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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी


तेज़ हवा और एक थी तीली बाबाजी


फिर भी हमने  बीड़ी पी ली बाबाजी



घर की सादी छोड़ के बाहर ढूंढ रहे


रंग-रंगीली, छैल-छबीली बाबाजी



रूप के रस में जो डूबे, वे ना उबरे


ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी



नेताओं के मुख-मण्डल पर लाली है


आँख हमारी गीली गीली बाबाजी




केवल पगड़ी नहीं, मुझे तो लगती है


पी.एम. की पतलून भी ढीली बाबाजी



कितना भी खींचो इसको, ना टूटेगी


महंगाई है चीज़ लचीली बाबाजी



जिसने सबको अमृत बांटा 'अलबेला'


लाश उसी की मिली है नीली बाबाजी


जय हिन्द !



3 comments:

Unknown June 7, 2012 at 6:03 PM  

BAHOOT HI SUNDER GAJA.SWAGAT HAI ALBELA JI

Shri Sitaram Rasoi June 7, 2012 at 6:20 PM  

वाह वाह बाबाजी

Shri Sitaram Rasoi June 7, 2012 at 6:21 PM  

वाह वाह बाबा जी

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