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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

मेरे भीतर की बस्ती में मुक़द्दस धाम है उसका

उसी ने फिर बनाया है, बनाना काम है उसका

बनाने में कुशल है वो, बड़ा ही नाम है उसका

मेरी हस्ती उसी से है, मेरी मस्ती उसी से है

मेरे भीतर की बस्ती में मुक़द्दस धाम है उसका

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7 comments:

Sunil Kumar May 21, 2011 at 6:30 AM  

क्या बात है अलवेला जी आज एक नये अंदाज में है यह भी अच्छा लगा

राजीव तनेजा May 21, 2011 at 8:36 AM  

बहुत बढ़िया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' May 21, 2011 at 10:43 AM  

बढ़िया मुक्तक है भ्राता जी!

Urmi May 21, 2011 at 1:16 PM  

टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
वाह ! क्या बात है ! बहुत खूब कहा है आपने!

pran sharma May 21, 2011 at 5:25 PM  

KHOOB LIKH RAHE HAIN AAP TO ! AAPKE UJJWAL
BHAVISHYA KEE KAMNA KARTAA HOON .

Aruna Kapoor May 21, 2011 at 8:01 PM  

जी हां!..वही तो परम पिता परमेश्वर है!

रज़िया "राज़" May 23, 2011 at 1:41 PM  

बहोत खूब अलबेलाजी!

बनाके उसने हम सब को बहोत कुछ कह दिया देखो।

बने हम आदमी ही बस यही पैगाम है उसका।

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