Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

ताज़ा टिप्पणियां

Albela Khatri

काम सारे हो रहे हैं कुर्सी की टांगों नीचे काग़ज़ों में हो रहे विकास मेरे देश में

मेरे देश में है एक मुख यदि चन्द्रमुखी

सैकड़ों के मुखड़े उदास मेरे देश में


एक के शरीर पे जो सूट बूट टाई है तो

पाँच सौ पे पुराना लिबास मेरे देश में


काम सारे हो रहे हैं कुर्सी की टांगों नीचे

काग़ज़ों में हो रहे विकास मेरे देश में


दूध है जो मंहगा तो पीयो ख़ूब सस्ता है

आदमी के ख़ून का गिलास मेरे देश में


mere desh me,albela khatri hasyakavi,chhand,ghanakshri,kavita,poetry,kavi sammelan,azadi,india surati kavi

4 comments:

Urmi May 25, 2011 at 12:19 PM  

काम सारे हो रहे हैं कुर्सी की टांगों नीचे
काग़ज़ों में हो रहे विकास मेरे देश में..
ज़बरदस्त लिखा है आपने! सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है आपने!

Shah Nawaz May 25, 2011 at 1:28 PM  

:-) सच्चाई बयान कर दी आपने... बेहतरीन!

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " May 25, 2011 at 1:53 PM  

आदरणीय अलबेला जी ,

अभिवादन स्वीकारें

पूरा छंद देश के वर्तमान यथार्थ पर करारा व्यंग है किन्तु अंतिम पंक्ति तो रोंगटे खड़े कर दे रही है | आम आदमी कसाई का बकरा ही तो है |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' May 25, 2011 at 9:28 PM  

बहुत सुन्दर क्षणिका!

Post a Comment

My Blog List

myfreecopyright.com registered & protected
CG Blog
www.hamarivani.com
Blog Widget by LinkWithin

Emil Subscription

Enter your email address:

Delivered by FeedBurner

Followers

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Archive