आज 18 दिसम्बर 2013 का दिन मेरे लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि कवि-सम्मेलनों के मंचों पर काव्यपाठ करते हुए आज मुझे 30 वर्ष पूरे हो रहे हैं . इन 30 वर्षों के दौरान भारत, अमेरिका, कनाडा, वेस्ट इण्डीज़, चाईना, हांगकांग व सिंगापोर इत्यादि में 6214 मंचों पर प्रस्तुति की जिनमे कवि सम्मेलन के अलावा, लाफ्टर शो, ग़ज़ल नाईट, भजन संध्या व अनेक प्रकार के एकल कार्यक्रम शामिल हैं. जीवन में कई शानदार चढ़ाव और कई दर्दनाक उतार आये जिनके असर में कभी ख़ूब खिलखिलाया और कभी ख़ूब रोया ……… बहुत कुछ देखा और अनुभव किया
जो अजनबी थे, वो मित्र बने, मित्र से प्रतिद्वन्द्वी बने, प्रतिद्वन्द्वी से दुश्मन बने और अंततः दुश्मन से कट्टर दुश्मन बने
जिन्हें आगे बढ़ाने के लिए मैंने ख़ुद को पीछे कर लिया वो तो डेढ़ हुशियार + एहसानफ़रामोश निकले और जिनके सहयोग से मैं इस भीड़ में ज़िन्दा रह पाया उनके लिए कुछ करने का भगवान् ने मुझे कोई अवसर और सामर्थ्य नहीं दिया --- कुल मिला कर "तेरा भाणा मीठा लागे" की तर्ज़ पर सन्तुष्ट हूँ और आभार व्यक्त करता हूँ उन सभी शुभचिन्तकों व हितैषियों का जिन्होंने मुझे गिरने नहीं दिया और लोहा मानता हूँ उन सभी की एकता का जिन्होंने मुझे खड़ा होने नहीं दिया
सबकी जय हो
अलबेला खत्री
3 comments:
बहुत बहुत बधाइयाँ आपको।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (19-12-13) को टेस्ट - दिल्ली और जोहांसबर्ग का ( चर्चा - 1466 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत बधाई ...
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