आजकल जूते चप्पल कुछ ज़्यादा ही चलन में हैं । जनता अपना गुस्सा
निकालने के लिए मानो तैयार ही है और सदैव तत्पर है नेताओं को जूते मारने
के लिए..........लेकिन मेरा मानना है कि अपनी गलती की सज़ा स्वयं भोगनी
चाहिए । किसी दूसरे को इसका पुनीत लाभ नहीं देना चाहिए ।
अरे भाई जूते मारने हैं तो ख़ुद को मारो..........गलती तुम्हारी ही है जो तुमने
मतदान के समय इन लोगों को चुन चुन कर अपने साथ खिलवाड़ का अवसर
दिया । अब जो वोट तुमने दिया उसके ज़िम्मेदार तो तुम ही हो..... तो मारो न
जूता अपने ही मुँह पर ....दूसरे को इसका लाभ क्यों पहुंचाते हो........
वैसे भी जूते मारने से क्या होगा ? मारना है तो वोट से मारो और ऐसा मारो
कि देश का भला हो ..आगे आपकी मर्ज़ी
मैं तो एक पैरोडी पेश कर रहा हूँ साहिर लुधियानवी के उस सुपरहिट गाने की
जो उन्होंने फ़िल्म लैला मजनू के लिए लिखा था :
वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को
कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को ........
क्यों ? ठीक है ना ठीक ?
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
10 comments:
वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को
कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को
ha ha ha ha
बिल्कुल ठीक है जी ठीक
हमने तो आपका कहा मानकर अपनी खोपडी पीट-पीट कर गंजी कर ली है :)
प्रणाम
शब्दों की मार जूते-चप्पल से अधिक होती है!
बहुत सटीक!
वोट हाज़िर है हुकूमत की जड़ हिलाने को
कोई चप्पल से ना मारे नेता मरजाणे को
बस ,
वोट के समय ये भुलक्कड़ जनता याद रखे इन घटनाओं को …
जब तक वोट का टेम आवेगा, याद रहेगा क्या वोट डालने वालों को?
याद रह जाये तो बात बने
जब यह हरामी वोट मांगने आये तो पहले तो इन्हे टट्टी से भरा जुता मारा जाये फ़िर इन के कर्मो का लेखा जोखा मांगा जाये कि हरामियो पिछले वादो मे से कितने वादे पुरे किये, फ़िर जुते मार मार कर गली मोहल्ले से बाहर निकाल दे...
ha ha ha , Vote ka time aate aate logo ka dimag note ki taraf chala jata hai, kash kar ke sirf us varg ka jiske pass vote bank jyada hai,
आपने सटीक कहा है है! आख़िर जूते चप्पलों से मारकर क्या होगा? नेताओं को हमें शब्दों से मारना होगा ! दोषी तो हम सब हैं जो वोट के समय इन नेताओं को वोट दिए और अब भुगत रहे हैं!
hahaahahahaah
अलबेला जी आपने बिलकुल सटीक और खरा -खरा लिखा है ...
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