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Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog

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Albela Khatri

तुरन्त फुरन्त में रची वे फुटकर तुकबन्दियाँ ...जो विभिन्न ब्लोग्स पर की गईं आज उनकी ही पोस्ट लगा देता हूँ ताकि ब्लॉग अपडेट रहे हा हा हा



तुम गुल बनके आओगे तो गुलाब दूंगा 

गिन गिन के नहीं दूंगा,  बेहिसाब दूंगा 


तुम ताल में आओ तो मैं सुर बन जाऊं 


पर सवाल करते रहोगे तो  जवाब दूंगा 






मैं तो चाहता  हूँ कि कोई  मुझ पर भारी पड़े 


पर जब भी पड़े भारी  तो  नर नहीं नारी पड़े 




बेताबी इधर भी है मगर फरियाद  नहीं करेंगे


मुन्तज़िर  तो हम भी हैं  पर  याद नहीं करेंगे 


_अरे भई क्यों करें ? 


भुलाया ही कब था ?




जो बात छुपा कर रखी है,  वो बात न मुझसे पूछो तुम.........


कितनी आहें कितने आंसू,  हालात न मुझसे पूछो तुम..........




नाम काटना क्या ज़रूरी है ? 


आखिर... क्या मज़बूरी है ?


दिल तो दिल से जुड़ा हुआ है 


बस कहने की दूरी है 



singer dilip pandey, kavi albela khatri, musician shekhar desh pande & singer pronita deshpande in finix  arizona USA



5 comments:

DR. ANWER JAMAL January 5, 2012 at 10:43 AM  

नाइस.

सूफ़ी
साधना से आध्यात्मिक उन्नति आसान है Sufi silsila e naqshbandiya

http://vedquran.blogspot.com/2012/01/sufi-silsila-e-naqshbandiya.html

Aruna Kapoor January 5, 2012 at 12:02 PM  

वाह!..क्या बात है!

SACCHAI January 5, 2012 at 12:48 PM  

gul bankar aayenge ...ha ha ha ...lajwab rahi ye post

संगीता स्वरुप ( गीत ) January 5, 2012 at 3:00 PM  

बढ़िया तुकबंदी :)

पद्म सिंह January 6, 2012 at 8:28 AM  

मस्त... लेकिन ऊपर?? नारी?? भारी??

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