जंगे-आज़ादी के जांबाज़ सूरमा अमर बलिदानी राजगुरु के जन्म दिवस पर
आज तिरंगे को सलाम करते हुए तीन कह-मुकरियां विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में
सादर समर्पित कर रहा हूँ
सब कुछ अपना हार गये वो
प्राण भी अपने वार गये वो
बिना किये कुछ भी उम्मीद
ऐ सखि साधु ? नहीं शहीद !
देशभक्ति का काम कर गये
अपने कुल का नाम कर गये
खौफ़ उन्हें न सका खरीद
ऐ सखि शायर ? नहीं शहीद
मुल्क हमारा हमें बचाना
गौरव इसका और बढ़ाना
हमें दे गये यह ताकीद
ऐ सखि गांधी ? नहीं शहीद
जयहिन्द !
-अलबेला खत्री
आज तिरंगे को सलाम करते हुए तीन कह-मुकरियां विनम्र श्रद्धांजलि के रूप में
सादर समर्पित कर रहा हूँ
सब कुछ अपना हार गये वो
प्राण भी अपने वार गये वो
बिना किये कुछ भी उम्मीद
ऐ सखि साधु ? नहीं शहीद !
देशभक्ति का काम कर गये
अपने कुल का नाम कर गये
खौफ़ उन्हें न सका खरीद
ऐ सखि शायर ? नहीं शहीद
मुल्क हमारा हमें बचाना
गौरव इसका और बढ़ाना
हमें दे गये यह ताकीद
ऐ सखि गांधी ? नहीं शहीद
जयहिन्द !
-अलबेला खत्री
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2 comments:
गज़ब की लाइन और भाव .प्रणाम भैया जी
खरगोश का संगीत राग रागेश्री
पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों
में कोमल निशाद और बाकी स्वर
शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है,
पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी
किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी
झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत
वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
कि चहचाहट से मिलती है.
..
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