आज निर्जला एकादशी है, जब लोग सूखा व्रत रखते हैं
दूध पीना तो दूर, पानी की एक बून्द तक नहीं चखते हैं
हाँ हो सके तो लोगों को पानी क्या, शरबत भी पिलाते हैं
और शास्त्रोक्त परम्परानुसार पुण्य का लाभ कमाते हैं
जैसे कि श्री श्री रविशंकर जी ने कमा लिया
पर बाबाजी ! आपने इससे क्या पा लिया ?
आपकी तो साख को ही बट्टा लग गया
चट्टी क्या आपको तो चट्टा लग गया
अब आप पहले की तरह "करने से होता है" कैसे कहोगे ?
और दो सौ साल तक स्वस्थ रूप से जीवित कैसे रहोगे ?
कुल आठ दिन में ही आपकी शारीरिक शक्ति क्योंकर घट गई ?
बाबा, महीने भर चलने वाली लुंगी नौ दिनों में ही कैसे फट गई ?
कमाल है ! आर्य समाज की महान परम्परा का ऐसा ह्लास ?
सफ़र का श्रीगणेश ही हुआ था और गाड़ी में तेल खलास ?
कहाँ गई वो कपालभाती ? जो आप हमसे कराते थे
स्वस्थ और शतायु रहने की कला टीवी पर बताते थे
स्वामी विरजानंद के शिष्य महर्षि दयानंद को क्या मुँह दिखाओगे ?
स्वामी श्रद्धानंद व लाला लाजपतराय पूछेंगे तो उन्हें क्या बताओगे
कुल मिला कर आपने कॉन्फिडेंस कुछ ज़्यादा ही ओवर कर लिया
बीस साल में कमाए हुए गुड़ को कुल बीस दिनों में गोबर कर दिया
ऐसे कुछ अनर्गल सम्वाद मन-मस्तिष्क में चल रहे हैं
वो कौन से दुष्ट ग्रह हैं ? जो इन दिनों आपको छल रहे हैं
उनका इलाज कराइए, ख़ुद की ग्रहदशा मजबूत बनाइये
व एक बार फिर नये सिरे से अपना आन्दोलन चलाइये
देश की त्रस्त जनता को आपसे ही उम्मीद है बाबा
बाकी नेता तो बस भ्रष्टाचार के ज़रखरीद है बाबा
लीजिये भवानी माँ का नाम, या कह के जैश्रीराम !
कर डालो अब तो इस दुर्व्यवस्था का काम तमाम
प्रार्थना मैं भी करूँगा आपके लिए
अरदास मैं भी करूँगा आपके लिए
जय हो आपकी !
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hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
शानदार और जानदार रहा मंगलूर रिफ़ाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड द्वारा
राजभाषा विभाग के तत्वाधान में डॉ बी आर पाल द्वारा आ...
10 years ago
12 comments:
अनशन ख़त्म हुआ पर सत्ता गिराओ जारी है
जब तक इस देश की जनता नहीं चाहेगी, इस देश का कुछ नहीं हो सकता है, ये देश जुगाड के भरोसे है, अकेला बाबा क्या कर लेगा, उस रात अगर-अगर-अगर बाबा औरतों से वेष में ना निकलता तो बाबा वहीं मारा जाता और कोई खतरी या पवाँर रोने भी नहीं जाता।
Nice post.
क्या बुज़दिल बना देता है लौकी का जूस ? , होम्योपैथी में विश्वास रखने वाले ब्लॉगर्स भाइयों से एक विशेष चर्चा -Dr. Anwer Jmal
'जैसा खाय अन्न वैसा होय मन' , यह उक्ति मशहूर है । आयुर्वेद और यूनानी तिब के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि खान पान हमारे शरीर के साथ हमारे मन को भी प्रभावित करता है । होम्योपैथी में मिर्च से कैप्सीकम (capsicum) नामक दवा बनती है और उसकी मेटीरिया मेडिका में उसके मानसिक लक्षण भी लिखे होते हैं कि मन पर मिर्च क्या प्रभाव डालती है ?
'ऊँचाई से छलाँग' लगाने वाले का प्रमुख आहार लौकी का जूस था । उनके मन के निर्माण में लौकी का महत्वपूर्ण योगदान है । यह सारा ज़माना जानता है । ऐसे में यह प्रश्न उठना नेचुरल है कि क्या लौकी का जूस आदमी को बुज़दिल बना देता है ?
अगर यह सही है तो हरेक क्राँतिकारी और सुधारक को लौकी के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए और जो लोग किसी अन्य वजह से अपने अंदर बुज़दिली महसूस करते हैं । अगर वे लोग होम्योपैथिक तरीक़े से लौकी को पोटेन्टाइज़ करके दवा बनाएं और इसका सेवन करें तो उनकी बीमारी दूर हो सकती है ।
होम्योपैथी में विश्वास रखने वाले ब्लॉगर्स इस ओर ध्यान दें तो चिकित्सा के मैदान में भी उपलब्धि की एक ऊँची छलाँग लग सकती है ।
ayurved homyopaith se kahi behtar hai...aap ise jhutha nahi sidh kar sakte...
chinta mat kariye , shuruwat to ho chuki hai
विचारणीय है।
स्वामी दयानंद की परम्परा के सन्यासी का ये हाल
उत्तरीय व कटि वस्त्र फ़टने से लंगोटी में हुआ बेहाल
दयानंद एक लंगोटी में ही समग्र परिवर्तन लाया था
भगवा की लाज बचाने उसने प्राण होम कर डाला था
राजीनीतिक दलों के साथ ने बाबा के आन्दोलन को फुस्स कर दिया... बुरे लोगों को अपने ऊपर हावी होने से बचकर ही अच्छे कार्यों किये जा सकते हैं...
प्रेमरस
शार्टकट में बडी बातें कह दी आपने।
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हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।
खेल खेल में बहुत कुछ कहें दिया आपने अलबेला जी
लुंगी तो पहले से ही फटी हुई थी. देख नहीं सके लोग
बाबा जी ने अतिआत्मविश्वास के चलते अनशन के लिए जल्द बाजी करली ,थोड़े दिन रुकते अन्ना का बैंड बजते देखते ,अपनी रैलियां जारी रखते ,साथ में ऐसी जातियों को जोड़ते जिन्हें भागना सरकार के लिए भारी पड़ता | वैसे भी भ्रष्टाचार व काले धन का मुद्दा एसा है जिसके लिए किसी समय सीमा की बाध्यता निर्धारित नहीं करनी चाहिए | बाबा अनशन कीई बजाय रैलियां करता रहता और सरकार को धमकाता रहता तब तक ही ठीक था | अन्ना ने लोकपाल समिति में शामिल होकर , फिर बाबा ने विफल अनशन कर सरकार को एक तरह से अभयदान दे दिया | इन दोनों के ही निर्णय गलत थे |
एक बात और यदि बाबा रेलियों के माध्यम से चुनाव तक जनजागरण चालू रखते है तो फिर देखना किसकी लुंगी ढीली होती है |
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