'हैलो ....... पूरती पाले जी ?'
'हांजी, पूरती बोल रही हूँ, आप कौन ?'
'मैं फ़लाने शहर से, धिंकाने सांस्कृतिक संगम का प्रमुख भोलाराम पन्सारी बोल रहा हूँ पूरती जी, आप आईं थी न हमारे यहाँ ,,,,,क्या आप हमें भूल गए ?'
' नहीं जी नहीं, भूल कैसे सकते हैं ? कहिये क्या बात है ?'
'बात ऐसी है कि पिछली बार तो हम टीम बनाने में धोखा खा गए क्योंकि कुकर्माजी के दबाव में आ गए थे परन्तु इस बार हम कुछ अच्छे कवियों को बुलाना चाहते हैं तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमें कुछ बढ़िया कवियों / कवयित्रियों के नाम और नंबर देदो ताकि हम उनसे बात कर सकें'
'नम्बर तो मैं किसी का दे नहीं सकती पर आपके लिए कुछ बढ़िया नाम बता सकती हूँ, बजट क्या है आपका '
'जी बजट तो वही है 1 लाख के आसपास .... '
'1 लाख में क्या होता है भोलारामजी, अगर आप 2 लाख तक खर्च करो तो मैं अपने साथ देश के सबसे बड़े हास्यकवि मदिरेन्द्र डूबे, व्यंग्य व्योम चम्पक तरल, रमेन्द्र गजबजी के साथ साथ २-३ और कवि लेकर आ सकती हूँ'
' नहीं पूरती पालेजी, आप तो पिछली बार आ चुकी हैं, इस बार हम कोई दूसरी कवयित्री बुलाएँगे और जहाँ तक बात मदिरेन्द्र डूबे की है तो वोह भी नहीं चलेंगे, कोई ढंग का नाम बताओ ?'
'ढंग का नाम? कैसी बात कर रहे हैं सर आप ? मदिरेन्द्र जी से बड़ा हास्यकवि कौन है देश में ? आज पूरे ब्रह्माण्ड को खंगाल लो तो हिंदी कविता के नाम पर आपको केवल दो लोग शीर्ष पर मिलेंगे ,,,एक वोह और एक मैं ,,,बाकी सब तो चिल्लर पार्टी है'
' ये आप कैसे कह सकती हैं पूरतीजी ? ऐसा आप दोनों ने क्या लिख दिया जो इत्ती बड़ी बात कर रही हैं ?
' सवाल लिखने का नहीं है भोलाभाई, याद करने का है,, डूबे जी को इतना मसाला याद है कि वे अकेले ही पूरी रात बोल सकते हैं और मेरे बारे में तो आप जानते ही हैं ,,अब इस बात को क्या दोहराना कि जब मंच पर खड़ी होती हूँ तो लगता है साक्षात् सरस्वती माइक पर आ गयी हो '
' पर हमारे यहाँ तो आप बिलकुल फ्लॉप हो गयी थीं, लोगों ने आपको सुना ही नहीं ,, आपको हमने 20 हज़ार रूपये दिए थे लेकिन आपसे ज़यादा काम तो 2 हज़ार वाली लोकल कवयित्री ने किया था आपको याद ही होगा ?'
' सुना या नहीं सुना, उससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन मैं भारत की कवयित्री नंबर वन हूँ इसमें कोई शक नहीं, चाहें तो आप खुद मदिरेन्द्रजी से कन्फर्म कर लीजिये और बात रही प्रोग्राम की तो देखिये, जमने और न जमने के कई कारण होते हैं, अगर मैं नहीं जमी तो ज़ाहिर है कि आपका साउण्ड सिस्टम खराब होगा या फिर आपके शहर के श्रोता नालायक होंगे जिनको कविता सुनने की तमीज न होगी '
'पालेजी, साउण्ड तो हमने वो मंगाया था जिसकी जगजीत सिंह जैसे ग़ज़ल गायक ने भी तारीफ़ की और श्रोता हमारे शहर के मूर्ख नहीं हैं , पिछले 40 साल से कवि सम्मेलन सुनते आये हैं और आपको ये जानकार ख़ुशी होगी कि हमें चंदा भी वही श्रोता देते हैं'
'तो हो सकता है, मुझे गलत क्रम पर खड़ा कर दिया हो, हर मंच संचालक में इतना सेन्स कहाँ होता है कि जान सके कि किस कवयित्री को कब प्रस्तुत करना है '
' बहनजी, आप बहाना क्यों करती हैं ? क्रम भी आपने ही चुना था, आप ही ने कहा था कि मुझे ट्रेन पकड़नी है इसलिए जल्दी पढ़वा कर मुक्त कर दो '
'चलो जाने दो, अब मुद्दे की बात ये है कि आप अगर मुझे बुलाएंगे तो ही मैं टीम बनाउंगी और अगर मैं टीम बनाउंगी तो पहला नाम डूबेजी का ही होगा ……'
'आपको मैंने आमंत्रित करने के लिए फोन नहीं किया है पालेजी, न ही मुझे आपसे कोई सलाह चाहिए, मुझे तो कुछ अच्छे कवियों के फोन नंबर चाहिए, अगर दे सको तो देदो ,,,हैलो हैलो ---हैलो …… लगता है फोन कट गया'
या फिर काट दिया गया ;-) '
जय हिन्द !
albela khatri in action at kavi sammelan |
4 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (25-12-13) को "सेंटा क्लॉज है लगता प्यारा" (चर्चा मंच : अंक-1472) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जय हिन्द! कभी ग़ाफ़िल का भी नाम लेकर तो देखो पाले जी! श्रोताओं की धज्जी न उड़ जाय तो कहना हाँ नहीं तो! मोबाइल नम्बर भी बता देना- 09532871044
हम तो वरिष्ठ श्रोता की श्रेणी में आ गये हैं, सदा ही सुनने को तैयार।
तो आयोजकों का दर्द भी समझते हैं आप :-)
प्रणाम स्वीकार करें
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