बांहें दी पसार मैंने,
कर दी पुकार मैंने,
आओ आओ आओ मेरे गले लग जाइए
दामिनी सी चंचल मैं,
फूल जैसी कोमल मैं,
मेरी ओजस्वी आँखों से आँख तो मिलाइए
आज किलकारी हूँ मैं,
कल फुलवारी हूँ मैं,
भारत की नारी हूँ मैं, मेरे पास आइये
वंश को बढ़ाना हो तो,
देश को बचाना हो तो,
भ्रूणहत्या रोक कर, बेटी को बचाइये
___जय हिन्द !
6 comments:
bhawpooran utkrist rachna.
आपकी पोस्ट कल 21/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा - 917 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
भ्रूणहत्या कौन रोकेगा | जो मान बच्चे को अपने पेट में रखने के बाद उसे गिरवा दे उसे कौन बचाएगा? माँ के दिल में भी अब अपनी औलाद का प्यार नहीं रहा | यह कहाँ पहुँच गए हम इंसान?
इंसान ही इंसान का दुश्मन है.... जब औरते ही नहीं बचेंगी तो यह वोह कोख कहाँ से लाएंगे जहाँ से पुत्र पैदा हो?
बेटियों का वज़ूद हो तो समस्त मानव जाति का वज़ूद है.
Awesome creation.
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