मार्ग
कोई भी
सरल नहीं है
____________इसलिए
जीवन
शुष्क है
तरल नहीं है
मैं
मरुस्थल में
पाताल की
नमी खींचने का प्रयास कर रहा हूँ
यानी
अपनी
आँखों के जल से
धोरे सींचने का प्रयास कर रहा हूँ
मेरा परिश्रम
बचकाना हो सकता है
परन्तु
व्यर्थ नहीं होगा
क्योंकि मैंने सुना है
बच्चों की पुकार
भगवान जल्दी सुनता है
-अलबेला खत्री
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
5 comments:
सत्य वचन
kya baat hai......bhavotprerak rachna...sadhuwad..
वाह! खत्री जी! जीवन क्या है इसके सही मतलब आपने समझा दिया है! अद्भुत सुन्दर पंक्तियाँ!
लीक से हटकर ..बहुत सुन्दर,भावपूर्ण रचना अलबेला जी
विचारणीय प्रस्तुति ...
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