तेज़ हवा और एक थी तीली बाबाजी
फिर भी हमने बीड़ी पी ली बाबाजी
घर की सादी छोड़ के बाहर ढूंढ रहे
रंग-रंगीली, छैल-छबीली बाबाजी
रूप के रस में जो डूबे, वे ना उबरे
ये मदिरा है बहुत नशीली बाबाजी
नेताओं के मुख-मण्डल पर लाली है
आँख हमारी गीली गीली बाबाजी
केवल पगड़ी नहीं, मुझे तो लगती है
पी.एम. की पतलून भी ढीली बाबाजी
कितना भी खींचो इसको, ना टूटेगी
महंगाई है चीज़ लचीली बाबाजी
जिसने सबको अमृत बांटा 'अलबेला'
लाश उसी की मिली है नीली बाबाजी
जय हिन्द !
3 comments:
BAHOOT HI SUNDER GAJA.SWAGAT HAI ALBELA JI
वाह वाह बाबाजी
वाह वाह बाबा जी
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