वो जब आये, धूम मचाये
आँगन आँगन ख़ुशियाँ लाये
सब कहते हैं ख़ुश आमदीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद
तन नूरानी, मन नूरानी
सबके घर आँगन नूरानी
चमकदार है इसकी दीद
क्या सखि साजन ?
नहिं सखि ईद
उसकी आमद लगे सुहानी
झूमे नाना झूमे नानी
सारा आलम लगे खुर्शीद
क्या सखि बादल ?
नहीं सखि ईद
-अलबेला खत्री
ईद, मुबारक, अलबेला,खत्री,कह-मुकरी |
4 comments:
आपकी इस सुन्दर प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार२१/८/१२ को http://charchamanch.blogspot.in/2012/08/977.html पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है
beautiful lines to say ID MUBARAK
वाह क्या खूब लिखा है!
ईद बहुत-बहुत मुबारक हो अलबेला भाई!
कितना मोहक मुकरी छंद !
पढ़ कर आया है आनंद !!
कवि की 'कविता'की गति,मीत !
कभी नहीं पडती है मंद !!
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