही छोटी सजा दी आप लोगों को।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" March 18, 2010 at 6:03 PM  

:-))

ताऊ रामपुरिया March 18, 2010 at 6:38 PM  

अच्छा तो जयपुर जाकर ये गुल खिलाये जारहे हैं?

रामराम.

Gautam RK March 18, 2010 at 8:53 PM  

Ram Ram Ram... Sir Aap Logon ko thoda sochna to Chahie tha!!


Cartoon pasand aai!!



"RAM"

Udan Tashtari March 19, 2010 at 5:41 AM  

हमें तो लगा था कि आशीष जबलपुर शिफ्ट हो गये हैं..हम्म!

राजीव तनेजा March 20, 2010 at 7:49 AM  

आपने नागिन फिल्म(रीना राय/जीतेंद्र)वाली ज़रूर देखी होगी...बच के रहिएगा :-)

दीपक 'मशाल' March 21, 2010 at 11:55 AM  

ये शहर है पत्थरों का, यहाँ देवता बहुत हैं - इन्सान कोई मिले तो उसके घर ज़रूर जाना
bahut khoob..
aapne bahut atyachar kiya becharon par.. galat baat hai janab.

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