रिटायरमेन्ट के बाद एक गरीब मुनीम को जब एकमुश्त बड़ी
रक़म मिली तो शाम हो चुकी थी और बैंक बन्द हो चुके थे
इसलिए मजबूरन वह सारा रुपया अपने घर ही लेकर आ गया
लेकिन शहर में चारों तरफ़ चोरियां हो रही थीं इसलिए डरा हुआ था
कि भगवान न करे, यदि ये पैसा किसीने चुरा लिया तो वह अपनी
बिटिया की शादी कैसे करेगा ?
घर में पहुँचते ही उसने अपने सारे रूपये बेटी के हवाले कर दिये
और कह दिया कि बेटी ! इन्हें अब तू ही सम्हाल क्योंकि तेरे गरीब
बाप के पास इसके अलावा कुछ नहीं है और शहर में चोरों का
साम्राज्य है ।
संयोग से रात को उसके घर चोर आगये और बहुत कुछ चुरा ले
गये..........सुबह जब बाप-बेटी नींद से जागे तो घर का बहुत सा
सामान या तो बिखरा पड़ा था या गायब था । बाप रो पड़ा.........बेटी
की भी चीत्कार निकल गई लेकिन उसने स्वयं को सम्हाला और
रोते हुए बाप को ढाढस बँधाया ।
"मत रो बापू ! मत रो .........थोड़ा बहुत सामान ही तो गया है ...फिर
आ जायेगा" बेटी बोली तो बाप ने कहा," कहाँ से आ जायेगा बेटी ! तेरे
बाप की जीवन भर की पूंजी लुट चुकी है , चोरों ने हमें कंगाल कर
दिया है।"
" चिन्ता मत करो बापू, जो रूपये आप ने कल मुझे दिये थे, वे सुरक्षित
पड़े हैं । चोरों ने नहीं चुराए " ऐसा कह कर बेटी कमरे में गई और
रामायण उठा कर लायी । बाप फटी आँखों से देखता रहा । बेटी ने
रामायण खोली और उसमे छिपाकर रखी सारी राशि अपने पिता
के हवाले करदी...........
बाप की आँखों में ख़ुशी चमक उठी । उसने बिटिया को गले लगा
लिया । " ये तो चमत्कार हो गया बेटी ! तूने ये रूपये अपनी पेटी
के बजाय रामायण में क्या सोच कर रखे ?"
"यही सोच कर बापू कि चोर चाहे पूरा घर छान लें लेकिन रामायण
में हाथ नहीं डालेंगे .....क्योंकि मैं जानती हूँ, जो चोरी करते हैं, वे
रामायण नहीं पढ़ते और जो रामायण पढ़ते हैं, वे चोरी नहीं
करते ...." बेटी ने कहा ।
ये समझदारी सिर्फ़ और सिर्फ़ नारी में ही हो सकती है इसलिए
अलबेला खत्री नमन करता है आज इस पोस्ट के माध्यम से
समस्त नारी समाज को.............
धन्य हैं ऐसी बेटियां और पूज्य हैं ऐसी नारियां........
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
8 comments:
जो चोरी करते हैं, वे रामायण नहीं पढ़ते और जो रामायण पढ़ते हैं, वे चोरी नहीं करते ....
वाह्! कितनी गहरी बात छुपी है इन पंक्तियों में......
रामायन ही क्या जो चोरी करते हैं , दंगे करते है ,आगजनी करते हैं वे कोई भी धर्मग्रंथ नहीं पढते ।यहाँ तक कि उन्हे यह भी नहीं मालूम होता कि जिस घर मे वे अपराध करने जा रहे हैं वह किसका है ? चार पंक्तियों मे अर्ज किया है ...
जली हुई बस्ती मे
मिली है एक अधजली रेहल
दंगाइयों में बहस जारी है
इस पर कुरान रखकर पढ़ी जाती थी
या रामायण ?
समस्त माता बहनो व बेटियों को नमन के साथ्- शरद कोकास
बहुत ही बढ़िया बात बताई आपने ...आभार
बहुत ही प्रेरक प्रसंग!
क्या बात है अलबेला भईया , बहुत ही प्रेरक कहानि लगी ।
बढ़िया प्रसंग से रूबरू कराया आपने .
दंगाई धर्मग्रंथो को केवल सुनते है जो उनमे विद्रोह भरने के लिए एक रास्ता है . वे वही सुनते है जो उन्हें मोकापरस्त सुनाते है और उनका इस्तेमाल करते है .
प्रेरक प्रसंग....कम से कम नारी की बुद्धि पर भरोसा तो किया...
प्रेरक प्रसंग
सटीक कथन
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