रक्षा-बन्धन के दोहे........
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर
राखी के त्यौहार का, आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान
गदगद हैं माता-पिता, बच्चों में उत्साह
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह
राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
सभी भाइयों और सभी बहनों को अलबेला खत्री की ओर से
राखी के त्यौहार पर लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !
-अलबेला खत्री
अधरों पर मुस्कान है, आँखों में उन्माद
रक्षा बन्धन आ गया, लेकर नव आह्लाद
आजा बहना बाँध दे, लाल गुलाबी डोर
तिलक लगा कर पेश कर, मुँह में मीठा कोर
राखी के त्यौहार का, आया दिवस महान
इस उत्सव की देश में, सबसे आला शान
गदगद हैं माता-पिता, बच्चों में उत्साह
सम्बन्धों में स्नेह का, धागा बना गवाह
राखी बँधी कलाइयाँ, चमक रहीं चहुँ ओर
इस निर्मल आनन्द का, नहीं मिलेगा छोर
छोटी बहना बोलती, तुतले तुतले बोल
भैया मेले तू नहीं, जाना मुझको छोल
बहना तेरे प्यार का, बन्धन मेरी शान
नहीं भुलाऊंगा कभी, मैं राखी की आन
प्रतीक्षा पूरी हुई, निकली अनुपम भोर
बहनें ले कर चल पड़ी, तिलक,मिठाई,डोर
सभी भाइयों और सभी बहनों को अलबेला खत्री की ओर से
राखी के त्यौहार पर लाख लाख बधाइयां और अभिनन्दन !
-अलबेला खत्री
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1 comments:
दोहे बढ़िया बन पड़े हैं.
रक्षा बंधन की शुभकामनाएँ...
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