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Albela Khatri

लो जी हो गये एक तीर से दो दो शिकार.... पहले पोस्ट पर टिप्पणी, फिर टिप्पणी से पोस्ट तैयार

ये भी ख़ूब रही...........


परिकल्पना ब्लॉग पर रवीन्द्र प्रभात जी ने आज की पोस्ट में पूछा था

कि " वर्ष २०१० में हिन्दी ब्लोगिंग ने क्या खोया, क्या पाया ?"


इस पर मैंने भी एक टिप्पणी की है,

वही यहाँ भी चिपका रहा हूँ

यानी करके दिखा रहा हूँ एक तीर से दो दो शिकार

पहले की टिप्पणी, फिर टिप्पणी से पोस्ट तैयार



_______2010 में क्या खोया, क्या पाया ?


तो जनाब खोने को तो यहाँ कुछ था नहीं,

इसलिए पाया ही पाया है .

नित नया ब्लोगर पाया है,

संख्या में वृद्धि पायी है

और रचनात्मक समृद्धि पाई है



लेखकजन ने एक नया आधार पाया है

मित्रता पाई है, निस्वार्थ प्यार पाया है

दुनिया भर में फैला एक बड़ा परिवार पाया है

इक दूजे के सहयोग से सबने विस्तार पाया है

नूतन टैम्पलेट्स के ज़रिये नया रंग रूप और शृंगार पाया है

रचनाओं की प्रसव-प्रक्रिया में परिमाण और परिष्कार पाया है

नये पाठक पाए हैं,

नवालोचक पाए हैं

लेखन के लिए सम्मान और पुरस्कार पाया है

नयी स्पर्धाएं, नयी पहेलियों का अम्बार पाया है


लगे हाथ गुटबाज़ी भी पा ली है, वैमनस्य भी पा लिया है

टिप्पणियाँ बहुतायत में पाने का रहस्य भी पा लिया है

बहुत से अनुभव हमने वर्ष 2010 में पा लिए

इससे ज़्यादा भला 11 माह में और क्या चाहिए


-हार्दिक मंगलकामनाओं सहित,

-अलबेला खत्री




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8 comments:

समय चक्र November 30, 2010 at 7:13 PM  

बहुत ही सही कहा ..ये फंदा भी जोरदार चल निकला है की अपनी पोस्ट पर जितनी टिप्पणी आये हर टिप्पणी पर आप अपनी टिप्पणी ठौकते जाएँ .. देखिये फिर कमाल आपकी पोस्ट के साथ लगी टिप्पणी पोस्ट भी बनकर तैयार हो जावेगी ... टिप्पणी बढ़ने से आपकी सक्रियता भी बढ़ जावेगी ... मित्र है न कमाल की बात .... आभार

समय चक्र November 30, 2010 at 7:14 PM  

बहुत ही सही कहा ..ये फंदा भी जोरदार चल निकला है की अपनी पोस्ट पर जितनी टिप्पणी आये हर टिप्पणी पर आप अपनी टिप्पणी ठौकते जाएँ .. देखिये फिर कमाल आपकी पोस्ट के साथ लगी टिप्पणी पोस्ट भी बनकर तैयार हो जावेगी ... टिप्पणी बढ़ने से आपकी सक्रियता भी बढ़ जावेगी ... मित्र है न कमाल की बात .... आभार

Aruna Kapoor November 30, 2010 at 8:49 PM  

....सही कहा आपने...कुछ खो कर ही कुछ पाया जाता है!...कविता के माध्यम से दिया हुआ उत्तर ढेर सारी खुशियां दे रहा है!

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι December 1, 2010 at 8:12 AM  

अपनी अभिव्यक्ति और उसपे लोगों के कमेन्टस, सकरात्मक हो या नकरात्मक कहीं न कहीं से जुड़ाव तो पैदा करता है।

Shah Nawaz December 1, 2010 at 9:03 AM  

बहुत से अनुभव हमने वर्ष 2010 में पा लिए
इससे ज़्यादा भला 11 माह में और क्या चाहिए

सच में बहुत कुछ पाया है... बिलकुल सही कहा आपने.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " December 1, 2010 at 2:15 PM  

"kya khoya kya paya" par bahut hi sahi kavyatmak prastuti...
atmsantosh to milta hi hai apne kalamkar mitron ke sath kisi bhi madhyam dwara jude rahne par...
kabhi khushi milti hai to kabhi khatte-meethe anubhav....

अनुपमा पाठक December 1, 2010 at 2:59 PM  

बढ़िया है!

राजीव तनेजा December 4, 2010 at 12:54 PM  

बहुत ही बढ़िया...आपकी कलम की जादूगरी बस...देखते ही बनती है

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