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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

मैं सभी से ऊब जाना चाहता हूँ, और तुझमे डूब जाना चाहता हूँ, जिस जगह सब जा नहीं सकते, मैं वहाँ पर ख़ूब जाना चाहता हूँ





 कल मैंने एक पोस्ट लगाई थी जिसमे फेसबुक पर की गई चैटिंग 
के दौरान  जो तुकबन्दियाँ  बनी, उन्हें जस का तस  दे दिया था . 
कमाल ये हुआ कि उन्हें प्यारे  दोस्तों ने ख़ूब पढ़ा  और पसन्द भी किया 
इसलिए आज फिर मैं  वही कर रहा  हूँ - कल फेसबुक  पर chat के दौरा 
जो पंक्तियाँ बनी...आज उनका आनन्द लीजिये.........



ख्वाब तुम्हारा पूरा होगा,  मै ये वादा करता हूँ 

तुम पे भरोसा  मैं ख़ुद से भी ज़्यादा  करता हूँ 


जब भी फ़ुर्सत मिले, मुझे मेरे चुम्बन लौटा देना  


जल्दी  क्या है, मैं कब, कहाँ तकादा  करता हूँ ?



मोहब्बत में अन्धेरे  और उजाले का  हिसाब रखा नहीं  जाता 


ये  मन्दिर है, मुक़द्दस है, यहाँ जूता -जुराब   रखा नहीं  जाता  


काँटे भी आयें राह में तो कबूल कर लिए  जाते  हैं हँसते हँसते 


खार हटा कर, निज आँचल में  केवल गुलाब रखा नहीं  जाता 



ख़ुशियाँ  सारे जहान  की  मैं ला सकता हूँ 


गीत  ऐसा भी मैं गा कर  सुना सकता हूँ 


इतनी हिम्मत है  मुझमे  मेरी जान  कि मैं 


तुम्हारे लिए  इक नई  दुनिया बसा सकता हूँ 




धडकनें  अब धडकनों से मिल रही हैं 


कलियाँ मोहब्बत की यों खिल रही हैं 


जुदा होने का इलज़ाम मुझपे झूठा है 


मेरी तो साँसें तेरी साँसों से चल रही हैं 



उम्मीद तो रखनी ही होगी और साथ भी चलना ही होगा 


हिम्मत  बनाए तुम रक्खो, मौसम को बदलना ही होगा 


चाँदनी चाँद की  बेगम है, अम्बर  है शौहर  धरती का 


तन्हाई  का गर आलम है तो  यार से  मिलना ही होगा 




मैं सभी से ऊब जाना चाहता हूँ 


और तुझमे डूब जाना चाहता हूँ 


जिस जगह सब जा नहीं सकते 


मैं वहाँ पर ख़ूब जाना चाहता हूँ 



माना कि फ़ुर्सत नहीं होगी  मुलाकात के लिए


कुछ लम्हे तो निकाल सकते हो बात के लिए 


डूबना आँखों में  सबकी तकदीर में नहीं होता 


इक पल ही लुटा दो, बयाने-जज़्बात के लिए  



फासलों से भी गुज़र कर देखेंगे 


प्यार को भी समझ कर  देखेंगे 


देखें चाहे इक नज़र या उम्रभर 


पर तुझे हम  जी भर कर देखेंगे 



ये अलग बात है कि राख में आग दिखाई नहीं देती 


ताप तो  उसमें भी  लेकिन  भरपूर  होता है 


कोई कितना ही बचाना चाहे दामन  मगर याद रखो 


आशिक की  दुआ का  असर ज़रूर होता है





मुस्कुराना क्या होता है, मैं सिखलाऊंगा

तुमको कोई सब्जबाग नहीं दिखलाऊंगा 


दूरियां भी दूरियां  सी न लगेंगी  आपको 


हुनर मोहब्बत का ऐसा मैं देकर जाऊँगा 




मानस खत्री से मेरा तो बस इतना  लिंक  जुड़ा है 


वो भी मेरी तरह फेस बुक पर रचना लिए खड़ा है 


मानस है तो भला ही होगा, चाहे मेरा सगा नहीं है 


लेकिन  मेरी नज़रों में  वो मुझ से  बहुत बड़ा है 

     


आशु होना अलग बात, पर धांसू लगता प्यारा 


जो धांसू कवि होते हैं, उनका ही होता  पौ बारा 


सरस्वती की अनुकम्पा से मैं भी कोशिश कर लेता 


कभी कभी जब बह जाती है आँखों से अमृतधारा 



शुरूआत में ही कद है जिसका इतना ऊँचा 


वक्त आते आते तो  क़ुतुब मीनार हो जाएगा 


मेरी दुआ है  तुम्हारा  यश फैले चारों तरफ़ 


नाम तुम्हारा एक दिन  शाहकार हो जायेगा 



बात का मौका मिला है तो आँचल में भर ही लेना 


ग़ज़लों पर  अपनी  कुछ और शबाब  धर  ही लेना 


ये अलग बात है कि   टी वी पर भी दिख जाते हैं 


दीदार मगर  fb पर हो तो दोस्त मेरे कर ही लेना 



albela khatri ki pstak SAGAR ME BHI SOOKHA HAI MAN ke lokarpan samaroh me sh. Anand Rathi, kripashankar singh, mahavir adhikari, R.N.G.saraf aur Albela khatri aadi












3 comments:

DR. ANWER JAMAL January 6, 2012 at 10:57 AM  

Nice .
प्यारी मां पर एक सुनहरा क़ौल देखिए
रिश्ते बनाना उतना ही आसान है जितना कि ...
मिटटी पर ..- मिटटी से ...- "मिटटी " लिख देना ,,
और रिश्ते निभाना उतना ही कठिन, जितना कि ....
पानी पर ...-पानी से ...- "पानी" लिख पाना !!
http://pyarimaan.blogspot.com/2012/01/blog-post_05.html

Aruna Kapoor January 6, 2012 at 12:25 PM  

वाह!..कविता के माध्यम से हास्य बरस रहा है!

seema tomar January 6, 2012 at 3:47 PM  

wah wah wah wah .....bahut khoob

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