घणा दिन सो लिया थे
पूरा फ़्रेश हो लिया थे
अब आलस त्यागो अर काम पर लागो
जागो देवता जागो
जागो देवता जागो
तुलसी रो ब्याव करणो है
भारत रो बचाव करणो है
काम घणोइ करणो है बाकी
मंहगाई रांड बण बैठी काकी
खादी पैरयाँ घूमै है कई डाकी
ख़ून पीवै है गरीबां रो खाकी
आंकै डाम दागो, म्हारै बाँधो रक्षा धागो
जागो देवता जागो
जागो देवता जागो
hindi hasyakavi sammelan in mangalore by MRPL
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शानदार, शानदार, शानदार …………………
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10 years ago
9 comments:
बहुत बढिया रचना
अब देवता के जागने का समय आ ही गया
भारत बचाव... घाणा देवता भी कुछ न कर सके है..
बहुत बढ़िया कहियो है...
bahut achchhe.........
अब तो देवता जी को हर हाल में जागना ही होगा ! देव उठानी एकादशी पर ये राचन वास्तव में कमाल है !!!!
बहुत ही खूब।
अब तो हद हो चुकी है, जाग जाईए।
भाईजी अलबेला जी
राम राम अर घणी घणी बधाई !
राजस्थानी में सांतरी रचना लिख'र लगाई हो सा । मोकळा रंग है थां'नैं ! अमर हो जावो थे ।
काम घणोइ करणो है बाकी
मंहगाई रांड बण बैठी काकी
खादी पैरयां घूमै है कई डाकी
ख़ून पीवै है गरीबां रो खाकी
आंकै डाम दागो, म्हारै बांधो रक्षा धागो
जागो देवता जागो
देव उठणी ग्यारस पर देवतावां नैं इंयां जगायां तो जागणो ई पड़सी …
जै हो ! घणी खम्मा !!
राजस्थानी भाषा को मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ! धन्यवाद !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बिलकुल सही बात कही। धन्यवाद।
आप की कविता पढ़ कर देवता अवश्य जाग जायेंगे ऐसी कामना करता हूँ. राजस्थानी भाषा में कविता लिखी इसलिए और भी अच्छी लगी|
बहुत सुन्दर !
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