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Unknown
Monday, June 25, 2012
प्यारे मित्रो !
ओपन बुक्स ऑनलाइन द्वारा आयोजित "चित्र से काव्य तक
प्रतियोगिता 15" में मेरी रचना को प्रथम पुरस्कार मिला है .
यह ख़ुशी मैं आपके साथ बांटना चाहता हूँ . इसलिए आपको
बताना चाहता हूँ कि प्रतियोगिता में एक बालिका का खूबसूरत
चित्र दिया गया था जिस पर प्रतिभागियों द्वारा केवल भारतीय
छन्द में ही कविता रचनी थी . मैंने उसमे तीन प्रविष्टियाँ दाखिल
की थीं जिनमे से एक को पुरस्कृत किया गया है . यह प्रतियोगिता
अद्भुत थी और अभिनव भी....... विस्तार से जानने के लिए
यह पोस्ट पढ़ें :
http://www.openbooksonline.com/group/pop/forum/topics/5170231:Topic:240001
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Wednesday, June 20, 2012
बांहें दी पसार मैंने,
कर दी पुकार मैंने,
आओ आओ आओ मेरे गले लग जाइए
दामिनी सी चंचल मैं,
फूल जैसी कोमल मैं,
मेरी ओजस्वी आँखों से आँख तो मिलाइए
आज किलकारी हूँ मैं,
कल फुलवारी हूँ मैं,
भारत की नारी हूँ मैं, मेरे पास आइये
वंश को बढ़ाना हो तो,
देश को बचाना हो तो,
भ्रूणहत्या रोक कर, बेटी को बचाइये
___जय हिन्द !
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Sunday, June 17, 2012
इस दुनिया में कौन सुखी है बाबाजी
जिसको देखो, वही दु:खी है बाबाजी
तुम तो केवल चखना लेकर आ जाओ
बोतल हमने खोल रखी है बाबाजी
इसकी चन्द्रमुखी है, उसकी सूर्यमुखी
मेरी ही क्यों ज्वालमुखी है बाबाजी
रिश्वत की मदिरा फिर उससे न छूटी
जिसने भी इक बार चखी है बाबाजी
बाप से बढ़ कर कौन सखा हो सकता है
माँ से बढ़ कर कौन सखी है बाबाजी
काम अपना जी जान से करने वालों ने
अपनी किस्मत आप लिखी है बाबाजी
पथ के काँटे क्या कर लेंगे 'अलबेला'
मैंने चप्पल पहन रखी है बाबाजी
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Thursday, June 14, 2012
करोड़ों दिलों पर राज करने वाले शहंशाह-ए-ग़ज़ल एवं लोक लाड़ले
स्वर सम्राट जनाब मेहदी हसन के देहावसान से हमें बहुत दुःख
पहुंचा है . उनकी आत्मिक शान्ति के लिए परम पिता से प्रार्थना
करते हुए एक ग़ज़ल के रूप में दिवंगत आत्मा को
विनम्र श्रद्धांजलि :
आँख ग़ज़ल की पथराई है बाबाजी
नज़्म सोग में सरसाई है बाबाजी
मेहदी की शीतल सुर-सरिता सूख गई
ख़बर बहुत ही दुखदायी है बाबाजी
चमक दमक, महफ़िल की रौनक रूठ गई
रह गई बस इक सूनाई है बाबाजी
उड़ गये सूखे फूल कज़ा की आँधी में
धूल किताबों पर छाई है बाबाजी
हाय पहले जगजीत, गये अब मेहदी भी
किसने चिट्ठी भिजवाई है बाबाजी
अल्लाह ताला उनको जन्नत अता करे
दुआ यही लब पर आई है बाबाजी
कैसे कहूँ 'अलविदा' उसे मैं 'अलबेला'
वाणी मेरी भर्राई है बाबाजी
 |
hasyakavi albela khatri in Houston tx USA |
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Sunday, June 10, 2012
कितना झूठा, कितना साचा बाबाजी
हमने सब का चेहरा बांचा बाबाजी
अग्निपथ टू देख के दर्शक चौंक उठे
विजय से ज़्यादा हॉट है कांचा बाबाजी
जुहू तट पर अपनी अपनी आयटम संग
खोज रहे सब कोना- खांचा बाबाजी
सीधे सच्चे बन्दे जिसमें ढलते थे
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी
महाराष्ट्र में रह कर मैं भी सीख गया
तुमचा, आमचा, यांचा, त्यांचा बाबाजी
झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा पूरा ढांचा बाबाजी
चोर होगया नौ दो ग्यारह और पुलिस
करती रह गई तीया-पांचा बाबाजी
अवगुण औरों में तो ढूंढे "अलबेला"
