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Albela Khatri

अरे भाई जूता चप्पल मारना है तो अपने मुँह पर मारो... नेताजी को क्यों मारते हो ?




आजकल
जूते चप्पल कुछ ज़्यादा ही चलन में हैं जनता अपना गुस्सा

निकालने के लिए मानो तैयार ही है और सदैव तत्पर है नेताओं को जूते मारने

के लिए..........लेकिन मेरा मानना है कि अपनी गलती की सज़ा स्वयं भोगनी

चाहिए किसी दूसरे को इसका पुनीत लाभ नहीं देना चाहिए



अरे भाई जूते मारने हैं तो ख़ुद को मारो..........गलती तुम्हारी ही है जो तुमने

मतदान के समय इन लोगों को चुन चुन कर अपने साथ खिलवाड़ का अवसर

दिया अब जो वोट तुमने दिया उसके ज़िम्मेदार तो तुम ही हो..... तो मारो

जूता अपने ही मुँह पर ....दूसरे को इसका लाभ क्यों पहुंचाते हो........



वैसे भी जूते मारने से क्या होगा ? मारना है तो वोट से मारो और ऐसा मारो

कि देश का भला हो ..आगे आपकी मर्ज़ी



मैं तो एक पैरोडी पेश कर रहा हूँ साहिर लुधियानवी के उस सुपरहिट गाने की

जो उन्होंने फ़िल्म लैला मजनू के लिए लिखा था :


वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को

कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को ........

क्यों ? ठीक है ना ठीक ?




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10 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा June 7, 2011 at 12:25 PM  

वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को
कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को

ha ha ha ha

अन्तर सोहिल June 7, 2011 at 4:29 PM  

बिल्कुल ठीक है जी ठीक
हमने तो आपका कहा मानकर अपनी खोपडी पीट-पीट कर गंजी कर ली है :)

प्रणाम

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' June 7, 2011 at 6:04 PM  

शब्दों की मार जूते-चप्पल से अधिक होती है!
बहुत सटीक!

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार June 7, 2011 at 6:13 PM  

वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को
कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को


बस ,
वोट के समय ये भुलक्कड़ जनता याद रखे इन घटनाओं को …

SANDEEP PANWAR June 7, 2011 at 9:14 PM  

जब तक वोट का टेम आवेगा, याद रहेगा क्या वोट डालने वालों को?
याद रह जाये तो बात बने

राज भाटिय़ा June 7, 2011 at 11:56 PM  

जब यह हरामी वोट मांगने आये तो पहले तो इन्हे टट्टी से भरा जुता मारा जाये फ़िर इन के कर्मो का लेखा जोखा मांगा जाये कि हरामियो पिछले वादो मे से कितने वादे पुरे किये, फ़िर जुते मार मार कर गली मोहल्ले से बाहर निकाल दे...

Taarkeshwar Giri June 8, 2011 at 6:50 AM  

ha ha ha , Vote ka time aate aate logo ka dimag note ki taraf chala jata hai, kash kar ke sirf us varg ka jiske pass vote bank jyada hai,

Urmi June 8, 2011 at 1:01 PM  

आपने सटीक कहा है है! आख़िर जूते चप्पलों से मारकर क्या होगा? नेताओं को हमें शब्दों से मारना होगा ! दोषी तो हम सब हैं जो वोट के समय इन नेताओं को वोट दिए और अब भुगत रहे हैं!

Anil Pusadkar June 8, 2011 at 6:26 PM  

hahaahahahaah

Rakesh Singh - राकेश सिंह June 8, 2011 at 8:48 PM  

अलबेला जी आपने बिलकुल सटीक और खरा -खरा लिखा है ...

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