शर्म ! शर्म !! शर्म !!!
"मध्य प्रदेश में हरदा के पास किसी गांव में 5 लोगों ने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया तथा उसके जिस्म को लाइटर से जला जला कर ठहाके भी लगाये" यह समाचार पढ़ते समय आजतक चैनल की तेज़ समाचार वाचिका के चेहरे पर कोई विषादभाव या दुःख इसलिए नहीं था क्योंकि उसके लिए तो ऐसी घटना पर बोलना रोज़मर्रा की बात होगी परन्तु मैं दुखी हूँ , आहत हूँ और शर्मिन्दा भी हूँ क्योंकि मैं भी उसी पुरुष समाज का हिस्सा हूँ जो महिलाओं के सम्मान और संरक्षण की बात तो करता है परन्तु अपनी कामपिपासा के तुष्टि के लिए दरिन्दा बन कर किसी महिला के साथ अमानवीय अत्याचार भी करता है
उस गरीब ग्रामीण महिला ने तो न कोई नाभिदर्शना साड़ी बाँधी होगी, न ही वक्षदर्शना ब्लाउज़ पहना होगा और न ही टांग दिखाऊ स्कर्ट पहनी होगी - फिर उस पर क्यों टूट पड़े वे 5 राक्षस ?
यह किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्म से डूब मरने की बात है कि कठोरतम कानूनों के बावजूद उसके लोग इतने हिंसक और अत्याचारी हो जाएँ
क्या इसकी रोकथाम का कोई उपाय नहीं ?
क्या महिलाओं की रक्षा की बातें करने वाली सरकार कोई कड़े कदम उठाएगी ?
जयहिन्द !
-अलबेला खत्री
the poem of hasyakav |
3 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (27-12-13) को "जवानी में थकने लगी जिन्दगी है" (चर्चा मंच : अंक-1474) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अलबेला जी ...
----क्या सरकार ने बलात्कार किया है जो आप सरकार की खिचाई कर रहे हैं....जब तक मनुष्य स्वयं नहीं सुधरेगा, सरकार क्या कर लेगी ..
--- उस महिला ने नाभि दर्शाना सादी या ब्लाउज नहीं पहना तो क्या हुआ ...मर्दों की कुत्सित मानसिकता बनाने व बढाने में क्या फ़िल्मी नारियां एवं उनको फालो करने बाली पढी-लिखी, स्मार्ट बनने वाली नारियां का योग दान नहीं है...
---आपका केप्शन भी एक दम मूर्खतापूर्ण है ....एक प्राकृतिक सच..पत्तियों का झरना की तुलना आप एक कुकृत्य से कर रहे हैं....
---.ज़रा सोच के....
@shyam gupta
आप निहायत जल्दबाज़ी के सताये हुए लग रहे हैं
मैंने कब कहा कि बलात्कार सरकार ने किया
और पत्तियों के झरने में भी आपको ऐब नज़र आ रहा है तो मेरे पास आपका कोई इलाज नहीं है - जिस दिन आपको इतनी समझ आ जाए कि कविता की भाषा कैसी होती है , उस दिन बात करेंगे
जय हिन्द !
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