लेकिन ख़ुद को कभी न जांचा बाबाजी
___JAI HIND !
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hasya kavi Albela Khatri in Atlanta Ga USA |
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Thursday, June 7, 2012
तेज़ हवा और एक थी तीली बाबाजी
फिर भी हमने बीड़ी पी ली बाबाजी
घर की सादी छोड़ के बाहर ढूंढ रहे
रंग-रंगीली, छैल-छबीली बाबाजी
रूप के रस में जो डूबे, वे ना उबरे
ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी
नेताओं के मुख-मण्डल पर लाली है
आँख हमारी गीली गीली बाबाजी
केवल पगड़ी नहीं, मुझे तो लगती है
पी.एम. की पतलून भी ढीली बाबाजी
कितना भी खींचो इसको, ना टूटेगी
महंगाई है चीज़ लचीली बाबाजी
जिसने सबको अमृत बांटा 'अलबेला'
लाश उसी की मिली है नीली बाबाजी
जय हिन्द !
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Wednesday, June 6, 2012
यह जो शहरीकरण हो रहा बाबाजी
हरियाली का हरण हो रहा बाबाजी
चीलें, कौए, चिड़ियाँ, तोते, तीतर संग
वनजीवन का मरण हो रहा बाबाजी
भौतिक सुविधाओं को तो विस्तार मिला
संकुचित पर्यावरण हो रहा बाबाजी
पेड़ काट कर, मानव मानो अपनी ही
हत्या का उपकरण हो रहा बाबाजी
इसका दुष्परिणाम देखिये घर-घर में
रोगों का अवतरण हो रहा बाबाजी
ख़बरदार ! कुदरत का क्रोध रुला देगा
उसके विरुद्ध आचरण हो रहा बाबाजी
तुम मेरी आँखों से देखो "अलबेला"
सकल सृष्टि का क्षरण हो रहा बाबाजी
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hasyakavi Albela Khatri enjoying Chattanoga city in USA |
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Tuesday, June 5, 2012
दहशत-वहशत, ख़ूनखराबा बाबाजी
गुंडई ने है अमन को चाबा बाबाजी
काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा बाबाजी
मैक्डोनाल्ड में रौनक बढती जाती है
उजड़ रहा पंजाबी ढाबा बाबाजी
मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी
देश समूचा खा कर ही पिंड छोड़ेंगे
दिल्ली पर जिनका है ताबा बाबाजी
कवि हो तो 'अलबेला' ऐसा गीत लिखो
लोग कह उठें शाबा शाबा बाबाजी
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Friday, June 1, 2012
पप्पू ने पूछा पापा,
ये भारत बन्द क्या होता है ?
पापा मुस्कुराया
पप्पू को बताया -
बेटा,
मेरा भारत महान में लोकतान्त्रिक सरकार है
और भारत बन्द हमारा राजनैतिक त्यौहार है
जो विपक्ष द्वारा मनाया जाता है
और पब्लिक को सताया जाता है
जो लोग किसी गरीब के घर में एक दीया तक नहीं जलाते
वे सड़कों पर टायर ट्यूब जलाते हैं
वाहनों पर भी पत्थर ख़ूब चलाते हैं
ट्रेनें रोक रोक के तोड़ फोड़ करते हैं
निशानेबाज़ी बसों पे बेजोड़ करते हैं
जम कर हुडदंग और मनमानी करते हैं
या यों समझो कि कुछ तूफानी करते हैं
जब थक जाते हैं
तब रुक जाते हैं
आम आदमी घर में बैठ, तमाशा देखते हैं
और नेता लोग इस आग में रोटी सेंकते हैं
अहिंसा का आईना जब चूरा चूरा हो जाता है
तब यह भारत बन्द महोत्सव पूरा हो जाता है
क्योंकि
न सरदार पगला है
न सरकार पगली है
सिर्फ़ जनता पगली है
जो इनको वोट देती है
व ख़ुद को चोट देती है
जय हिन्द !