जयपुर के एक बड़े अस्पताल में एक आदमी टूटी फूटी हालत में लाया
गया था । वह अपने मोटर साईकिल पर जा रहा था कि जीप वाले ने
उसे टक्कर मार दी थी जिस कारण कुछ हड्डियाँ टूट गईं, एक हाथ टूट
गया और छाती में भारी सूजन आ गई थी । घटना सवाई माधोपुर में
घटी थी लेकिन दुर्भाग्य देखिये इस लोकराज का कि वहां उसका इलाज
नहीं हो सका इसलिए 100 किलोमीटर दूर जयपुर लाया गया जहाँ उसे
कुछ जूनियर डाक्टर्स ने इंजेक्शन वगैरह दे दिये और कहा कि पहले
फेफड़ों में से पानी निकाला जाएगा बाद में हाथ और हड्डी पसली देखी
जायेगी....
वो तड़पता रहा, और लोगों की भान्ति मैं भी देखता रहा .........
उसके साथ कम से कम 10 लोग और आये थे जो उसे बचाना चाहते थे
इसलिए खूब मन से सेवा कर रहे थे लेकिन बेचारों को पता नहीं था
कि करना क्या है ?
डाक्टर्स जैसे दिखने वाले लोग देख कर चले गये, न तो चिकित्सा की
और न ही ये बताया पेशेंट के मित्रों को कि उन्हें क्या करना है और
क्या नहीं करना...........लिहाज़ा कुछ घंटों तक लोग अपने अपने
तरीकों से उसकी सेवा करते रहे............और अन्ततः
बेचारा मर गया ...........
तड़प तड़प कर मर गया वो आदमी जो बहुत दूर से इलाज कराने
आया था ..........और अस्पताल में आया था
काश ! उसे समय पर वरिष्ठ चिकित्सक की कृपा प्राप्त हो जाती पर
होती कैसे ? डाक्टर तो गिनती के और मरीज़ बे हिसाब ...
मेरा मन वितृष्णा से भर गया .........
हे भगवान् ! या तो डाक्टरों की संख्या बढादे या फिर मरीजों की
संख्या घटा दे.............वर्ना रोज़ यों ही लोग मरते रहेंगे और अस्पताल
परिसरों में मातम और चीत्कार का माहौल बना ही रहेगा
विनम्र सूचना : बहुत दिनों से बहुत लोग शिकायत कर रहे
थे कि वो मुझे पढना चाहते हैं लेकिन पढ़ नहीं पाते क्योंकि
उन्हें हिन्दी पढनी नहीं आती इसलिए उनके लिए विशेष
रूप से आज मैंने एक नया ब्लॉग बनाया है जिसमे सारी
सामग्री मैं रोमन लिपि में ही दूंगा
ब्लॉग का टाइटल है Albela khatri
और url है :
http://laughterkingalbelakhatri.blogspot.com
अगर पाठकजन यहाँ का भी एक चक्कर लगा लेंगे तो
बड़ा संतोष मिलेगा ।
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
11 comments:
आजकल चिकित्सकों में कर्तव्यनिष्ठा और सेवाभावना की कमी भी तो ऐसी मौतों का बहुत बड़ा कारण है खत्री जी।
हे अल्लाह! या तो डाक्टरों की संख्या बढादे या फिर मरजों की (मरीजों की नही) संख्या घटा दे, , आमीन
आप ही के सामने एक मरीज घट गया।
इस तरह की मौतों का सबसे बड़ा कारण चिकित्सकों में मानवीय संवेदना की कमी होना है | ये तो सरकारी अस्पताल होगा यहाँ दिल्ली के निजी अस्पतालों में तो और भी बुरा हाल है छोटी से छोटी बीमारी में भी आइ सी यु में भर्ती कर देंगे सिर्फ पैसे बनाने के लिए | ऐसी ऐसी जांच करेंगे जिनका सम्बंधित बीमारी से कोई सम्बन्ध नहीं होगा सिर्फ और सिर्फ पैसे बनाने के लिए |
चिकित्सकों का यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब लोग इन्हें जीवनदाता की जगह कसाई समझेंगे |
चिकित्सक और सेवा,
क्या कल्पना कर रहे हैं श्रीमान,
हे भगवान् ! या तो डाक्टरों की संख्या बढादे या फिर मरीजों की
संख्या घटा दे....
बात तो सही है।
लेकिन ये काम भगवान के हाथ में नहीं , हमारे नेताओं के हाथ में है।
चिकित्सक अपनी नोट सेवा करने से तो मुक्त हो लें पहले।
शायद यह लेख पढ़कर सोई मानवता जग जाये!
उन डाक्टरो को क्या कहे जो भूल गए है सारी मानवता , दर्द का अहसाश , उन को हरे हरे नोट देते फिर देखते किस तरह वार्ड में उन की लाइन लग जाती सेवा भाव की जागृति के बाद
इस सब के लिए पूरी व्यवस्था जिम्मेदार है
wah chachaji ekdam sach bat likhi hai
aapne
maine apne aakho ke samne us aadmi ko dum todte dekha tha
jab attentdent ko pata chala to unhe vishvash bhi nahi hua or Dr. ne mujhe bulakr puchha ki usko kisne mara tab mai khada soch raha or ye dekh raha tha ki Dr. dad body le jane ke liya mana kar diya or POSTMARTAM ka order nikal diya
mrit vyakti ki patni chilla rahi thi
post martam mat karo plzzzzzzzzzzzzzzzzzzzz
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